सोमवार, 22 सितंबर 2014

सुकून देते हैं केदार घाटी के तीर्थ, ताल, बुग्याल व सरोवर

सुकून देते हैं केदार घाटी के तीर्थ, ताल, बुग्याल व सरोवर

हिमालय सदियों से घुम्मकड़ों, तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है और यहां आकर वह खुद को स्वर्ग की सैर का अहसास कराता है। अकेले हिमालय की गोद में स्थित केदारघाटी का सम्पूर्ण भू-भाग प्राचीन काल से शांति, एकान्त और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण )षि- मुनियों, तत्वविदों, विद्वानों और विद्या के आश्रमों का केन्द्र रहा हैं। इस घाटी के तमाम धार्मिक स्थल, ताल व बुग्याल तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का सहज ही मन मोह लेते हैं और यहां लोगों के आने का सिलसिला अनवरत जारी है और जारी रहेगा। केदारघाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य पर लक्ष्मण सिंह नेगी का यह खास आलेख।
संपादक
हिमालय की गोद में स्थित केदारघाटी का सम्पूर्ण भू-भाग प्राचीन काल से शांति, एकान्त और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण )षि-मुनियों, तत्वविदों, विद्वानों और विद्या के आश्रमों का केन्द्र रहा हैं। इस घाटी के तमाम धार्मिक स्थल, ताल व बुग्याल तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का सहज ही मन मोह लेते हैं। भगवान केदारनाथ का भक्त व प्रकृति का रसिक जब रूद्रप्रयाग से कुंड की ओर अग्रसर होता हैं। तो मन्दाकिनी की  कल-कल निनाद, सीढ़ीनुमा खेतों की हरियाली उसे रोमांचित करती हैं। कुंड से आगे जब श्रदालु केदार घाटी की तरफ बढ़ता हैं। तो जीवन के दुःख-दर्दो को भूलकर प्रकृति का हिस्सा बन जाता है। क्योकि कुंड से आगे बढ़ते ही गुप्तकाशी में भगवान विश्वनाथ, नाला में ललिता मा, नारायणकोटि में लक्ष्मीनारायण, फाटा मैखंडा में महिषमर्दनी जामू में जमदग्नि, रामपुर में दुर्गा देवी व तोना मंदिर, नानतोली खुमेरा में सिहंभवानी, त्युडी़ में बलभद्र स्वामी, जाख में जाखराजा, त्रियुगीनारायण में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, तोषी और तरसाली में मां चंडिका, सोनप्रयाग में मुंडकट्या गणेश, गोरीकुंड में गोरा माता के साथ ही तर्पण व धर्म कुंड, हाट में गौरिया देवी, जंगल चट्टी में भैरवनाथ, रामबाड़ा के निकट भीमबली, गरूड़ चट्टी में गरूड़ भगवान व गुफा में बजरंग बली, हिमालय की गोद में प्रथम केदार भगवान केदारेश्वर व काल भैरव विराजमान हैं। इसके अलावा सि(पीठ कालीमठ में माॅ काली, कोटमा में महाकवि कालिदास की जन्मस्थली, रूच्छ में कोटिमाहेश्वरी व रूच्छ महादेव, कालीशिला में माॅ काली, रांसी में माॅ राकेश्वरी व गौण्डार से आगे बुग्यालों के मध्य द्वितीय केदार मद्महेश्वर  भगवान, मनसूना में मणना देवी ,नन्दा देवी, गिरिया में राजराजेश्वरी, गडगू में जाख, ऊखीमठ में ओंकारेश्वर भगवान के साथ ऊषा-अनिरूद्व के विवाह का मंडप, भोलेश्वर, ग्यारहवें रूद्र भगवान बजरंग बली, मक्कू में मार्कण्डेय तीर्थ व चोपता से तीन किमी ऊपर तृतीय केदार भगवान तुगनाथ  के साथ ही केदार घाटी में सैकड़ों तीर्थ मौजूद हैं। तीर्थो के अलावा मेमसारनी ;त्रिवेणी संगमद्ध का भी घाटी में विशेष महत्व हैं। केदारघाटी में गांधी सरोवर, बिशोनी ताल, कासीन ताल, पय्य्ंाा ताल, देवरिया ताल, बसुकीताल, पनपतिया ताल, दैय्य ताल, सुरजल सरोवर के अलावा टिगडी बुग्याल, मद्महेश्वर, पांडुसेरा, नंदीकुंड, ताखनी बुग्याल, मेंढाखाल, बंशीनारायण, फ्यूंला नारायण, रूद्रनाथ बुग्याल, पनार बुग्याल, खाम मणनी बुग्याल, फौली बुग्याल, मदानी बुग्याल, तिलकोडू, पाली बुग्याल, सैख्रक, पवांली, रौका,  उखातोली ;उषा माता की तपस्थलीद्ध नागपीठा सहित कई बुग्यालकी भरमार है। श्रद्वालु जब केदारघाटी के तीर्थ स्थलांे में पहुचते हंै तो अपने को धन्य महसूस करता है व प्रकृति का रसिक जब यहा कें तालो बुग्यालों सरोवरो में पहुंचता है इस प्राकृतिक सौदर्य को देखकर मोहित हो जाता हैं प्राचीन काल से वर्तमान समय तक देश-विदेश के कोने कोने से तीर्थयात्री व प्रकृति के रसिक यहां पहुंचते है।
बुग्याल और ताल
गांधी सरोवर, बिशोनी ताल, कासीन ताल, पय्य्ंाा ताल, देवरिया ताल, बसुकीताल, पनपतिया ताल, दैय्य ताल, सुरजल सरोवर के अलावा टिगडी बुग्याल, मद्महेश्वर, पांडुसेरा, नंदीकुंड, ताखनी बुग्याल, मेंढाखाल, बंशीनारायण, फ्यूंला नारायण, रूद्रनाथ बुग्याल, पनार बुग्याल, खाम मणनी बुग्याल, फौली बुग्याल, मदानी बुग्याल, तिलकोडू, पाली बुग्याल, सैख्रक, पवांली, रौका,  उखातोली ;उषा माता की तपस्थलीद्ध नागपीठा बुग्याल
केदारघाटी के तीर्थस्थल
भगवान विश्वनाथ, नाला में ललिता मा, नारायणकोटि में लक्ष्मीनारायण, फाटा मैखंडा में महिषमर्दनी जामू में जमदग्नि, रामपुर में दुर्गा देवी व तोना मंदिर, नानतोली खुमेरा में सिहंभवानी, त्युडी़ में बलभद्र स्वामी, जाख में जाखराजा, त्रियुगीनारायण में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, तोषी और तरसाली में मां चंडिका, सोनप्रयाग में मुंडकट्या गणेश, गोरीकुंड में गोरा माता के साथ ही तर्पण व धर्म कुंड, हाट में गौरिया देवी, जंगल चट्टी में भैरवनाथ, रामबाड़ा के निकट भीमबली, गरूड़ चट्टी में गरूड़ भगवान व गुफा में बजरंग बली, हिमालय की गोद में प्रथम केदार भगवान केदारेश्वर व काल भैरव विराजमान हैं। इसके अलावा सि(पीठ कालीमठ में माॅ काली, कोटमा में महाकवि कालिदास की जन्मस्थली, रूच्छ में कोटिमाहेश्वरी व रूच्छ महादेव, कालीशिला में माॅ काली, रांसी में माॅ राकेश्वरी व गौण्डार से आगे बुग्यालों के मध्य द्वितीय केदार मद्महेश्वर  भगवान, मनसूना में मणना देवी ,नन्दा देवी, गिरिया में राजराजेश्वरी, गडगू में जाख, ऊखीमठ में ओंकारेश्वर              भगवान के साथ ऊषा-अनिरूद्व के विवाह का मंडप, भोलेश्वर, ग्यारहवें रूद्र भगवान बजरंग बली, मक्कू में मार्कण्डेय तीर्थ व चोपता से तीन किमी ऊपर तृतीय    केदार  भगवान तुगनाथ

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