मंगलवार, 5 मई 2015

‘अतृप्त आत्माओं’ को ‘अपनों का इंतजार’


उसरकारी हवन और विशेष पूजा के बाद भी नहीं खुल पाये मृतकों के लिए मोक्षधम के द्वार
उदेश-विदेश के सैकड़ो प्रतिदिन पहुंच कर रहे हैं केदारनाथ में  अपने कालग्रस्त हुए लोगों का पिण्डदान करने
उसैकड़ों अतुप्त आत्माएं खड़ी हैं  मार्ग पर अपनों के इंतजार में
संतोष बेंजवाल
केदारनाथ। वर्ष 2013 की हिमालयी सुनामी ने केदार घाटी में देश-विदेश के सैकड़ों लोगों को काल ने अपना ग्रास बनाया। हिन्दू ध्र्म के अनुसार जो लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं उनकी आत्मा तब तक इस ध्रा पर भटकती रहती है जब तक उनके अपने तीर्थ स्थल पर उनका पिण्डदान नहीं करते हैं। इस बात को कोई माने या न माने लेकिन यह सत्य है कि केदार घाटी में वर्ष 2013 की सुनामी में भी देश-विदेश के सैकड़ों लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए। अकाल मृत्यु को प्राप्त लोगों के परिजनों ने हालांकि अपने-अपने तरीके से अकाल मृत्यु को प्राप्त अपनों के लिए वह सब किया जो हिन्दू ध्र्म के अनुसार किया जाता है। इसके बाद भी केदारघाटी में काल के ग्रास बने उन लोगों की आत्मा अभी तक तृप्त नहीं हुई। ऐसा मानना मेरा नहीं बल्कि यात्रा शुरू होने के बाद गौरीकुंड से केदारनाथ मार्ग पर चलने वाले लोगों का है। खासकर जो लोग वहां डंडी, कंडी, घोड़ा-खच्चर और अन्य कार्य कर रहे हैं उनका कहना है कि इस मार्ग पर चलते हुए ऐसा आभास हो रहा है कि जैसे कोई उन्हें देख रहा है। हालांकि इस हलचल के बाद डर तो नहीं लग रहा हैं, लेकिन यह महसूस हो रहा है कि इस स्थान पर मरे लोगों की अतृप्त आत्माएं आने-जाने वालों में अपनों की तलाश कर रहे हैं। ताकी वे केदारनाथ में उनका पिण्डदान करें और वे मोक्षधम की और आगे बढ़े।
उल्लेखनीय है कि आपदा में अकेले केदारघाटी में दस हजार से अध्कि लोग अकाल मौत को प्राप्त हुए थे। उस समय स्थिति ऐसी थी कि यहां शवों को खोजने में भारी परेशानियां हुई। जो शव मिले उनका अंतिम संस्कार तो किया गया, लेकिन शायद विध् िविधन से नहीं। यही कारण है कि वह आत्माएं आज भी अतृप्त हैं और अपने का इंतजार कर रही हैं कि उनके अपने आये और उनका केदारनाथ में पिण्डदान कर उन्हें मोक्ष धम जाने के लिए रास्ता दें। हालांकि केदानाथ घाटी में अलग-अलग स्थानों पर आपदा के शिकार हुए लोगों का अंतिम संस्कार उत्तराखंड सरकार द्वारा किया तो गया, लेकिन उस समय विकट परिस्थितियों के चलते शायद मृतकों का अंतिम संस्कार सही नहीं हो पाया। इसके बाद सरकार ने सभी मृतकों की आत्मा की शांति और बाबा केदार की शु(िकरण के लिए एक सामुहिक यक्ष और अनुष्ठान भी करवाया। लेकिन देश-विदेश के उन सैकड़ों मृत लोगों की आत्मा को तो उनके अपने ही मुक्ति दे सकते हैं। शायद इसी वजह से उनकी अतृप्त आत्माएं अपनों का इंतजार में हैं और वह हर आने-जाने वाले में अपनों की खोज कर रहे हैं। पौराणिक मान्यता है कि मरने के बाद केदारनाथ में पिण्डदान करने से मृतक की आत्मा मोक्षधम की ओर चली जाती है। मोक्षधम में उसी आत्मा को प्रवेश मिलता है जिनके अपनों ने पिण्डदान किया हो और उसके बाद वह दूसरा जन्म लेने के हकदार होते हैं। यह मैं नहीं हमारे शास्त्रों में इसका उल्लेख है जो सदियों से चला आ रहा है। वर्ष 2013 और 2014 में केदारनाथ धाम में तीर्थयात्रियों को आना बहुत कम रहा, लेकिन इस साल कपाट खुलते ही यहां तीर्थयात्रियों की आमद में दिन प्रतिदिन बढौत्तरी हो रही है। शायद यही आशा उन अतृप्त आत्माओं को भी है कि इस साल शायद उनके अपने यहां जरूर आयेंगे।

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