आखिर कहां हैं इन दिनों रावल
शीतकाल में जोशीमठ रहने के लिए हुआ था प्रस्ताव पारित ?विश्व प्रसि( धम बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल के शीतकाल में जोशीमठ या पांडुकेश्वर में रहने के लिए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पारित प्रस्ताव के अमल में नहीं आने से एक बार रावल को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। बीते साल दिल्ली में एक होटल में मुख्य पुजारी रावल द्वारा एक युवती के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सुर्खियों में आने से बदरीनाथ धम की मर्यादा को शर्मशार होना पड़ा था। यही वजह रही कि इस घटना के बाद मंदिर समिति ने रावलों के इतिहास को खंगालते हुए 6 माह कपाट बंद होने के बाद रावल को जोषीमठ में रहने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। लेकिन बीते साल 27 नवंबर को बदरीनाथ धम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। कपाट बंद होने के साथ ही बदरीनाथ के रावल समिति के प्रस्ताव को ठेंगा दिखाते हुए जोशीमठ से रपफप्फू चक्कर हो गए थे। शीतकाल में रावल कहां हैं और क्या कर रहे हैं। इसको लेकर ध्र्म क्षेत्रा के लोगों में संशय बरकरार है। अलबत्ता बीते 24 जनवरी को बसंत पंचमी के मौके पर रावल अचानक टिहरी नरेश के राज दरवार में प्रकट हो गए। और पिफर कुछ बहाना तलाश कर एक बार परिदृष्य हो गए हैं। पिछले रावलों के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो कई बार रावलों के आचरण को लेकर उंगली उठती रही है। इतिहास इस बात का भी साक्षी है कि समय-समय पर रावल इतने निरंकुश रहे कि उनकी वजह से बदरीनाथ धम की महत्ता को भी ठेस पंहुचती रही। बीते कुछ दशकों से रावल का पद पूरी तरीके से व्यवसायिक होता चला जा रहा है। मान्यता है कि दक्षिण भारत के केरल प्रांत के नंबूदरी पाद ब्राह्मणों में से आजीवन ब्रह्मश्चर्य का व्रत धरण करने वाले युवक को ही रावल पद पर नियुक्त किए जाने की परंपरा है लेकिन बीते कुछ समय से करोड़ों लोगों के आस्था और विश्वास का यह पद महज कमाई के जरिए तक सिमट कर रह गया है। रावल के शीतकाल प्रवास को लेकर समय-समय पर सवाल खड़ें होते रहे हैं। इस मामले पर जब बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल से जानकारी चाही गई तो उनका कहना था कि रावल के घर में कोई गंभीर रूप से अस्वस्थ है और रावल का दायित्व निभा रहे नायब रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी अनुमति लेकर अपने घर गए हैं। गोदियाल का कहना है कि दिल्ली में रावल पर लगे आरोपों का मामला अभी न्यायालय के विचाराध्ीन है इसलिए रावल की नियुक्ति में तकनीकि अड़चने आ रही हैं। लेकिन जल्दी ही रावल को लेकर कोई उपयुक्त समाधन निकाल लिया जाएगा। इस मामले में जानने के लिए मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी से संपर्क साधने की कई बार कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं पाया। कुल मिलाकर करोड़ों लोगों के श्र(ा व विश्वास के इस पद पर बैठे लोग किस ढंग से ध्र्म जगत पर कुठाराघात करने पर उतारू हैं इसका अंदाजा सहज ढंग से लगाया जा सकता है।
साभार हिंदी दैनिक जन आगाज गोपेश्वर चमोली
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें