गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

वैदिक मंत्रोच्‍चारण के साथ खुले पवित्र केदारनाथ के कपाट






हिंदुओं की आस्था के केंद्र 11वें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ मंदिर के कपाट शुक्रवार सुबह मंत्रोच्‍चारण के साथ खुल गए। पवित्र केदारनाथ के कपाट सुबह 8.50 बजे खुले। अब ग्रीष्मकाल के छह माह तक भक्त यहां बाबा केदार के दर्शन कर सकेंगे। शीतकालीन प्रवास स्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ से सोमवार को चली बाबा की उत्सव डोली विभिन्न पड़ावों पर रुकती हुई बृहस्पतिवार को केदारधाम पहुंची। कपाट खुलने से पहले धाम में मौसम बार-बार बदलता रहा। कभी धूप तो कभी बादल छाए रहे और रुक-रुक कर बारिश होती रही। बृहस्पतिवार दिन में धूप के बाद शाम को धाम में फिर बारिश हुई। बुधवार को यहां बर्फबारी भी हुई थी। यात्रा पड़ाव लिनचौली के अलावा रामबाड़ा में भी तेज बारिश हुई। पहले से जमी बर्फ के चलते भी धाम में फिलहाल ठंड काफी ज्यादा है। मौसम विभाग के मुताबिक कपाट खुलने के दिन भी बारिश-बर्फबारी होगी। दुश्वारियों को मात देते 458 यात्री बृहस्पतिवार को ही धाम पहुंच गए थे। कपाट खुलने से पहले ही कर्नल अजय कोठियाल समेत नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) की टीम के 400 लोग पहले से ही केदारनाथ में मौजूद रहे। ये सभी लोग कड़ाके की ठंड के बीच मंदिर के आगे अलाव जलाकर रात तक शिव स्तुति में मग्न रहे।पैदल धाम जा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत 700 लोग शाम को लिनचौली में रुके। ये सभी साढ़े पांच किमी चलकर शुक्रवार की सुबह केदारनाथ पहुंचे। शुक्रवार की सुबह गौरीकुंड से भी बड़ी संख्या में यात्री धाम के लिए रवाना हुए। कपाट खुलने के मौके पर केदारनाथ में लगभग दो हजार लोग मौजूद रहे।यात्रा मार्ग पर रामबाड़ा से लिनचौली तक हिमखंड पसरे पड़े हैं, जिन्हें काटकर रास्ता बनाया जा रहा है। बृहस्पतिवार देर रात तक रास्ता बनाने का काम चलता रहा। लेकिन इससे पहले धाम पहुंचे यात्रियों में से किसी ने इन हिमखंडों की न तो परवाह की, न शिकायत।सुबह राज्यपाल कृष्णकांत पॉल भी धाम पहुंचेंगे। लिनचौली और धाम पहुंचे यात्रियों में से ज्यादातर गुजरात और दक्षिण भारत से हैं।कपाट खुलने से पहले उपजिलाधिकारी मंदिर के पृष्ठ भाग में सील लगे ताले को खोलकर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर निरीक्षण करेंगे। इसके बाद केदारनाथ के रावल मंदिर के गर्भगृह में कुछ देर भस्म पूजा और भोलेनाथ का अभिषेक करेंगे। इसके बाद भक्त केदारबाबा के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकेंगे। बाबा केदार की डोली गौरीकुंड से रवाना होकर बृहस्पतिवार शाम 4.25 बजे केदारनाथ पहुंच गई थी। बाबा केदार की डोली शीतकालीन प्रवास स्थल ओंकारेश्वर मंदिर से चलकर गौरीकुंड समेत विभिन्न पड़ावों पर विश्राम करते हुए केदारनाथ पहुंची।

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