गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

बिना महिला सब इंस्पेक्टर के चल रहा है चमोली जिला

मामलों के लिए राजधनी से बुलाना पड़ता है महिला सब इंस्पेक्टरों को, जिससे नहीं मिल पाता न्यायबिना महिला सब इंस्पेक्टर के चल रहा है चमोली जिला


नंदन विष्ट
सीमांत जनपद चमोली में एक भी महिला सब इंस्पेक्टर के न होने से महिलाओं से संबंध्ति मामलों की तफ्रतीश में लेट-लतीपफी होती रही है। जिससे महिलाओं को समय पर न्याय नहीं मिल पाता है और नही समय पर महिलाओं की सहायता हो पाती है। महिलाओं से संबंध्ति मामलों के लिए राजधनी से महिला सब इंस्पेक्टरों बुलाना पड़ता जिससे महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता है। कहें तो पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए कई अभियान चलाए जाते रहे हैं। महिला उत्पीड़न को लेकर सरकारें गंभीर हैं लेकिन सीमांत जनपद चमोली में कई महिलाऐं उत्पीड़न का शिकार होती रही हैं। किसी भी मामले में महिला से संबंध्ति पूछ-ताछ के लिए महिला सब इंस्पेक्टर को होना अनिवार्य हैं। ताकि महिलाओं के बयान ले सके और तफ्रतीश में आवश्यक कार्रवाई कर सके। ऐसे में महिलाओं को समय पर न्याय मिलने में भी बिलंब होता है। सरकार की उपेक्षा के चलते चमोली जिले में जहां महिलाओें की संख्या पुरूषों से अध्कि है में एक भी महिला सब इंस्पेक्टर या महिला इंस्पेक्टर का न होना सरकार की नाकामी को दर्शाता है या सरकार नहीं चाहती कि चमोली जिले की महिलाऐं सशक्त हों और अपने अध्किारों की लड़ाई के लिए आगे आऐं। महिला उत्पीड़न के मामलों में महिला सब इंस्पेक्टर के द्वारा ही तपफतीश की जाती। चमोली जिले में महिला उत्पीड़न के मामलों में देहरादून से सब इन्सपेक्टर बुलाया जाता है जिससे मामले में अनावश्यक देरी हो जाती है। उध्र अधिवक्ता मानोज भट्ट का कहना है कि जनपद में महिला सब इंस्पेक्टर के न होने से महिला से संबंध्ति मामलों  में अनवश्यक बिलंब होता है। उन्होंने कहा कि तत्काल जिले में महिला सब इंस्पेक्टर की नियुक्ति की जानी चाहिए। ताकि महिलाओं के हक हकूक की लड़ाई में आसानी हो सके  और महिलाऐं अपने को सुरक्षित मान सके। उत्तराखंड राज्य की बात कहें तो महिलाओं के विकास व उनको सुरक्षित भावना से जीने के अलावा प्रदेश के विकास के कार्य करना था। लेकिन आज तक भी महिालाओं के विकास एवं उनके उत्थान के लिए कोई भी कार्य अभी तक अंजाम नहीं दे रहा है। उत्तराख्ंाड में महिलाओं के कई उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं लेकिन महिला की बात को सुनने वाला कोई नहीं है। पुरूष इन्स्पेक्टर अथवा सब इंस्पेक्टर के द्वारा महिला के मामले में तपफ्तीश करना आसान नहीं है। जबकि महिला सब इंस्पेक्टर व इंस्पेक्टर के द्वारा आसानी से महिला के मामलों में तपफ्तीश की जा सकती है। जिससे महिला का संकोच भी दूर होगा और आसानी से तफ्रतीश के बाद महिलाओं को न्याय भी मिल पाएगा। उत्तराख्ंाड राज्य के सीमांत जनपद चमोली में एक भी सब इंस्पेक्टर न होने के कारण देहरादून से या अन्य राज्य से तफ्रतीश के लिए बुलाना पड़ता है जिसमें अनावश्यक ही देरी हो जाती है।
चमोली जिले के पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार मीणा ने कहा कि चमोली में महिला सब इंस्पेक्टरों की तैनाती न होने के कारण महिलाओं के मामले में तफ्रतीश के लिए देहरादून से 15-15 दिनों के लिए महिला सब इंस्पेक्टरों की तैनाती की जाती है। तब जाकर महिलाओं के मामले में तफ्रतीश की जाती है। उनका कहना है कि जिले में महिला इंस्पेक्टरों एवं महिला सब इंस्पेक्टरों का होना अनिवार्य है। ताकि महिलाओं की सुरक्षा एवं महिलाओं के मामले में समय पर तफ्रतीश की जा सके। इस मामले में शासन को कई बार लिखा जा चुका है।

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