मंगलवार, 1 नवंबर 2016
…और काल का ग्रास बनी उन अतृप्त आत्माओं के नहीं थम रहे थे आसू
…और काल का ग्रास बनी उन अतृप्त आत्माओं के नहीं थम रहे थे आसू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें