बुधवार, 15 अप्रैल 2015

अभी भगवान की नाराजगी दूर नहीं हुई



चारधाम यात्रा के लिए अपने-अपने यजमान को टटोल रहे तीर्थ पुरोहितों को मिल रहे जवाब निराशाजनक हैं और ऐसा लग रहा है कि अभी भगवान की नाराजगी दूर नहीं हुई है। वर्ष 2013 की प्राकृतिक आपदा के बाद से चारधाम यात्रा ठप है। सरकार के स्तर से किए गए तमाम उपक्रमों के बावजूद 2014 में यात्रा जोर नहीं पकड़ सकी। परिणामस्वरूप यात्रा पर निर्भर लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। इस वर्ष लोग यात्रा के जोर पकड़ने की उम्मीद लगाए बैठे थे। यात्रा मार्ग को सुगम बनाने के लिए निम जैसे संस्थानों ने पूरा जोर लगा दिया और सरकार ने भी अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी। र्शम और साहस का ऐसा समिर्शण सामने आया कि इसने केदारधाम जैसे दुर्गम क्षेत्र में कई कीर्तिमान बना डाले। परंतु इसके बाद भी कुदरत से पार नहीं पाया जा सका और इसका एकमात्र कारण है लगातार हो रही बेमौसमी बारिश। दरअसल, इस बारिश ने सबसे अधिक उन राज्यों को प्रभावित किया है जहां से चारधाम यात्रा पर सबसे अधिक यात्री आते हैं। इन यात्रियों में सबसे बड़ा हिस्सा किसानों का होता है। यात्रियों का ये तबका लोकल बाजार को सबसे अधिक ऑक्सीजन देता है। ऐसे राज्यों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश शामिल हैं। इन राज्यों में किसानों को सबसे अधिक नुकसान की बात सामने आ रही है। सूचना है कि मुसीबत में घिरे किसान इस बार चारधाम यात्रा नहीं करने का मन बना रहे हैं। लोगों को यात्रा के लिए प्रेरित करने वाले तीर्थ पुरोहित भी ही ऐसा मान रहे हैं। यजमानों को कपाट खुलने की जानकारी दे रहे तीर्थ पुरोहितोंे से किसान फोन पर नुकसान का जिक्र कर रहे हैं। वे साफ कह रहे हैं कि फसलें नष्ट होने के कारण इस बार उनका यात्रा पर जाना मुश्किल होगा।आस्था के पथ पर उम्मीदों का दामन फैला हुआ है। यात्रा के जरिए आर्थिकी को आकार देने का भगीरथ प्रयास हो रहे हैं। दो वर्ष पूर्व आई जल प्रलय में बह गई सूबे की साख को वापस लाने की जद्दोजहद जारी है। भगवान के दर पर भक्तों का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। यानी समग्र रूप में यूं कह लें कि मंद व कुंद पड़ी पहाड़ की श्रद्धामयी कोलाहल को वापस लाने के सारे इंतजाम कर लिए गए हैं। पर विडंबना यह है कि भगवान आज भी नाराज हैं और उनकी नाराजगी कभी बाढ़ तो कभी बारिश के रूप में सामने आ रही है। निम के अथक प्रयास और सरकार की सकारात्मक सोच ने चारधाम यात्रा को फिर से जीवंत होने की उम्मीद तो जगा दी परंतु लगातार हो रही बेमौसमी बारिश ने किसानों को इस कदर तबाह कर दिया है कि वे इस बार चारधाम यात्रा का विचार ही त्याग रहे हैं।संभावित र्शद्धालुओं के इस रुख से टूर ऑपरेटर से लेकर ढाबे वालों तक चिंतित दिखाई दे रहे हैं। यद्यपि इसके बावजूद बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहितों की मुख्य पंचायत बद्रीश पंडा पंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल मानते हैं कि इस बार की यात्रा पिछले दो वर्षों के मुकाबले ठीक रहेगी।

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