नंदन विष्ट
प्रदेश सरकार केदारनाथ धम यात्रा के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च कर वाह-वाही लूट रही है, लेकिन स्थिति कुछ अलग है जहां करोड़ों रूपये केदारनाथ में खर्च हो चुके है वहीं सरकार जमीन पर कुछ नहीं कर पा रही है।
अकेले उत्तराखंड के चारधम में सड़कों की स्थिति को देखे तो सड़के दयनीय हाल में हैं। सरकार ने सड़कों के नाम पर करोड़ों रूपये अभी तक खर्च कर दिये हैं और सड़कों की स्थिति अभी भी दयनीय है। इस बार भी यात्रियों को हिचकोले खाकर ही चारधम यात्रा पर जाना पडे़गा। वहीं अन्य व्यवस्थाओं के नाम पर भी अभी तक सिपर्फ घोषणाएं ही हो रही हैं। केदारनाथ में एक बार में 5000 यात्राी ही जा सकेंगे, इस बार आनलाइन रजिस्ट्रेशन भी सरकार एक ओर कह रही है केदारनाथ में सारी व्यवस्थाएं चुस्त दुरूस्त है। लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिख रहा है। प्रदेश में सड़कों कि स्थिति देहरादून में अच्छी नहीं है, तो पहाड में कैसी होगी इस सवाल पर लोकनिर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ए.के. उप्रेती अपना सवाल का जवाब नहीं दे पाई, जबकि केदारनाथ में भी स्थिति अच्छी नहीं है।
देखना यह है कि इन 20-25 दिनों में सरकार क्या कुछ करती है यह देखना बाकी है। केदारधम में जून 2013 में आई आपदा से सरकार ने अब सबक लिया है। उत्तराखंड शासन ने ऐसी व्यवस्था की है कि अब धम में जनसैलाब नहीं उमड़ेगा। इसी माह अप्रैल शुरू हो रही यात्रा में अब एक बार में केदारधम में 5000 यात्रियों से ज्यादा लोगों को जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा चार धम के सभी यात्रियों का पंजीकरण भी आवश्यक रूप से किया जाएगा। इसके लिए 18 केंद्र बनाए गए हैं। लेकिन यात्रियों को बायोमेट्रिक्स रजिस्ट्रेशन ;मशीन से पंजीकरणद्ध से छूट दी गई है। उनके लिए सिपर्फ पफोटो पहचानपत्रा जारी होंगे। केदारनाथ यात्रा के लिए राज्यों की ओर से जारी स्वास्थ्य प्रमाणपत्रा भी मान्य होंगे। केदारनाथ में तीन हजार लोगों के रहने की व्यवस्था कर ली गई है। दो हजार लोग सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ के बीच के पड़ावों में भी ठहर सकते हैं।
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