शंकर की नगरी में शंकर की जिजीविषा बनी प्रेरणा
रोहित डिमरी
रुद्रप्रयाग। आपदा प्रभावित क्षेत्रा केदारघाटी के शंकर लाल ने सात साल पहले अपने दोनों पैर एक दुर्घटना में गंवा दिए थे। तब से उनकी जिंदगी में दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। आर्थिक तंगी के कारण उसके परिवार की हालत बदतर हो गई। पेशे से लोहार शंकर के घर पर कई बार तो चूल्हा जलता ही नहीं था। आज यही शंकर भोले शंकर की भूमि केदारनाथ में पूरे जज्बे और जोश के साथ औजार बनाने का काम कर रहा है। केदारपुरी में काम कर रहे अन्य मजदूर और कर्मचारियों को भी इनसे प्रेरणा मिल रही है। यह सब कुछ हुआ है नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ;निमद्ध के प्रिंसिपल कर्नल अजय कोठियाल की पहल पर। श्री कोठियाल को जब शंकर की पारिवारिक परिस्थिति और विकलांगता के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने पफौरन उसे निम में नौकरी दे दी। आज शंकर प्रतिमाह 18 हजार रुपए कमा रहा है और इस धनराशि से उसके परिवार की जरूरतें पूरी हो रही हैं। नारायणकोटी ;गुप्तकाशीद्ध निवासी शंकर लाल का औजार बनाने का पुस्तैनी काम है। औजार बनाने के साथ ही वह यात्रा सीजन में घोड़े-खच्चर संचालन और डंडी-कंडी का काम कर वह किसी तरह अपने परिवार का लालन-पालन कर रहा था। उसे कहां पता था कि असल में उसके जीवन की संघर्ष की गाथा अब शुरू होगी। सात वर्ष पूर्व एक दुर्घटना में उसे अपने दोनों पैरों से हाथ धेना पड़ा। दोनों पैरो से विकलांग शंकर के सामने सबसे बड़ी समस्या अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना था। इस बीच वर्ष 2012 में उसके पिता की मौत हो गई। अब पूरी जिम्मेदारी उसी के कंध्े थी। एक कमरे के घर पर बूढ़ी मां और बीवी और पांच छोटे-छोटे बच्चों का लालन-पालन करना आसान नहीं था। पैर गंवाने के बावजूद शंकर ने हार नहीं मारी और औजार बनाने का काम करता रहा। लेकिन इतनी कमाई नहीं हो रही थी कि परिवार का गुजारा हो सके। बच्चों के स्कूल का खर्चा तो दूर खाने के लाले पड़ने लगे।उसकी खराब स्थिति की जानकारी स्थानीय लोगों ने निम के प्रिंसिपल कर्नल अजय कोठियाल को दी। उन्होंने बिना देरी किए शंकर लाल को बतौर लोहार निम में नौकरी दे दी। आज शंकर केदारनाथ में औजार बनाने का काम कर रहा है। केदारनाथ में उनकी इस जिजीविषा को देखते हुए वहां रह रहे मजदूरों और कर्मचारियों में भी ऊर्जा और जोश का संचार हो रहा है। शंकर का कहना है कि वह केदारनाथ आकर खुद को ध्न्य महसूस कर रहा है। कर्नल अजय कोठियाल ने उनकी जिंदगी बदल दी है। अब उनका परिवार खुशहाल है और बच्चे स्कूल पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्नल कोठियाल नेक दिल इंसान हैं। उनकी वजह से ही उन्हें जीवन में कुछ करने का मौका मिला है। शंकर लाल की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसे आर्थिक सहायता देने के बजाय आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता थी। इसलिए उसे नौकरी दी गई। निम में शंकर जैसे अन्य कई लोग हैं, जो भले ही शारीरिक रूप से विकलांग हो, लेकिन उनके हौंसले बुलंद हैं। उनके अंदर कुछ कर गुजरने की ललक है। शंकर को औजार बनाने का काम दिया गया है। वह अन्य लोगों को भी औजार बनाने का प्रशिक्षण देगा। इसके साथ ही केदारनाथ में भगवान शंकर के त्रिशूल भी बनाए जाएंगे।