बदरीनाथ नेशनल हाईवे की स्थिति कई स्थानों पर काफी खराब, कई जगहों पर मार्ग असुरक्षित
नंदन विष्ट
गोपेश्वर। इस बार मौसम यात्रा व्यवस्थाओं और त्ैायारियों में मुश्किलें पैदा कर रहा है। यात्रा प्रारम्भ होने के लिये मात्र 22 दिन शेष रह गये हैं। बदरीनाथ हाई वे की स्थिति काफी खराब है, कई जगहों पर मार्ग असुरक्षित है। टंगणी के पास पागल नाला और पाण्डुकेश्वर के बाद लामबगड़ स्लाइड ऐसे समस्याग्रस्त क्षेत्र हैं, जो हल्की सी बर्षा से ही मार्ग केा बन्द करने के लिये काफी हैं। लामबगड़ स्लाइड का स्थायी हल ढूंढने के लिये काफी कवायद की गई हैं, इसके लिये वर्ष 2014 के जाड़ों में दक्षिण अफ्रीका के इंजीनियर्स भी आये थे और उन्होनें स्लाइड जोन का निरीक्षण करके टनल बनाये जाने का सुझाव दिया था, इसकी कार्ययोजना भी बनाई गई है, लेकिन इस पर कोई अमल नहीं हुआ ।
इसके अलावा इस स्लाइड पर भूस्खलन की रोकथाम के लिये सरकार ने सिंचाई विभाग, बीआरओ और लोनिवि से एक कार्ययोजना तैयार करवाई है, लेकिन अपने गोपेश्वर और जोशीमठ दौरे के दौरान सीएम हरीश रावत ने बताया कि इस स्लाईड जोन के स्थायी ट्रीटमेंट की कार्ययोजना तैयार है , लेकिन इस वर्ष इसका कार्य होना सम्भव नहीं है, उन्होनें अश्वासन दिया कि इस समस्या का अस्थाई समाधान हो जायेगा और यात्रा में कोई गतिरोध नहीं होने दिया जायेगा। बीआरओ का कहना है कि अस्थायी ट्रीटमेंट का जो कार्य चल रहा है, उसमें इस जोन के ठीक ऊपर बसे गांव पड़गासी के ग्रामीण अवरोध पैदा कर रहे हैं, जैसा संगठन चाहता है, उस ढंग से काम नहीं हो पा रहा है क्योंकि बीआरओ की योजना यह है कि स्लाइड के ऊपर जमा मलबे को गिराकर मार्ग को सुरक्षित बनाया जाये। इससे ग्रामीण गांव को खतरा होने की बात कर रहे हैं। गांव पड़गासी की स्थिति ऐसी है कि उसे आज नही ंतो कल जरूर खतरा है, इन्हें विस्थापित किये जाने की बातें भी चल रही है, लेकिन डीएम अशोक कुमार के अनुसार सरकार ने पूर्व में खतरे की जद में आने वाले परिवारों शेष पेज चार पर
को विस्थापित करने के लिये कहा था, लेकिन उनके साथ सहमति नहीं बन पाई है । साफ है कि इस वर्ष भी यात्रा के दौरान यात्रियों की राह आसान नहीं रहेगी।दूसरी ओर इस मार्ग केा लोनिवि को हस्तान्तरित किये जाने की बातें भी जोर-शोर से चल रही हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब पर्यान्त संसाधनों के बावजूद बीआरओ मार्ग केा दुरूस्त करने में कठिनाई महसूस कर रहा है, तब लोनिवि कैसे इससे निपट पायेगा, यह प्रश्नचिन्ह बना हुआ है। हाल ही में चमोली जनपद के भ्रमण के दौरान पूर्व सीएम मे0 जनरल भुवन चन्द्र खण्डूड़ी ने इस कदम को काफी खेदजनक बताया और कहा कि यह सीमान्त मार्ग राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इसे इतने हल्के में लेना वाजिब नहीं है, इसलिये उन्हेानें रक्षामंत्रालय के साथ इस बारे में बात की है और उम्मीद जताई कि भारत सरकार शीइा्र ही इस फैसले पर पुनर्विचार कर उसे वापस लेगी। गौरतलब है कि विगत वर्ष लामबगड़ स्लाइड के स्थायी ट्रीटमेंट के लिये बदरीनाथ के पण्डा, व्यापारियों, पुजारियों एवं साधुओं के साथ ही स्थानीय निवासियों ने मिल कर एक माह तक आन्दोलन किया था और सीएम के इस आश्वासन के बाद ही आन्दोलन स्थगित किया गया था कि 16 करोड़ की कार्ययोजना को एक माह के अन्दर अमल में लाया जायेगा, लेकिन इसपर कुछ नहीं हुआ। इस बारे में धनेश्वर डांडी, अध्यक्ष नगर पंचायत बदरीनाथ का कहना है कि इस कार्ययोजना पर काम शुरू न होने से बदरीनाथ के निवासी काफी नाराज हैं।
नंदन विष्ट
गोपेश्वर। इस बार मौसम यात्रा व्यवस्थाओं और त्ैायारियों में मुश्किलें पैदा कर रहा है। यात्रा प्रारम्भ होने के लिये मात्र 22 दिन शेष रह गये हैं। बदरीनाथ हाई वे की स्थिति काफी खराब है, कई जगहों पर मार्ग असुरक्षित है। टंगणी के पास पागल नाला और पाण्डुकेश्वर के बाद लामबगड़ स्लाइड ऐसे समस्याग्रस्त क्षेत्र हैं, जो हल्की सी बर्षा से ही मार्ग केा बन्द करने के लिये काफी हैं। लामबगड़ स्लाइड का स्थायी हल ढूंढने के लिये काफी कवायद की गई हैं, इसके लिये वर्ष 2014 के जाड़ों में दक्षिण अफ्रीका के इंजीनियर्स भी आये थे और उन्होनें स्लाइड जोन का निरीक्षण करके टनल बनाये जाने का सुझाव दिया था, इसकी कार्ययोजना भी बनाई गई है, लेकिन इस पर कोई अमल नहीं हुआ ।
इसके अलावा इस स्लाइड पर भूस्खलन की रोकथाम के लिये सरकार ने सिंचाई विभाग, बीआरओ और लोनिवि से एक कार्ययोजना तैयार करवाई है, लेकिन अपने गोपेश्वर और जोशीमठ दौरे के दौरान सीएम हरीश रावत ने बताया कि इस स्लाईड जोन के स्थायी ट्रीटमेंट की कार्ययोजना तैयार है , लेकिन इस वर्ष इसका कार्य होना सम्भव नहीं है, उन्होनें अश्वासन दिया कि इस समस्या का अस्थाई समाधान हो जायेगा और यात्रा में कोई गतिरोध नहीं होने दिया जायेगा। बीआरओ का कहना है कि अस्थायी ट्रीटमेंट का जो कार्य चल रहा है, उसमें इस जोन के ठीक ऊपर बसे गांव पड़गासी के ग्रामीण अवरोध पैदा कर रहे हैं, जैसा संगठन चाहता है, उस ढंग से काम नहीं हो पा रहा है क्योंकि बीआरओ की योजना यह है कि स्लाइड के ऊपर जमा मलबे को गिराकर मार्ग को सुरक्षित बनाया जाये। इससे ग्रामीण गांव को खतरा होने की बात कर रहे हैं। गांव पड़गासी की स्थिति ऐसी है कि उसे आज नही ंतो कल जरूर खतरा है, इन्हें विस्थापित किये जाने की बातें भी चल रही है, लेकिन डीएम अशोक कुमार के अनुसार सरकार ने पूर्व में खतरे की जद में आने वाले परिवारों शेष पेज चार पर
को विस्थापित करने के लिये कहा था, लेकिन उनके साथ सहमति नहीं बन पाई है । साफ है कि इस वर्ष भी यात्रा के दौरान यात्रियों की राह आसान नहीं रहेगी।दूसरी ओर इस मार्ग केा लोनिवि को हस्तान्तरित किये जाने की बातें भी जोर-शोर से चल रही हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब पर्यान्त संसाधनों के बावजूद बीआरओ मार्ग केा दुरूस्त करने में कठिनाई महसूस कर रहा है, तब लोनिवि कैसे इससे निपट पायेगा, यह प्रश्नचिन्ह बना हुआ है। हाल ही में चमोली जनपद के भ्रमण के दौरान पूर्व सीएम मे0 जनरल भुवन चन्द्र खण्डूड़ी ने इस कदम को काफी खेदजनक बताया और कहा कि यह सीमान्त मार्ग राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इसे इतने हल्के में लेना वाजिब नहीं है, इसलिये उन्हेानें रक्षामंत्रालय के साथ इस बारे में बात की है और उम्मीद जताई कि भारत सरकार शीइा्र ही इस फैसले पर पुनर्विचार कर उसे वापस लेगी। गौरतलब है कि विगत वर्ष लामबगड़ स्लाइड के स्थायी ट्रीटमेंट के लिये बदरीनाथ के पण्डा, व्यापारियों, पुजारियों एवं साधुओं के साथ ही स्थानीय निवासियों ने मिल कर एक माह तक आन्दोलन किया था और सीएम के इस आश्वासन के बाद ही आन्दोलन स्थगित किया गया था कि 16 करोड़ की कार्ययोजना को एक माह के अन्दर अमल में लाया जायेगा, लेकिन इसपर कुछ नहीं हुआ। इस बारे में धनेश्वर डांडी, अध्यक्ष नगर पंचायत बदरीनाथ का कहना है कि इस कार्ययोजना पर काम शुरू न होने से बदरीनाथ के निवासी काफी नाराज हैं।
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