शनिवार, 11 अप्रैल 2015

ऊर्जा प्रदेश में महंगी हुई बिजली


 ऊर्जा प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को अब प्रति युनिट 10 से 50 पैसा अािक देना पड़ेगा। विद्युत नियामक आयोग ने उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन  के प्रस्ताव पर विचार करते हुए घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं के बिजली ीूल्य में वृद्घि का अनुमोदन किया है। इस बाबत शनिवार को आयोग की अहम बैठक में व्यापक मंथन के बाद पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव को कुछ संशोधनों के साथ हरी झंडी दिखाई।
उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग  के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए विद्युत ीूल्य में वृद्घि की गई है। प्रथम 100 यूनिट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 10 पैसा अधिक देना पड़ेगा।  इसके अलावा 101 से 200 यूनिट तक 20 पैसे, 201 से 300 तथा 301 से 400 यूनिट तक खर्च करने वाले को 45 पैसा प्रति यूनिट तथा  401 से 500 युनिट या इससे अािक बिजली खर्च करने पर 50 पैसे प्रति युनिट का उपभोक्ता की जेब पर व्ययभार बढ़ा है। उन्होंने यह भी बताया कि एलटी उद्योगों एवं गैर घरेलू श्रेणी के लिए न्यूनतम उपभोग गारंटी को 60 किलोवाट प्रतिमाह से कम कर 25 किलोवाट प्रतिमाह किया गया है। निजी नलकूप उपभोक्ताओं के लिए न्यूनतम उपभोग गारंटी 70 किलोवाट प्रति बीएचपी प्रतिमाह से कम कर 60 किलोवाट प्रति बीएचपी प्रतिमाह करने का निर्णय लिया गया है। माह में प्रतिदिन 18 घंटे की न्यूनतम औसत आपूर्ति प्रान्त नहीं किए जाने की दशा में एचटी औद्योगिक उपभोक्ताओं का डिमांड चार्जेज उस माह में 80 प्रतिशत ही लगाया जाएगा। नई दरें 1 अप्रैल 2015 से लागू होंगी। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग द्वारा पावर कारपोरेशन को आवश्यक सुधरात्मक उपाय करने के भी निर्देश दिए गए हैं। कारपोरेशन को लाइन लॉस     कम करने, खराब मीटरों को बदलने, कलेक्शन सिस्टम में सुधार करने, एरियर रिकवरी में सुधार, और एनर्जी ऑडिट करने के भी निर्देश दिए गए हैं। सभी नए विद्युत कनेक्शन को सही मीटरों के साथ संयोजित करने के निर्देश हैं। विद्युत नियामक आयोग ने उत्तराखण्ड विद्युत पारेषण निगम पिटकुल द्वारा दायर याचिका की भी सुनवाई के बाद अपना निर्णय दे दिया है। पिटकुल ने 2004-05 से 2013-14 के अंतिम सहीकरण के लिए 268$19 करोड़ की धनराशि का अंतर प्रक्षेपित किया  था। जिसके विपरीत आयोग ने अंतिम सहीकरण कर मात्रा 40$71 करोड़ का अंतर अनुमोदित किया है। इस प्रकार गत वर्ष की तुलना में आयोग ने मात्र 26$91 प्रतिशत वृद्घि को अनुमोदित किया। उनका यह भी कहना था कि घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं पर ज्यादा भार न डालते हुए पावर कारपोरेशन को वितरण सिस्टम में सुधर के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने माना कि लाइन लॉस कम होने से बिजली का व्यर्थ व्यय नहीं होगा, इससे उपभोक्ता व कारपोरेशन दोनों को लाभ होगा। 

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