मंगलवार, 24 मार्च 2015

केदारनाथ त्रासदी-एक सच



केदारघाटी विस्थापन एवं पुनर्वास संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. अजेंद्र अजय ने उसे सोमवार को बेस अस्पताल में दाखिल कराया, जहां मनोविज्ञानी ने उसका परीक्षण किया। बताया कि इसका लंबा इलाज चलेगा। 15-15 दिन बाद उसे दिखाना पड़ेगा। इसके बाद उसके परिजन उसे अपने साथ ले गए। चमोली के नागनाथ पोखरी के सिमतोली गांव निवासी 46 वर्षीय पुष्कर सिंह मुम्बई में नौकरी करता था। 14 जून 2013 को वह अगस्त्यमुनि स्थित अपने भाई की दुकान पर पहुंचा। जहां से वह अपने एक अन्य रिश्तेदार के यहां तिलवाड़ा गया। 15 जून 2013 को बाइक से वह तिलवाड़ा से सोनप्रयाग की ओर गया। इसके बाद वह आपदा में लापता हो गया। उसके परिजनों ने अगस्त्यमुनि पुलिस चौकी में उसकी रिपोर्ट भी लिखाई। डा. अजेंद्र अजय के अनुसार बाद में शासन ने इसे मृत भी घोषित कर दिया गया था। बीते 21 मार्च को पुष्कर सिंह के ममेरे भाई संतोष कुंवर को वह रुद्रप्रयाग के पास दीनहीन हालत में घूमता मिला। उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति बहुत खराब थी। चोट के कारण उसका एक पैर भी खराब हो चुका था। अजय ने बताया कि वह जून 2013 के बाद से अब तक के समय को लेकर अपने बारे में कुछ भी नहीं बता पा रहा है। मानसिक रूप से भी अस्वस्थ लग रहा है। सोमवार को उसके परिजन उसे इलाज के लिए बेस अस्पताल लाए, जहां मनोविज्ञानी ने उसका परीक्षण कर लंबे समय तक इलाज की बात कही। अजेंद्र अजय ने प्रदेश सरकार से आपदा प्रभावित पुष्कर सिंह का सरकारी खर्च पर उपचार कराने की मांग की। साथ ही लापता लोगों को भी तलाश करने की मांग उठाई ताकि अन्य लोगों को इस तरह न भटकना पड़े।जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: सरकार ने भले ही आपदा को बुरे ख्वाब की तरह भुला दिया हो लेकिन अब भी लोग अपनों की तलाश में उत्तराखंड आ रहे हैं। यही नहीं, आपदा में लापता लोग भी भटकते हुए मिल जा रहे हैं। 46 वर्षीय एक आपदा प्रभावित तीन दिन पहले रुद्रप्रयाग में मिला, जबकि सरकार उसे मृत घोषित कर चुकी थी। इस युवक की हालत बेहद खराब है। केदारघाटी विस्थापन एवं पुनर्वास संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. अजेंद्र अजय ने उसे सोमवार को बेस अस्पताल में दाखिल कराया, जहां मनोविज्ञानी ने उसका परीक्षण किया। बताया कि इसका लंबा इलाज चलेगा। 15-15 दिन बाद उसे दिखाना पड़ेगा। इसके बाद उसके परिजन उसे अपने साथ ले गए। चमोली के नागनाथ पोखरी के सिमतोली गांव निवासी 46 वर्षीय पुष्कर सिंह मुम्बई में नौकरी करता था। 14 जून 2013 को वह अगस्त्यमुनि स्थित अपने भाई की दुकान पर पहुंचा। जहां से वह अपने एक अन्य रिश्तेदार के यहां तिलवाड़ा गया। 15 जून 2013 को बाइक से वह तिलवाड़ा से सोनप्रयाग की ओर गया। इसके बाद वह आपदा में लापता हो गया। उसके परिजनों ने अगस्त्यमुनि पुलिस चौकी में उसकी रिपोर्ट भी लिखाई। डा. अजेंद्र अजय के अनुसार बाद में शासन ने इसे मृत भी घोषित कर दिया गया था। बीते 21 मार्च को पुष्कर सिंह के ममेरे भाई संतोष कुंवर को वह रुद्रप्रयाग के पास दीनहीन हालत में घूमता मिला। उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति बहुत खराब थी। चोट के कारण उसका एक पैर भी खराब हो चुका था। अजय ने बताया कि वह जून 2013 के बाद से अब तक के समय को लेकर अपने बारे में कुछ भी नहीं बता पा रहा है। मानसिक रूप से भी अस्वस्थ लग रहा है। सोमवार को उसके परिजन उसे इलाज के लिए बेस अस्पताल लाए, जहां मनोविज्ञानी ने उसका परीक्षण कर लंबे समय तक इलाज की बात कही। अजेंद्र अजय ने प्रदेश सरकार से आपदा प्रभावित पुष्कर सिंह का सरकारी खर्च पर उपचार कराने की मांग की। साथ ही लापता लोगों को भी तलाश करने की मांग उठाई ताकि अन्य लोगों को इस तरह न भटकना पड़े।
कुछ दिन पहले भी चमोली जिले के घाट ब्लाक में विक्षिप्त हालत में मिली महिला के केदारनाथ आपदा के दौरान अपनों से बिछुडऩे की बात बताई गई। घाट बाजार में कंबल ओढ़े एक विक्षिप्त महिला को देखकर लोगों ने उससे जानकारी लेनी चाही तो वह सकपका गई। लोगों की सूचना पर पुलिस ने वहां पहुंचकर महिला से उसके घर परिवार के बारे में जानकारी जुटाई। महिला ने पुलिस को बताया कि केदारनाथ आपदा में वह अपनों से बिछुड़ गई थी। तब से वह इसी तरह भटक रही है। यह महिला बोल कुछ नहीं पा रही है, उसने पुलिस का एक कागज पर लिखकर अपने बारे में जानकारी दी।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों उत्तरकाशी जनपद में भी राजस्थान की एक महिला भी ऐसी हालत में मिली थी। वह भी केदारनाथ आपदा में अपनों से बिछुड़ गई थी। पता चलने पर परिजन उसे साथ ले गए थे।

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