सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु आवंटित धनराशी का उपयोग ना करना तो बहुत बुरी बात है, तुम भी कैसे ठहरे हो, तुम्हे उत्तर प्रदेश में योजनाओं का क्रियान्वयन न करने वाला अधिकारी तो दिखाई दे गया, लेकिन अपने उत्तराखण्ड में जो ऐसा काम कर प्रमोशन ले गए उन पर तुम्हारी तीखी नजर क्यों नहीं गयी ? क्या इसलिए वो तेरे खासम ख़ास हैं या मंत्री के कमाऊ पूत हैं इसलिए ?
अरे देख तो रे जरा शासन का आवंटन पत्र संख्या 98/XVII(1)06-15(प्रकोष्ठ) 2006 दिनांकित 16-मार्च-2006 को, जिसमें स्पेशल कंपोनेंट प्लान के अंतर्गत जनपद हरिद्वार और उधमसिंहनगर में एक-एक एम्बुलेंस खरीदने को 80.00 लाख रूपये की धनराशी आवंटित की गयी थी !
उस समय के अधिकारी भी ऐसे ही रहे होंगे कि उन्हें सुध ही नहीं आयी कि इस पैसों से भी समाज के दबे कुचले वर्ग के लिए एक-एक एम्बुलेंस टाईप का कुछ खरीदा जाना है, वो भी अनुसूचित जातियों के बहुल्य क्षेत्र में उपयोग के लिए !
अब इस ग्याडू ने अपने पुराने दस्तावेज खंगाले तो पता लगा है कि तेरे खासमखास पोटीयाल जैसों ने दिनांक 05-मार्च-2012 तक उस धनराशी का उपयोग ही नहीं किया, और अंत में कह दिया कि 80.00 लाख में दो जिलों के लिए एक-एक एम्बुलेंस जैसा वाहन नहीं खरीदा जा सकता बल, दो एम्बुलेंस खरीदने के लिए 80.00 लाख भी रुपया कम पड़ रहा है बल ?
अब देख तो तेरे तत्समय के समाज कल्याण के लिए जिम्मेदार अधिकारी 80.00 लाख रूपये में एम्बुलेंस ना खरीद कर हेलिकॉप्टर खरीदना चाह रहे थे बल ! अब ये तो तेरे वो अधिकारी ही जाने या तू ही जाने जिन्होंने उक्त 80.00 लाख रूपये की भारी भरकम धनराशी को 6 वर्षों तक खर्च भी नहीं किया और ना ही विभाग के बैक खाते में जमा किया, अब और भी जन कल्याण को आयी धनराशीयों के तेरे खासों ने क्या किया होगा ये तो तू ही जाने ?
बल ये ग्याडू तेरी जगह बैठा होता तो उत्तर प्रदेश के 41.50 लाख रुपयों को गड्डे में डालकर अपनी जान देकर बनाए इस उत्तराखण्ड के 80.00 लाख रूपये की रकम को योजनाओं में न लगाने वाले एक-एक अधिकारी की पहचान कराता, अब तेरे प्यारे तो, तेरे प्यारे ही ठहरे, ये ग्याडू भी देखता है तू किस-किस दोषी अधिकारी की दो दो वेतन वृद्धियां स्थायी रूप से रोकने के साथ साथ परनिंदा प्रविष्ठी करने का फरमान जारी करता है ?
कुछ करेगा ना कल को, या सुअरों का दण्ड यूँ ही फकीरों पर जबरन पेलता रहेगा, वैसे तेरे भेदिये तेरे को सब खबर तो देतेईच होंगे ना !
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