गुरुवार, 27 नवंबर 2014

माफियाओं का राज

माफियाओं का राज

सरकार किसी की भी हो प्रदेश में अगर किसी का बेखोफ राज चल रहा है तो वह माफिया का है। भले बाहर देखने के लिए कभी भाजपा व कभी कांग्रेस का राज चल रहा हो परन्तु हकीकत यह है कि पूरे प्रदेश के तंत्र में राज केवल माफियाओं का ही चल रहा है। माफिया आज शराब, भू, खनन, बांध, जल, जंगल व टेंडर ही नहीं शासन प्रषासन पर पूरी तरह काबिज है। षासन प्रशासन के अपराधीकरण से पूरे समाज में अनैतिकता व भ्रष्टाचार एक प्रकार का दाग नहीं माना जा रहा है। दागदार लोगों को मिल रहे षासन प्रशासन में सम्मान से अपराधी प्रवृति को भारी बढावा मिल रहा है। अपराधियों में शासन प्रशासन का रत्तीभर भी खौप नहीं रहा। हल्द्वानी में 7 वर्शीय अबोध बच्ची के साथ दुराचार व हत्या से पूरा प्रदेष शर्मसार है । वहीं हद्विार में खनन माफिया द्वारा पुलिस दल पर जानलेवा हमले से पूरा तंत्र सन्न है। राजनैतिक दल घडियाली आंसू बहा रहा है। परन्तु हकीकत में इसकी जडों का पोषण कर रहा है। दुराचार, हत्या, भ्रष्टाचार सहित तमाम गैरकानूनी कार्यो की तरफ मनुश्य को धकेलने वाली शराब पर अंकुश लगाने के बजाय पूरी व्यवस्था शराब व उसके अवैध धंधा करने वालों को शर्मनाक संरक्षण दे रही है। ऐसे में अपराध दिन दुगुना रात चैगुना बढ रहा है। नैतिक मूल्य विहिन षिक्षा का अंध व्यवसायीकरण से समाज में चंगैजी प्रवृति को ही बढावा मिल रहा है। इससे ही समाज अपराधिकरण की गर्त में पूरी तरह से फंस चूका है। कुछ महीने पहले देहरादून जनपद में दिल्ली के सैलानियों की निर्मम हत्या का मामला इसी का स्पश्ट संकेत देता है। प्रायः जिला पंचायत, विकासखण्ड प्रमुख, विधायक, सांसद के चुनावों में पानी की तरह लाखों-करोड़ों रूपया खर्च करने वाले जनप्रतिनिधी हकीकत में इन्हीं माफियाओं के सहयोग से चुनावी वैतरणी को पार करते है। ऐसे में ये लोग अपने सहयोगियों का साथ नहीं देंगे तो क्या करेंगे?प्रदेष में पूरे तंत्र में काबिज माफियाओं का दुशाहस कितना बढ गया है इसका एक छोटा सा नमुना हरिद्वार जनपद में 26 नवम्बर को देखने में मिला। जहां हरिद्वार जनपद में जलालपुर में हो रहे अवैध खनन को दबोचने गये रूडकी के वरिष्ठ अधिकारी एएसपी प्रहलाद नारायण मीणा के साथ दो जवान दीपक भट्ट व सत्यदयाल को खनन माफिया ने पहले टेक्टर-ट्राली से कुचलने का असफल नापाक कृत्य किया। जब पुलिस अधिकारी व उसका दल ने सडक की दूसरी तरफ कूद कर जान बचायी तो माफिया के इस गुर्गे ने पुलिस दल पर गोलियां चला दी। इसके बाद जांबाज पुलिस दल ने इस गुर्गे को पकड़ लिया तो , माफिया का इतना दुसाहस किया की खनन माफिया ने अपने समर्थकों के साथ मिल कर अपने इस गुर्गे को पुलिस के कब्जे से ले उठा गये। हालांकी पुलिस प्रषासन ने खनन माफिया व उसके परिजनों सहित गांव के कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया परन्तु हालत इतनी गंभीर हो गयी है कि माफियाओं को पुलिस प्रशासन को कोई खौंप नहीं रह गया है और वे बेखौफ पूरे प्रदेश में अपना समांतर राज चला रहे है। इसका मुख्य कारण यह है अवैध खनन ही नहीं शराब, भू, जल व बांध माफिया ही नहीं पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाले नौकरशाह व नेताओं के साथ साया की तरह है। प्रदेष की राजनीति का माफियाकरण उस समय उजागर हुआ जिस समय जब शराब के कारोबारी पौंटी चडड्ा व उसके भाई की गोलीबारी में हत्या की गयी और हत्या में पकडा गया प्रदेश का एक दर्जाधारी मंत्री नामधारी नामधारी। यही नहीं ऐसी खबरें भी थी कि उस हत्याकाण्ड के समय वहां उत्तराखण्ड का एक सबसे ताकतवर नौकरशाह भी वहां पर मौजूद था। जो षराब के कारोबारी के जमीन सौदों को और विस्तार देता था। इस नौकरशाह कों संरक्षण दे रहे पक्ष विपक्ष के राजनैतिक आकाओं ने न केवल नौकरशाह को बचा लिया अपितु नेताओं व नौकरशाही के षह पर फल फूल रहे माफियाओं के नापाक गठजोड़ को बेनकाब करने के लिए इस पूरे प्रकरण की जांच न करा कर पर्दा डालने का काम किया। क्योंकि अगर माफियाओं को दबाचा जाय और उनकी निष्पक्ष जांच हो तो प्रदेष के अधिकांश राजनेता ही नहीं तथाकथित समाजसेवी व पूरी नौकरशाही बेनकाब हो जायेगी। इसी लिए सभी ने मिल कर इस प्रकरण को दफन करने का ही काम किया । प्रदेश का दुर्भाग्य यह है कि जब से प्रदेश का गठन हुआ तबसे यहां पर राजनीति का बेषर्मी से अपराधीकरण हुआ। इसका बेशर्म नमुना प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के शपथ ग्रहण के दिन सत्ता में बर्चस्व के लिए भाजपा के दंबग गुट का संगीनों के संग निर्लज्ज प्रदर्शन से ही उजागर हो चूका है कि हमारे नेताओं का असली चेहरा उसी दिन बेनकाब हो गया। ऐसा नहीं ऐसा कि नामधारी को एक ही दल का संरक्षण था। यहां प्रमुख दलों के नेता नामधारी के आका के संरक्षक के लिए कुख्यात रहे। ऐसा नहीं कि अवैध खनन केवल हरिद्वार जनपद में ही हो रहा हैै अवैध खनन चाहे गोला नदी हो या अन्यत्र सभी जगह इस कार्य में अधिकांश जो माफिया लगे हैं उनका सभी दलों से करीब का संरक्षण है। कई नेताओं के क्रेसर लगाये जाने की खबरें भी समाचारों में आये दिन आती रहती।
अवैध खनन हो या अवैध शराब या जंगल माफिया हो या जल व भू माफिया प्रदेष में बिना राजनैतिक संरक्षण के कोई माफियागिरी एक पल के लिए पनप नहीं सकती है। राजनेताओं द्वारा माफियाओं को संरक्षण देने को देख कर नौकरषाही भी राजनेताओं से 100 कदम आगे बढ गयी है। इस प्रकार से माफियाओं के संरक्षणदाता या उनसे चोथ वसूल करने वाले पूरे तंत्र में आसीन है। इसीकारण इनका दुशाहस इतना बढ़ गया है।
हालत इतनी ही नहीं अब तो प्रदेश की राजनीति का बेशर्मी से अपराधीकरण होने के कारण शासन व प्रशासन की एक प्रकार से बागडोर माफिया समर्थकों के हाथों में आ गयी है। कई नेताओ, नौकरशाहों के संरक्षण में ही नहीं अपितु अब ऐसे कुख्यात लोग सीधे चुनाव या नेताओं को अपना मोहरा बना कर पूरे तंत्र पर अपना शिकंजा कसे हुए है। जब आम जनता देखती है कि उनके क्षेत्र का दागदार आदमी राजनीति व समाज में सम्मानजनक स्थानों पर आसीन है तो अन्य अपराधियों का भी हौसला बढ जाता है और लोग जल्द ही सत्ता, सम्मान व दौलत अर्जित करने के लिए अपराध की दुनिया में बेझिझक उतर जाते है। देखा यह भी जाता है कि सत्ताधारी हो या विपक्ष या शासन प्रषासन सभी समाजसेवियों के बजाय दागदार थैलीशाहों को ही गले लगाते है। हालत इतनी शर्मनाक हो गयी कि मुजफरगनर काण्ड के दागदार लोगों को संरक्षण देने वाले आस्तीन के सांपों को उत्तराखण्ड के सभी दलों ने बेशर्मी से न केवल संरक्षण दिया अपितु उन्हें संवैधानिक पदों पर भी आसीन किया। परन्तु किसी ने इस पर चूं तक नहीं की। क्योंकि सबको प्रदेष का नहीं अपितु अपने अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति जो करनी है। जब तक राजनीति व नौकरशाही से ऐसे आस्तीन के सांपों को दूर नहीं किया जायेगा तब तक प्रदेश में अपराधों पर अंकुश लगाने की कल्पना करना भी बेईमानी ही होगी। प्रदेश के अब तक के अधिकांश मुख्यमंत्रियों के आस पास की लोगों की निष्पक्ष जांच की जाय तो इनसे इनके संबध खुद बयान करेंगे।
by देवसिंह रावत 

कोई टिप्पणी नहीं: