८उत्तराखंड के चारधामों में नित्य पहुंच रहे है सैकडों भक्त
८पैदल यात्रा कर आनंद की अनुभूति कर रहे हैं भक्त
८चारधाम यात्रा को लेकर प्रदेश सरकार का मीडिया मैनेजमैंट हो रहा है फैल
८मीडिया कर रहा है दुष्प्रचार कि यात्रा बंद है, लेकिन यात्रा चल रही सुचारू
८बदरीनाथ धाम की यात्रा पैदल कर रहे है तीर्थयात्री, भक्त खुश पर मीडिया नाखुश
संतोष बेंजवाल
मेरा ओण से हर्ष हो कै त हैल्यो...। गढ नरेश नरेंद्र सिंह नेगी के इस दर्द भरे गीत की पक्तियों को सुन मन की गहराईयों में जाने को मजबूर हुआ। इसके पीछे कारण यह है कि वर्ष २०१३ की हिमालयी सुनामी के बाद उत्तराखंड की आर्थिकी पर जो संकट आया और आपदा के जख्मों को भरने के लिए उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का चलना अति आवश्यक है। क्योंकि यहां की सरकार ने आपदा पीडितों को तो दो साल से उनको उनके हाल पर छोडा हुआ है। राज्य के खासकर रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी सहित अन्य जनपदों के लोगों की उम्मीदों को पंख तब लगे जब चारधाम यात्रा शुरू हुई और लोगों के चेहरों की चमक देखते ही बन रही थी। लेेकिन बदरीनाथ धाम यात्रा मार्ग पर मौसम की मार से यात्रा प्रभावित हो रही है और सरकार की नाकामी के कारण मीडिया इसे जोर-शोर से प्रचारित कर रही है। इस कारण देश-विदेश से उत्तराखंड आने वाले तीर्थयात्री और पर्यटक यहां का रूख करने से कतरा रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि अकेले बदरीनाथ धाम यात्रा मार्ग पर बाधा है वह भी सीधे बदरीनाथ धाम तक वाहन नहीं जा पा रहे हैं, लेकिन जहां पर मार्ग बंद है वहां से तीर्थयात्री पैदल भगवान बदरीविशाल के दर्शनों के लिए जा रहे हैं। वही अन्य धामों में जाने के सभी मार्ग खुले हैं और मीडिया यात्रा को रोकने का कार्य कर रहा है। सरकार का मीडिया मैनेजमैंट यहां पर फैल साबित हो रहा है। इसके पीछे की असली वजह क्या है यह तो सरकार ही जाने, लेकिन यहां खबरनबीसों के लिए कि- मेरा ओण से हर्ष हो कै त हैल्यो...। सटीक बैठ रही है। कुछ खबरनवीस शायद यह नहीं चाहते हैं कि प्रदेश की चारधाम यात्रा सुचारू चले। अगर ऐसा नहीं होता तो यात्रा बंद की अफवाह नहीं फैलाते। यहां यह उल्लेख करना चाहूंगा कि अधिसंख्य खबरनवीस देहरादून में बैठकर खबरों का पोस्टमार्टम करते हैं। जबकि केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बदरीनाथ यात्रा मार्ग अगर बंद भी होता है तो तीर्थयात्री पैदल यात्रा करते हैं। यह तो सदियों से चली आ रही प्रथा है कि भगवान के दर्शनों को ज्यादा तो नहीं पर कुछ अगर पैदल चला जाय तो यात्रा सफल होती है। इस बात को तीर्थयात्री जानते हैं और वह जहां पर मार्ग बंद है वहां पर पैदल चलकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं।उल्लेखनीय है कि राज्य में देर रात एक साथ अधिकांश जगह पर मौसम का मिजाज बिगड़ा रहा। मगर सुबह होते-होते मौसम खुल गया। धामों में भी शुक्रवार को मौसम ठीक रहा। मगर मंगल और बुध की बारिश ने बद्रीनाथ धाम मार्ग में भूस्खलन पैदा कर श्रद्धालुओं की राह में अड़चन डालने का काम किया। विष्णु प्रयाग के समीप हुए भूस्खलन से गुरूवार की तड़के करीब दो सौ मीटर मार्ग का हिस्सा बाधित हो गया था। यह मार्ग आज भी यात्रा के लिए नहीं खुल सका। बीआरओ की टीम ड्रिल मशीनों और डोजर की मदद से भारी बोल्डरों को मार्ग से हटाने का काम जोरों से कर रही हैं। सूत्रों की माने तो कल भी पूरे दिन मार्ग खुलने के आसार नहीं दिख रहे। जबकि पाण्डूकेश्वर और गोविन्दघाट में फंसे सभी श्रद्धालुओं को शुक्रवार को सेना के हेलीकॉप्टर की मदद से जोशीमठ पहुंचा दिया गया। जोशीमठ में स्थानीय जिला प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए खाने, दवाओं और ठहरने के बंदोबस्त किए हैं। जबकि मुख्य मार्ग क्षतिग्रस्त होने से यात्रा में भले ही रूकावट आ रही हो, मगर काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने पट्टीदार पैदल मार्ग का सहारा लेकर बदरीधाम के दर्शन भी किए।
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