बुधवार, 8 अप्रैल 2015

चारधम यात्राः अंध्ेरे में उजाले की आस


उप्रदेश सरकार उत्साहित पर मौसम का मिजाज कर रहा परेशानियां खड़ी 
उस्थानीय लोगों को है इस साल यात्रा अपने चरम पर चलने की उम्मीद
उचारधम के यात्रा मार्गों की स्थिति में नहीं हुआ कोई खास  बदलाव
संतोष बेंजवाल
 उत्तराखंड में इन दिनों चारधाम यात्रा का शोर है। शोर आखिर हो भी क्यों न, चारधम यात्रा प्रदेश में आर्थिकी की रीड़ है। इस यात्रा से लाखों लोगों का सीध रोजगार जुड़ा है। 2013 में आपदा झेल चुके सैंकड़ो होटल मालिकों और दुकानदारों को चारधम यात्रा से बड़ी उम्मीदें हैं। उत्तराखंड राज्य में हकीकत यह है कि आपदा ग्रस्त क्षेत्रों और यात्रा रूटों पर दुर्भाग्य से कोई खास बदलाव नहीं है। बदलाव है तो सिपर्फ और सिपर्फ सरकारी आंकड़ों में। आज नहीं तो कल हमें सच स्वीकारना ही होगा। हमें स्वीकारना होगा की हम न सिस्टम के काम करने के तौर-तरीके बदल पाए न प्रदेश के हालात बदल पाए। उलटे घटाटोप अंध्ेरे में उजाले की आस लगाये बैठे लोगों को भी हमने नाउम्मीदी की खाइयों में धकेल दिया। दूसरी ओर, अगर इस बार सरकार के अभी तक के जारी आंकडों पर नजर दौढ़ाएं तो इस बार उम्मीद नजर आ रही है दरअसल, चारों धम में व्यवस्थाएं अभी भी सामान्य नहीं हो पाई हैं। केदारनाथ सरकार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न तो बना, लेकिन हालात अभी भी बेहद खराब हैं। राजमार्गों के हालात में कोई आशाजनक सुधार दूर दूर तक नजर नहीं आता। रूद्रप्रयाग-गौरीकुंड, )षिकेश- बदरीनाथ, गंगोत्राी और यमनोत्राी हाइवे से गुजरना कुछ ऐसा है, जैसे मौत की गलियों से गुजरना। यह सत्य है अगर आपको इससे रूबरू होना है तो इन स्थानों के डेंजर जोन से गुजरिये अपने आप आपको पता चल जाएगा। उत्तराखंड के चारधम की यात्रा इस माह के अंतिम सप्ताह में शुरू हो जाएगी। वर्ष 2013 में आयी हिमालयी सुनामी ने उत्तराखंड की आर्थिकी की कमर तोड़ दी थी। हिमालयी सुनामी का सबसे ज्यादा खामियाजा उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्रा के निवासियों को उठाना पड़ा। चारधम पर अपनी आर्थिकी  चलाने वाले यहां के वासिंदों के लिए इस हादसे ने झकझोर कर रख दिया। दो साल मुपफलीसी में जीने के बाद इस साल शुरू होने वाली चारधम यात्रा से लोगों की उम्मीदों को पंख लगने की उम्मीद है। एक ओर जहां सरकार चारधम यात्रा को लेकर उत्साहित है वही मौसम की बेरूखी से लोग सहमे-सहमे हैं। हालांकि सरकार की अभी तक की कागजी तैयारी से उम्मीद की जा रही है कि इस साल चारधम यात्रा अपने चरम पर रहेगी, लेकिन मौसम को लेकर सरकार और जनता आशंकित नजर आ रही है। उत्तराखंड अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा से उबर रहा है और अपने तीर्थाटन/पर्यटन क्षेत्रा को पुनर्जीवित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उम्मीदें सालाना चारधाम यात्रा को मिलने वाली अच्छी प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक तीर्थाटन/पर्यटन पर टिकी है। यहां हिंदुओं के चार प्रमुख तीर्थस्थान केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्राी और यमुनोत्राी ;चार धमद्ध हैं जहां हर साल भारी संख्या में श्र(ालु पहुंचते हैं। तीर्थयात्रियों की आमद से गढ़वाल क्षेत्रा के लोगों के साथ आसपास के राज्यों के लोगों के लिए रोजगार के द्वार खुलते हैं। वर्ष 2013 में आयी हिमालयी सुनामी के बाद हजारों लोगों के हाथ से रोजगार छिन गया था, लेकिन इस बार हजारों लोगों को रोजगार की उम्मीद है। इस साल चारधम यात्रा में आने वाले यात्रियों की संख्या को लेकर सरकार उत्साहित है। केदारनाथ और बदरीनाथ धम यात्रा शुरू करने को लेकर सरकार पूरी तरह तैयार और आश्वस्त दिख रही है। जबकि गंगोत्राी और यमुनोत्राी यात्रा मार्गों को पिफलहाल बेहतर नहीं मान रही है। लगातार हो रही बारिश, बपर्फबारी और ग्लेश्यिर की वजह से इन यात्रा मार्गों की मरम्मत में दिक्कतें आ रही है। बावजूद सरकार 20 अप्रैल तक सड़क मार्ग और अन्य कमियों को पूरा करने का दावा कर रही है। तीर्थाटन और पर्यटन मंत्राी दिनेश ध्नै ने मंगलवार को यात्रा से जुड़े विभागों के आलाध्किारियों के साथ बैठक कर तैयारियों की जानकारी ली। सरकार की मानें तो यात्रा शुरू होने से पहले चारों धम तक सड़क, वहां बिजली की व्यवस्था, खानपान और यात्रियों के ठहरने की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। चारधाम यात्रा की निगरानी कर रहे अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने बताया कि चारों धम तक सड़क का नेटवर्क 15-20 दिनों में पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी यु(स्तर पर काम कर रही है।

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