रविवार, 26 अप्रैल 2015

ग्लेशियर काटकर बने रास्ते में फिसलन



मोहित डिमरी
केदारनाथ। करोड़ों हिंदुओं के आस्था के प्रतीक बाबा केदारनाथ की यात्रा शुरू होते ही चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। सबसे बड़ी चुनौती यात्रियों को सुरक्षित यात्रा कराना है। दूसरी बड़ी चुनौती यात्रियों के लिए बेहतर तरीके से ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था करना है। शासन-प्रशासन और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी (निम) का पूरा फोकस इसी पर है। क्योंकि यात्रा के पहले दिन वीवीआईपी मूवमेंट के चलते थोड़ी बहुत कमी रह गई थी। प्रशासन इन कमियों को दूर करने में जुटा हुआ है।
केदारनाथ की यात्रा पर देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। गौरीकंुड से पैदल चलकर श्रद्धालु बाबा के दर में पहुंच रहे हैं। सरकार ने सुरक्षित यात्रा का जमकर प्रचार-प्रसार किया है। इसलिए भी यात्रियों की सुरक्षा सरकार के लिए सबसे बड़ा टाॅस्क है। खराब मौसम शासन-प्रशासन को जरूर परेशान कर रहा है। केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के दूसरे दिन मौसम ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। केदारघाटी में दोपहर बाद बारिश और बर्फबारी होने लगी। मौसम को देखते हुए प्रशासन ने गौरीकुंड से एक बजे बाद यात्रा पर रोक लगाई हुई है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिलीफ फोर्स) विभिन्न संवेदनशील पड़ावों पर तैनात है। जो यात्रियों की मदद कर रहे हैं। यात्रियों की किसी भी तरह की तकलीफ होने पर हेलीकाॅप्टर की भी व्यवस्था की गई है। हालांकि सुरक्षित यात्रा के लिए सरकार ने अपने स्तर पर पूरी तैयारी कर रखी है, लेकिन पैदल मार्ग पर कुछेक कमियां है, जिसे समय रहते पूरी किए जाने की आवश्यकता है। रामबाड़ा से रुद्रा प्वाइंट तक पैदल मार्ग पर रैलिंग नहीं लगाई गई है। मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की आवाजाही के दौरान पैदल यात्रियों को चलने में परेशानी हो रही है। लिनचोली से आगे यात्री घोड़े में बैठकर यात्रा नहीं कर सकते। डंडी-कंडी के सहारे ही यहां से आगे यात्रा हो सकती है। लिनचोली से रुद्रा प्वाइंट तक कई स्थानों पर ग्लेशियर काटकर रास्ता तैयार किया गया है। निम के मजदूर बर्फ हटाने में जुटे हुए हैं। बर्फ के कारण रास्ते में फिसलन है। यात्री धड़ाम से नीचे गिर रहे हैं। कुछेक स्थान पर लोडेड घोड़ा-खच्चरों को चलने में दिक्कत हो रही है। हालांकि बर्फ की गुफाओं के बीच गुजरते हुए यात्री रोमांचित हो रहे हैं। निम के मुताबिक, बर्फ काटकर रास्ता और चैड़ा किया जाएगा। भीमबली से लिनचोली तक रास्ते में एक भी दुकान नहीं खुली है। जंगलचट्टी और भीमबली में ही कुछेक स्थानीय लोगों ने दुकानें खोल रखी है।
लिनचोली में जीएमवीएन की ओर से खाने की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन इससे यात्री नाखुश हैं। दोपहर के खाने में सिर्फ दाल, चावल और अचार दिया जा रहा है। रात्रि के भोजन में पूरी और आलू का साग दिया जा रहा है। यहां पर रहने की भी माकूल व्यवस्था नहीं है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि खाने और ठहरने का जिम्मा निम को दिया जाए। केदारनाथ में जीएमवीएन की ओर से खाने की ठीक-ठाक व्यवस्था है। केदारनाथ में एमआई-26 हेलीपैड एरिया में 70 टेंट लगाए गए हैं। तीस और टेंट यहां पर लगाए जा रहे हैं। सौ टेंट लगने के बाद यहां पर एक हजार लोग आसानी से ठहर सकेंगे। एक सप्ताह बाद हट्स निर्माण का काम भी केदारपुरी में शुरू होगा। निम ने घाट की मार्किंग का काम भी शुरू कर दिया है। केदारनाथ मंदिर में दर्शक के लिए खड़े श्रद्धालुओं को बारिश में परेशानी हो रही है। यहां पर रैन शेल्टर की आवश्यकता महसूस की जा रही है। जिलाधिकारी डाॅ राघव लंगर ने बताया कि यात्रियों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। रास्तों पर विभिन्न पड़ावों में यात्रियों के लिए खाने और ठहरने की व्यवस्था है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए एसडीआरएफ की फोर्स एक्टिव है। निम के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि फिलहाल टेंट में सात सौ लोग रह सकते हैं। अभी और टेंट लगाए जाएंगे। हट्स निर्माण का काम भी जल्द शुरू करेंगे। घाट निर्माण की मार्किंग चल रही है। इस पर भी जल्द काम किया जाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं: