सोमवार, 25 अगस्त 2014
शनिवार, 16 अगस्त 2014
हिमालय पर्वत पर उड़ते हुए देखे गए बाबा
नैनीताल। कहा जाता है कि योग की गुप्त विद्याओं का अभ्यास कर मनुष्य आश्चर्यजनक कारनामे कर सकता है। ऎसा ही चमत्कार नैनीताल के हैदाखान गांव में देखा गया। एक योगी बाबा हिमालय पर्वत श्रृंखला के ऊपर उड़ते हुए देखे गए।
"अमर बाबा" (इम्र्मोटल बाबा) के नाम से प्रसिद्ध हुए ये बाबा हैं हैदाखान बाबा। बताया जाता है कि हैदाखान बाबा के सपने में उनके गुरू आए और उन्होंने योग के गुप्त रहस्यों के बारे में बताया। इन्हीं गुप्त योग विद्याओं के बल पर बाबा ने कई चमत्कार किए। हैदाखान गांव के लोगों की बातों पर विश्वास करें तो ये बाबा हिमालय की पहाडियों के ऊपर उड़ते हुए देखे गए।
हैदाखान बाबा के भक्तों का मानना है कि बाबाजी अमर हैं। इनकी मृत्यु नहीं हो सकती है। सबसे पहली बार हिमालय पृवत श्रृंखला में इन्हें 1970 में गुफा के अंदर ध्यान लगाए देखा गया। इस 45 दिनों के ध्यान में ये अपनी जगह से हिले तक नहीं। सितम्बर 1971 में हैदाखान बाबा ने हल्दवानी कोर्ट को यकीन दिलाया कि वह स्वयं ही "प्राचीन हैराखान बाबा" हैं जिन्हें 1860 से 1922 के दौरान इस क्षेत्र में देखा गया था। प्राचीन हैराखान बाबा होने के कारण ही उन्हें काठगारिया और हैदाखान आश्रमों को काम में लेने का हक है।
विभिन्न रिपोर्टस के अनुसार बाबा ने 1984 में अपने ही आश्रम में महासमाधि ले ली और शरीर त्याग दिया। पर आश्चर्यजनक रूप से 2002 में बाबा को कैलाश पर्वत पर नंगे पांव चहलकदमी करते देखा गया। ऎसे और इसी तरह के कई मौकों पर उनके शिष्यों और ग्रामीणों ने बाबा को देखा है। माना जाता है कि ये बाबा अजर-अमर हैं। इनके कई अवतार अब तक जन्म ले चुके हैं।
भले ही इनके अवतार और चमत्कारों की घटनाएं वैज्ञानिक रूप से स्वीकार्य नहीं की जा सकती है, लेकिन उनके शिष्यों ने जो अनुभव किया और बताया वह अत्यंत रूचिकर है। बाबा के अवतार बताए जाने वाले साधुओं ने जो घटनाएं और साक्ष्य बताएं हैं उनसे भी इस बात को बल मिलता है कि कुछ तो है जो लगातार कई वर्षो से निरंतर हो रहा है
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शुक्रवार, 15 अगस्त 2014
udaydinmaan: विश्व की सबसे बड़ी पैदल धार्मिक यात्रा -
udaydinmaan: विश्व की सबसे बड़ी पैदल धार्मिक यात्रा -: "हिमालयी कुम्भ नंदा राज जात 18 अगस्त 2014 से शुरू हो रही है" जो 06 सितम्बर तक चलेगी ! नंदा राज जात के बारे में जानिये पूर्ण वि...
विश्व की सबसे बड़ी पैदल धार्मिक यात्रा -
"हिमालयी कुम्भ नंदा राज जात 18 अगस्त 2014 से शुरू हो रही है" जो 06 सितम्बर तक चलेगी ! नंदा राज जात के बारे में जानिये पूर्ण विवरण :-
श्रीनंदा राजजात 2014 कार्यक्रम
(18 अगस्त से 06 सितंबर तक )
दिनांक यात्रा के पड़ाव पदयात्रा (किमी में) समुद्र तल से ऊंचाई (मी. में)
18/8/2014 श्रीनंदा देवी राजराज 10 1240 मी
का शुभारंभ।
नौटी से ईड़ाबधाणी
विशेष : पवित्र राज छंतोली और स्वर्ण प्रतिमा पर प्राण प्रतिष्ठा। यात्रा का शुभारंभ प्रात: 11.40 बजे।
19/8/2014 ईड़ाबधाणी से नौटी 10 1650 मी
20/8/2014 नौटी से कांसुवा 10 1530 मी
21 /82014 कांसुवा से सेम 10 1530 मी
विशेष : चांदपुर गढ़ी में राज परिवार करेगा मां नंदा की पूजा।
23/8/2014 कोटी से भगोती 12 1500 मी
24/8/2014 भगोती से कुलसारी 12 1050 मी
विशेष : कुलसारी मंदिर में अमावस्या की रात को मां काली की श्रीयंत्र की विशेष पूजा-अर्चना।
25/8/2014 कुलसारी से चेपड्यूं 10 1165 मी
26/8/2014 चेपड्यूं से नंदकेशरी 05 1200 मी
27/8/2014 नंदकेशरी से फल्दियागांव 10 1480 मी
28/8/2014 फल्दियागांव से मुंदोली 10 1750 मी
29/8/2014 मुंदोली से वांण 15 2450 मी
30/8/2014 वांण से गरोली पातल 10 3032 मी
31/8/2014 गरोली पातल से वैदनी कुंड 03 3450 मी
01/9/2014 वैदनी से पातरनचौणियां 09 3650 मी
02/9/2014 पातरनचौणिंया से शिलासमुद्र 15 4210 मी
03/9/2014 शिलासमुद्र से होमकुंड 16 4450 मी
विशेष : नंदानवमी को प्रात: 10.45 मिनट पर मां श्रीनंदा की राजजात की पूजा। चार सिंग के मेढ़ा को विदा किया जाता है। इसी दिन वापसी के तहत रात्रि विश्राम के लिए चंदनियाघाट
04/9/2014 चंदनियाघाट से सुतोल 18 2192 मी
5/9/2014 सुतोल से घाट 25 1331 मी
6/9/2014 घाट से नौटी (बस से) 60 1331 मी
वापसी में नंदप्रयाग, लंगासू, कर्णप्रयाग और ईड़ाबधाणी में राजजात का सुफल भी दिया जाएगा। जबकि 7 सितंबर को नौटी में नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत के विसर्जन और कांसुवा के कुंवरों की विदाई के साथ ही राजजात का विधिवत समापन हो जाएगा।
बुधवार, 13 अगस्त 2014
राजवंश में अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर
आज आपको रूबरू करवाता हूँ !!! इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया. बौद्धिक इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढाई में खराब प्रदर्शन के कारण बाहर निकाल दी गयी. उसके बाद उनको शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया. शान्तिनिकेतन से बहार निकाल जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी. राजनीतिज्ञ के रूप में पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के स्विट्जरलैंड में मर रही थी. उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया. फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पे मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था. फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए. महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा. श्री प्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी, कि फिरोज खान के साथ अवैध संबंध बना रहा था. फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द ही वह अपने धर्म का त्याग कर,एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन केएक मस्जिद में फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी. इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने नया नाम मैमुना बेगम रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू इस शादी से काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी. नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बन्ने की सम्भावना खतरे में आ गयी. तो, नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उपनाम खान से गांधी कर लो. परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना - देना नहीं था. यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था. और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गया है, हालांकि यह बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह एक असंगत नाम है. दोनों ने ही भारत की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था. जब वे भारत लौटे, एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए स्थापित किया गया था. इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं. जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने अपनीअसली पहचान छुपाने के लिए नाम बदले. . के.एन. राव की पुस्तक "नेहरू राजवंश" (10: 8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र नहीं था, जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक तथ्यों कोसामने रखा गया है. उसमे यह साफ़ तौर पे लिखा हुआ है की संजय गाँधी एक और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था. दिलचस्प बात यह है की एक सिख लड़की मेनका का विवाह भी संजय गाँधी के साथ मोहम्मद यूनुस के घरमें ही हुआ था. मोहम्मद यूनुस ही वह व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के बाद सबसे ज्यादा रोया था. 'यूनुस की पुस्तक "व्यक्ति जुनून और राजनीति" (persons passions and politics )(ISBN-10: 0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है की संजय गाँधी के जन्म के बाद उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ किया गया था. कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru Gandhi (ISBN: 9780007259304) में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर प्रकाश डाला है. यह लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन में जर्मन शिक्षक के साथ था. बाद में वह एमओ मथाई, (पिता के सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्द हुई.पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के लिए संबंध के बारे में एक दिलचस्परहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक "profiles and letters " (ISBN: 8129102358 ) में किया. यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी . नटवरसिंह एक आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे. दिन भर के कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर जाना था . कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद,इंदिरा गांधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहींकिया गया. अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही . अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी . यह एक सुनसान जगहथी. वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद करके कड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे . जब इंदिरा ने उसकी प्रार्थना समाप्तकर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली "आज मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया (Today we have had our brush with history ". यहाँ आपको यह बता दे की बाबर मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य से उत्पन्न हुआ. इतने सालो से भारतीय जनता इसी धोखे मेंहै की नेहरु एक कश्मीरी पंडित था....जो की सरासर गलत तथ्य है..... इस तरह इन नीचो ने भारत में अपनी जड़े जमाई जो आज एक बहुत बड़े वृक्ष में तब्दील हो गया हैं , जिसकी महत्वाकांक्षी शाखाओ ने माँ भारती को आज बहुत जख्मी कर दिया हैं ,,यह मेरा एक प्रयास हैं आज ,,कि आज इस सोशल मीडिया के माध्यम से ही सही मगर हकीकत से रूबरू करवा सकू !!! ,,,बाकी देश के प्रति यदि आपकी भी कुछ जिम्मेदारी बनती हो..
बुधवार, 6 अगस्त 2014
बिजली का आविष्कार
महर्षि अगस्त्य ने किया था बिजली का आविष्कार
वैज्ञानिक ऋषियों के क्रम में महर्षि अगस्त्य भी एक वैदिक ऋषि थे। निश्चित ही आधुनिक युग में बिजली का आविष्कार माइकल फैराडे ने किया था। बल्ब के अविष्कारक थॉमस एडिसन अपनी एक किताब में लिखते हैं कि एक रात मैं संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया। उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया जिससे मुझे बल्ब बनाने में मदद मिली।
महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। महर्षि अगस्त्य को मंत्रदृष्टा ऋषि कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने तपस्या काल में उन मंत्रों की शक्ति को देखा था। ऋग्वेद के अनेक मंत्र इनके द्वारा दृष्ट हैं। महर्षि अगस्त्य ने ही ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 165 सूक्त से 191 तक के सूक्तों को बताया था। साथ ही इनके पुत्र दृढ़च्युत तथा दृढ़च्युत के पुत्र इध्मवाह भी नवम मंडल के 25वें तथा 26वें सूक्त के द्रष्टा ऋषि हैं।
महर्षि अगस्त्य को पुलस्त्य ऋषि का पुत्र माना जाता है। उनके भाई का नाम विश्रवा था जो रावण के पिता थे। पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा के पुत्र थे। महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ-नरेश की पुत्री लोपामुद्रा से विवाह किया, जो विद्वान और वेदज्ञ थीं। दक्षिण भारत में इसे मलयध्वज नाम के पांड्य राजा की पुत्री बताया जाता है। वहां इसका नाम कृष्णेक्षणा है। इनका इध्मवाहन नाम का पुत्र था।
अगस्त्य के बारे में कहा जाता है कि एक बार इन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से समुद्र का समूचा जल पी लिया था, विंध्याचल पर्वत को झुका दिया था और मणिमती नगरी के इल्वल तथा वातापी नामक दुष्ट दैत्यों की शक्ति को नष्ट कर दिया था। अगस्त्य ऋषि के काल में राजा श्रुतर्वा, बृहदस्थ और त्रसदस्यु थे। इन्होंने अगस्त्य के साथ मिलकर दैत्यराज इल्वल को झुकाकर उससे अपने राज्य के लिए धन-संपत्ति मांग ली थी।
'सत्रे ह जाताविषिता नमोभि: कुंभे रेत: सिषिचतु: समानम्। ततो ह मान उदियाय मध्यात् ततो ज्ञातमृषिमाहुर्वसिष्ठम्॥ इस ऋचा के भाष्य में आचार्य सायण ने लिखा है- 'ततो वासतीवरात् कुंभात् मध्यात् अगस्त्यो शमीप्रमाण उदियाप प्रादुर्बभूव। तत एव कुंभाद्वसिष्ठमप्यृषिं जातमाहु:॥
मंगलवार, 5 अगस्त 2014
जननेता हरीश रावत
आम जनता के लिए सप्ताह में अब केवल 2 घण्टे का समय है मुख्यमंत्री हरीश रावत के पास
कभी आम जनता को अपने दरवाजे 24 घण्टे खुले रखने वाले जननेता हरीश रावत ने मुख्यमंत्री बनने के चंद महीनों के बाद उनके दर पर अपनी समस्याओं की फरियाद ले कर आने वालों की भारी भीड़ से घबरा कर आम जनता से मिलने का अब सप्ताह में केवल दो घण्टे के का ही समय रखा है। प्रातःकाल से लेकर मध्य रात्रि तक आये दिन हर समय अपने दर पर मिलने वालों की भीड़ से परेशान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस समस्या से निजात पाने के लिए आखिरकार निदान ठुंढ ही लिया। उन्होंने इसके लिए मिलने वालों से मुलाकात की एक समय सारणी बनाने का निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री के दरवार में मिलने वालों को भारी अनिमियताओं का सामना करना पड़ता है। आम आदमियों को ही नहीं मंत्री, विधायकोंव अधिकारियों को भी इंतजारी का दंश झेलना पड़ता। खुद मुख्यमंत्री व उनका कार्यालय के लोग भी इस समस्या से काफी परेशान थे। दुर्घटना से पहले मुख्यमंत्री को इस समस्या से निपटने में ज्यादा परेशानी तो नहीं होती परन्तु जब से दुर्घटना हुई उसके बाद वे काफी सावधानी बरत रहे हैं।
इसी को देखते मुख्यमंत्री ने इस समस्या के निदान के लिए अपने साप्ताहिक मिलने की सारणी को जारी किया। इसके तहत अब मुख्यमंत्री प्रत्येक सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को प्रातः9.30 से 11 बजे का समय मंत्रियों, विधायकों व शासन में बैठे सचिवों के लिए आरक्षित किया गया है।
सोमवार को प्रात11 से एक बजे तक का समय कांग्रेस के सभी फ्रन्टल संगठनों के अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, शहर अध्यक्ष व ब्लाक अध्यक्षों और 2002 से 2012 तक कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों के लिए रखा गया है। सोमवार को सायं 6 से 8 बजे का समय सांसदों व विधायकों के लिए रहेगा। इसके अतिरिक्त
मंगलवार, दोहपर 3 से सांय 5 बजे तक का समय शासकीय व पत्रावलियों के निस्तारण के लिए और सांय 6 से 8 बजे का समय कर्मचारी संगठनों के लिए रखा गया है।
बुधवार को प्रातः 11 से दोपहर एक बजे का समय सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, मेयर नगर निगम, नगर पंचातय अध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख, पंचायत जन प्रतिनिधिगण (वर्तमान व पूर्व) पार्षद व जिला पंचायत सदस्यों के लिए आरक्षित किया गया है।
वृहस्पतिवार को प्रात 11 से दोपहर एक बजे तक कांग्रेस पदाधिकारियों के लिए और 3 से सांय 6 जनता दर्शन कार्यक्रम तय किया गया है।
शुक्रवार को प्रातः मंत्रियों व विधायको से मुलाकात के बाद दोपहर 12 से 2 बजे का समय वर्तमान व पूर्व सांसदों और विधायकों के लिए रखा गया है। सांय 6 से रात्रि 8 बजे का समय सामाजिक व सास्कृतिक संगठनों के लिए रखा गया है।
शनिवार को मुख्यमंत्री जनता पर दूरभाष पर वार्ता करेंगे। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री से समय लेकर मुलाकात की जा सकती है। इसमें राजनैतिक दलों के नेता से लेकर सांसद व विधायक भी शामिल है। हालांकि इस समय सारणी से मिलने वालों को भी राहत मिलेगी। परन्तु आम जनता के लिए सप्ताह के 168 घण्टों में केवल दो घण्टे का समय रखना प्रदेश की जनता के लिए कहां तक राहत देने वाला होगा। परन्तु हरीश रावत जैसे जननेता से आम जनता को यह आश नहीं थी।
इसी को देखते मुख्यमंत्री ने इस समस्या के निदान के लिए अपने साप्ताहिक मिलने की सारणी को जारी किया। इसके तहत अब मुख्यमंत्री प्रत्येक सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को प्रातः9.30 से 11 बजे का समय मंत्रियों, विधायकों व शासन में बैठे सचिवों के लिए आरक्षित किया गया है।
सोमवार को प्रात11 से एक बजे तक का समय कांग्रेस के सभी फ्रन्टल संगठनों के अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, शहर अध्यक्ष व ब्लाक अध्यक्षों और 2002 से 2012 तक कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों के लिए रखा गया है। सोमवार को सायं 6 से 8 बजे का समय सांसदों व विधायकों के लिए रहेगा। इसके अतिरिक्त
मंगलवार, दोहपर 3 से सांय 5 बजे तक का समय शासकीय व पत्रावलियों के निस्तारण के लिए और सांय 6 से 8 बजे का समय कर्मचारी संगठनों के लिए रखा गया है।
बुधवार को प्रातः 11 से दोपहर एक बजे का समय सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, मेयर नगर निगम, नगर पंचातय अध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख, पंचायत जन प्रतिनिधिगण (वर्तमान व पूर्व) पार्षद व जिला पंचायत सदस्यों के लिए आरक्षित किया गया है।
वृहस्पतिवार को प्रात 11 से दोपहर एक बजे तक कांग्रेस पदाधिकारियों के लिए और 3 से सांय 6 जनता दर्शन कार्यक्रम तय किया गया है।
शुक्रवार को प्रातः मंत्रियों व विधायको से मुलाकात के बाद दोपहर 12 से 2 बजे का समय वर्तमान व पूर्व सांसदों और विधायकों के लिए रखा गया है। सांय 6 से रात्रि 8 बजे का समय सामाजिक व सास्कृतिक संगठनों के लिए रखा गया है।
शनिवार को मुख्यमंत्री जनता पर दूरभाष पर वार्ता करेंगे। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री से समय लेकर मुलाकात की जा सकती है। इसमें राजनैतिक दलों के नेता से लेकर सांसद व विधायक भी शामिल है। हालांकि इस समय सारणी से मिलने वालों को भी राहत मिलेगी। परन्तु आम जनता के लिए सप्ताह के 168 घण्टों में केवल दो घण्टे का समय रखना प्रदेश की जनता के लिए कहां तक राहत देने वाला होगा। परन्तु हरीश रावत जैसे जननेता से आम जनता को यह आश नहीं थी।
ज्योतिषी पंडित अरुणेश कुमार शर्मा
मेष- नौकरीपेशा लोगों के लिए सहजता शुभता के साथ आया अगस्त माह उत्तरोत्तर शुभकारक है। प्रशासनिक गलियारों में पहुंच बढ़ेगी। भूमि भवन संबंधी मामले सधेंगे। सुख संसाधनों की पर्याप्तता रहेगी। व्यर्थ के विवादों में उलझने से बचें। पूर्वार्ध में तैयारी करें। उत्तरार्ध में अवसरों की अधिकता और समझ बढ़ेगी। नए मित्र बनेंगे। परीक्षा प्रतियोगिता और प्रेम में सफल होंगे।
वृषभ- मन बुद्धि को बल देता आया अगस्त माह कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक है। भेंटवार्ताओं और जनसंपर्क में बेहतर करेंगे। शुभ सूचनाओं का आदान प्रदान करेंगे। भाग्य का साथ बना रहेगा। पूर्वार्ध में प्रदर्शन और सक्रियता से सबको प्रभावित करेंगे। उत्तरार्ध में आवश्यक कारणों से घर से दूर जाना पड़ सकता है। दाम्पत्य में सहजता और संस्कार बढ़ेंगे। आय का प्रतिशत संवरेगा।
मिथुन- घर परिवार में सुख शांति समृद्धि बढ़ाता आया अगस्त माह समझ और सक्रियता बढ़ाने वाला है। धनधान्य की प्रचुरता रहेगी। रहन-सहन संवार पर रहेगा। पूर्वार्ध में परिजनों से नजदीकी रहेगी। उनकी सलाह और समर्थन से अच्छा करते रहेंगे। उत्तरार्ध में अनुशासन और पराक्रम को बल मिलेगा। तार्किकता बढ़ेगी। बड़ों से बहस से बचें। सकारात्मक सोच बनाए रखें।
कर्क- मेलजोल और जनसंपर्क को बल देता आया जुलाई माह नवीन उंचाईयों को छूने को प्रेरित करेगा। सक्रियता समझ और प्रभाव में बेहतर रहेंगे। निजी जीवन में शुभता का संचार रहेगा। लोकप्रियता का ग्राफ चढ़ेगा। पूर्वार्ध में तैयारी पर जोर दें। मेहनत और अनुशासन बढ़ाएं। उत्तरार्ध में सफलता का प्रतिशत उंचा रहेगा।
सिंह- परिजनों के साथ नजदीकी और सुख-सौख्य बढ़ाता आया अगस्त माह मिश्रित फलकारक है। समाज में मान सम्मान बढ़ेगा। आम लोगों के हितचिंतन पर जोर रह सकता है। रिश्तों में मधुरता आएगी। खर्च पर अंकुश बनाए रखें। पूर्वार्ध में अहम् पर नियंत्रण रखें। उत्तरार्ध में सटीक निर्णयों को बल मिलेगा। पूछपरख बढ़ेगी। सुनने की आदत बनाए रखें। अधिनस्थों पर कठोर अनुशासन बनाए रखेंगे।
कन्या- सहजता, सृजनात्मकता और स्मरणशक्ति के साथ आया अगस्त माह आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने वाला है। करियर कारोबार में शुभता का संचार रहेगा। विभिन्न स्त्रोतों से आय संभव है। शिक्षा प्रेम संतान और प्रतियोगिता पक्ष हितकर रहेंगे। पूर्वार्ध में अधिकाधिक समय कार्यक्षेत्र में देने की सोच रखें। उत्तरार्ध में दिखावे पर खर्च करने से बचें। अपनों को साथ लेकर चलें।
तुला- रिश्तों में मिठास और नजदीकी बढ़ाता आया अगस्त कार्यक्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित करने में सहायक हो सकता है। श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण लोगों का सानिध्य और समर्थन मिलेगा। पदोन्नति और पुरस्कार प्राप्ति की संभावना है। पूर्वार्ध में प्रयास फलेंगे। उत्तरार्ध में लाभ का प्रतिशत संवार पर रहेगा। घर में रौनक रहेगी। अच्छे मेजबान साबित होंगे। रक्त संबंध सुधरेंगे।
वृश्चिक- योग्यता प्रदर्शन को बल देता आया अगस्त माह सौभाग्यशाली रहने वाला है। शुभ संकेतों की अधिकता बनी रहेगी। आस्था और आत्मविश्वास को बल मिलेगा। मनोरंजक यात्रा पर जा सकते हैं। मेलजोल बढ़ाने में रुचि रहेगी। कारपोरेट मीटिंग्स में बेहतर करेंगे। पूर्वार्ध में अवसरों को पहचानने में चूक न करें। उत्तरार्ध में श्रेष्ठ प्रदर्शन से सबको प्रभावित करेंगे। पुरस्कृत हो सकते हैं।
धनु- पद प्रतिष्ठा और प्रभाव बढ़ाता आया अगस्त माह उत्तरोत्तर श्रेष्ठता भरने वाला है। अनुशासन और निरंतरता के साथ आगे बढ़ते रहें। नियमों का मान रखें। योजनाओं को साझा करने से बचें। परिजन मददगार रहेंगे। भौतिक संसाधनों की प्रचुरता रहेगी। पूर्वार्ध में कहने से ज्यादा करने में विश्वास रखें। उत्तरार्ध में भाग्य का प्रतिशत संवरेगा। आस्था और आत्मविश्वास बढ़ेंगे।
मकर- धर्म-संस्कारों में विश्वास जगाता आया अगस्त माह घर परिवार में खुशियों को बढ़ाएगा। मित्र विश्वसनीय रहेंगे। व्यक्तित्व प्रभावी होगा। नए साझीदारी संबंध बन सकते हैं। दाम्पत्य में पवित्रता और स्नेह पर जोर दें। अत्यावश्यक कार्यों को पूर्वार्ध में पूरा करने की सोच रखें। उत्तरार्ध में कम बोलें और ज्यादा करें की नीति अपनाएं। समाज के साधारण
तबके से सहयोग प्राप्त होगा।
कुंभ- अनुशासन और आत्मसम्मान की प्रेरणा संग आया अगस्त माह उत्तरोत्तर शुभकारक रहने वाला है। सेवा क्षेत्र से जुड़े लोग अच्छा करेंगे। नए प्रस्ताव प्राप्त होंगे। घर में सुख शांति और संचय बढ़त पर रहेंगे। सामाजिक सरोकारों में दखल बना रहेगा। पूर्वार्ध में प्रयासों में तेजी बनाए रखें। उत्तरार्ध में अधिकांश कार्य स्वतः सध सकते हैं। व्यर्थ विवादों को यथासंभव टालें।
मीन- निज संबंधों में उर्जा भरता आया अगस्त माह सफलता के नए सौपान प्राप्त करने को प्रेरित करेगा। अपनी योजनाएं साझा करने से बचें। गलतियों पर नियंत्रण रखें और उन्हें दूर करने का प्रयास करें। शिक्षा संतान और प्रेम पक्ष हितकर रहेंगे। पूर्वार्ध में तैयारी पर जोर दें। उत्तरार्ध में अवसरों को सटीक प्रदर्शन से उपलब्धि में बदलें। अहम न रखें। जीत के लिए जो संभव बन पड़े करें।
रविवार, 3 अगस्त 2014
शनिवार, 2 अगस्त 2014
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