सोमवार, 25 नवंबर 2013

देहरादून का रंडीबाज संपादक


देहरादून का रंडीबाज संपादक


By Deepak Azad/Watchdog
मीडिया संस्थानों में काली भेडि़यों का एक फलता-फूलता संसार है। दिल्ली से देहरादून तक महिला देह पर गिद्व दृष्टि गड़ाये रखने वाले संपादकों की एक लम्बी फेहरिस्त है। अक्सर ऐसे मामले संस्थानों की चारदिवारी से बाहर नहीं आ पाते। ऐसे काले संपादकों की चर्चाएं तभी होती हैं जब किसी पत्रकार और संपादक में भिड़ंत हो जाए। या फिर उत्पीड़न की शिकार कोई महिला मुखर होकर सामने आ जाय। लाखों रूपये सैलरी और दूसरे घपले-घोटालों में मस्त मैनेजरनुमा संपादक-पत्रकार अपनी उर्जा को ऐसे ही औरतबाजी में खफा रहे हैं। जब पत्रकारिता बाजार की गुलाम हो गई हो और संपादकों के जन सरोकार महीने की मोटी सैलरी बटोरने तक सिमट गए हों, तब यही सबकुछ होना है। खैर खबर यह है कि देहरादून के एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र के संपादक इन दिनों रंडीबाजी को लेकर चर्चा का विषय बने हुए हैं। देहरादून में कदम रखते ही इनकी अयाशियां परवान चढ़ने लगीं। इस संपादक को भारी-भरकम सैलरी मिलती है। इस पैसे का दुरूपयोग वे अपनी रंगीन मिजाजी के लिए कर रहे हैं। रंगीन मिजाजी की खबरें इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ये अपनी लम्बी गाड़ी में अक्सर बाजारू लड़कियों को देहरादून के आउटर में ले जाते हैं। ये अपने चापलूस दोस्तों से प्रशिक्षु महिला पत्रकारों को भर्ती कराने के लिए जब-तब कहते रहते हैं। इन महाशय ने देहराूदन में पर्दापर्ण करते ही एक महिला पत्रकार को नाकाबिल घोषित करते हुए  संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया, लेकिन दूसरी ओर एक प्रशिक्षु पत्रकार के साथ खुदकी बाइलाइन खबरें छापकर उसे स्टाफर का दर्जा तक दिलवा डाला। इस महिला पत्रकार की काबिलियत भी किसी से छुपी नहीं है। ये रंडीबाजी को लेकर पिछले दिनों तब चर्चा में आए जब इनकी अपने ही एक सहयोगी से ठन गई। हुआ कुछ यूं कि इन संपादक महोदय कि देहरादून आगमन के वक्त से ही यहां सालों से जमे-जमाये बैठे एक पत्रकार के साथ ठन गई थी। मामला यहां तक पहुंचा कि पत्रकार को उत्तराखंड से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, नजीजन पहाड़ी बनाम मैदानी मानसिकता पर जमकर गरमागरम विमर्श होने लगा। उत्तराखंड के एक तेजस्वी पत्रकार, जो अब स्वर्गीय हो चुके, ने देहरादून में इन संपादक के खिलाफ गाजे-बाजे के साथ विरोध-प्रदर्शन तक का ऐलान कर दिया था। हालांकि यह अनोखा प्रदर्शन हो न सका। इस तनातनी के बीच पिछले दिनों संपादक को फूटी आंख न सुहाने वाले से पत्रकार अपने घर देहरादून आए हुए थे। इसी दौरान वे अपने एक साथी के दुख में शरीक होने के लिए देहरादून स्थित अपने अखबार के कार्यालय में उनसे मिलने जा पहुंचे। बताते हैं कि संपादक ने सुरक्षा गार्ड से पत्रकार को बाहर धकियाने को कहा। इसी बात को लेकर अपने गरममिजाज तेवरों को लेकर पहचाने वाले पत्रकार को खुदकी बेइज्जती सहन नहीं हो सकी और उन्होंने संपादक के खिलाफ पूरी भड़ास निकाल डाली। मामला इतना बढ़ गया कि पत्रकार ने संपादक को सरेआम रंडीबाज तक कह डाला। काफी देर तक दोनों के मध्य वाद-विवाद होने के बाद पत्रकार अखबार के कार्यालय से बाहर निकल गए। इसके बाद पत्रकार ने अखबार के नोयडा स्थित कार्यालय में मैनेजमैंट से संपादक की कारगुजारियों की शिकायत कर संस्थान से इस्तीफा दे दिया। अब उन्होंने देहरादून में ही एक नया अखबार ज्वाइन कर लिया है। संपादक की रंडीबाज के किस्से रोज मीडिया में इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं।

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