सोमवार, 27 अप्रैल 2015

‘मौसम’ के इम्तहान में बंपर ‘भक्ति’



नंदन विष्ट

भारत के चतुर्थ धम श्री बैकुंठधम श्री बदरीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में एक बार पिफर तीर्थयात्रियों व पर्यटकों के आगमन से चहल-पहल बढ़ने लगी है। हरिद्वार  से लेकर बदरीनाथ व केदारनाथ में लोगों का हुजूम उमड़ने लगा है। यही नहीं उत्तराखंड के स्विटजरलैंड कहलाने वाले विभिन्न पर्यटक स्थलों में भी अब विदेशी पर्यटकों व शैलानियों की आवाजाही होने से स्थानीय लोगों में भी खुशी की रौनक देखने को मिलने लगी है। गौरतलब है कि 2013 में जिस तरह प्राकृतिक आपदा ने उत्तराखंड जो कहर बरपाया था उससे नहीं लगता था कि इतनी जल्दी उत्तराखंड आपदा से उबर पाएगा। लेकिन सरकारी तथा गैरसरकारी प्रयासों से उत्तराखंड में यह संभव हो पाया है। 24 अप्रैल को भगवान केदारनाथ के  कपाट खुलने के साथ ही हजारों लोगों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए थे।  जो आपदा के बाद एक सपफल प्रयास के रूप में सामने आया। इसी का परिणाम है कि आज उत्तराखंड में भगवान बदरीनाथ व केदारनाथ में तीर्थयात्रियों का हुजूम उमड़ने लगा है। केदारनाथ में 15-16 जून को प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया था कि कई लोगों को अकाल मौत का शिकार होना पड़ा था। कई परिवार घर से बेघर हो गए थे। हांलाकि प्रकृति के आगे किसी का भी बस नहीं चलता लेकिन प्रयासों से दुबारा मंजिल हासिल हो सकती है। इस बार भारी वपर्फबारी के चलते भी निम ने ऐसा कर दिखाया जो जिसको हांशिल करना नामुमकिन तो था ही प्राप्त करना मुश्किल नहीं था। एक बार पिफर अब केदारनाथ में वहीे रौनक दिखने को मिल रही है। जो वर्ष 13 से पूर्व में था। यात्रियों के दल भी अब सरकार के निर्देशों के अनुरूप चलने लगे हैं। सीमित मात्रा में ही सही लेकिन भगवान के दर्शनों को लेकर अब लोगों में वह भय नहीं रहा जो आपदा के बाद था। अब यहां पर स्थानीय लोग भी आपदा की मार को भूलकर रोजगार के लिए आगे आने लगे हैं। जिस तरह से स्थानीय लोगों का पलायन होने लगा था अब वह भी वापस पटरी पर आने लगा है। केदारनाथ में पट खुलने के दौरान कई बड़ी हस्तियों ने भगवान दर्शन के लिए शिरकत की थी उसका असर भी अब देखने को मिल रहा है वहीं मीडिया की भूमिका  भी सकारात्मक रही है। मीड़िया ने भी लोगों में जो जोश भरने का काम किया है उनकी भी सराहना की जानी चाहिए।हांलाकि इस बार मौसम के बार-बार मिजाज के बदलने से निर्माण कार्याें में परेशानियां तो आई हैं लेकिन निम ने इसकी परवाह न करते रात दिन कार्य कर एक साहस का परिचय दिया है। जहां दो साल के अंदर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों के सड़के बीरान लगने लगी थी वहीं अब सड़कों में भी वाहनों की आवाजाही से रौनक बढ़ने लगी है। स्थानीय लोगों के बंद पड़े होटल व ढ़ावे भी खुलने लगे हैं।वहीं भारत के चतुर्थधम बैंकुंठधम बदरीनाथ के 26 अप्रैल को पट खुलने के दौरान हजारों हजार लोगों ने दिव्य ज्योति के दर्शन कर पुण्य लाभ उठाया। वहीं अब बदरीनाथ में सैलानियों, तीर्थयात्रियों व पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने लगी है। हांलाकि बदरीनाथ में वपर्फ के कारण सड़कें अटी-पड़ी होने के कारण कुछ परेशानियों का सामना तो करना पड़ रहा है। लेकिन रास्ते के ग्लेशियर पर्यटकों व तीर्थयात्रियों को खूब आकर्षित कर रहे हैं। ऐसा नजारा भी कई वर्षाें के बाद दिखने को मिल रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा अब अपने पुराने ढ़ावों को भी तैयार किया जा रहा है। संभवना ऐसी बनी है कि इस वर्ष यात्रा करने अध्कि से अध्कि श्रद्वालु पंहुचेंगे। जिससे अपने रोजगार को खो चुके लोगों के चेहरों पर रौनक दिखाई देने लगी है। जिस तरह वर्ष 13 की आपदा के चलते लोगों के चेहरे मायूस हो गए थे, सड़कांें पर सन्नाटा विखरा पड़ा था वहीं लोग रोजगार के लिए गांव से शहरों की ओर पलायन करने लगे थे। ठीक उसके उलट अब उत्तराखंड में तीर्थयात्रियों का हुजूम उमड़ने लगा है। और पलायन करने वाले लोग भी अब घरो को लौटने लगे हैं साथ ही सड़कों पर पिफर वही रौनक आने लगी है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याध्किारी बी.डी.सिंह ने उम्मीद जताई है कि इस वर्ष जहां अध्कि से अध्कि श्रद्वालु भगवान के दर्शनों को आऐंगे वहीं पर्यटकों की भी आवााजाही अध्कि से अधिक होगी। हांलाकि बदरीनाथ में भारी वपर्फ के चलते अभी व्यवस्थाओं को पूर्ण रूप से पटरी पर नहीं लाया जा सका लेकिन जल्दी ही सभी व्यवस्थाऐं पटरी पर आने की उम्मीद है।

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