अभी तक हजारों लोगों ने किए बाबा केदार व बदरीविशाल के दर्शन
आशुतोष डिमरी
बदरीनाथ। भारत के चारधमों में से सर्वश्रेष्ठ धम श्री बदरीनाथ समेत उत्तराखंड के अन्य धमों के रूपों में प्रसि( गंगोत्राी, यमुनोत्राी व केदारनाथ में अब देश-विदेश से पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों के रूप में श्र(ा का कारवां दौड़ पड़ा है। अलवत्ता इस बीच गढ़वाल में स्थित पंचकेदारों में कई मंदिर व पंचबदरी के मंदिर के कपाट खुलने के बाद एक बार पिफर हिमालय में भक्ति का संगम दिखने लगा है। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के पूरी तरीके से खुल जाने के बाद अब )षिकेश से बदरीनाथ तक सुचारू रूप से छोटे व बडे़ वाहनों की आवाजाही से श्र(ालु तीर्थयात्रियों की सहूलियत बढ़ने लगी हैं।
गौरतलब है कि हर साल अप्रैल के आखिरी सप्ताह अथवा मई के प्रारंभ में बदरीनाथ धम समेत उत्तराखंड के अन्य तीर्थ स्थलों के कपाट खुलने के बाद देश व विदेश का श्र(ालु भारी संख्या में उत्तराखंड की ओर उमड़ता दिखाई दे रहा है। हालांकि वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आयी भीषण आपदा के बाद तीर्थाटन व पर्यटन प्रभावित होने लगा था, लेकिन इस साल 21 अप्रैल को गंगोत्राी-यमुनोत्राी के साथ कपाट खुलने का सिलसिला शुरू हुआ। 24 अप्रैल को केदारबाबा और 26 अप्रैल को बदरीनाथ धम के कपाट खुलने के बाद शुरूआती दौर में जिस तरह तीर्थयात्राी उत्तराखंड पहुंचने लगे हैं उससे यात्रा में इस साल कापफी इजापफा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। भारत में चारधमों के रूपों में प्रसि( द्वारका, जगन्नाथपुरी, रामेश्वरम व बदरीनाथ की मान्यता प्राचीनकाल से सर्वसम्मत है और इन चारों धामों में से हिमालय में स्थित जहां बदरीनाथ धम को सर्वश्रेष्ठ धम के रूप में माना जाता है वही 12 ज्योर्तिलिंगों में से 11वें ज्योर्तिलिंग के रूप में केदारनाथ का स्थान प्रमुख है। यही वजह है कि हर साल कोसो मील दूर का सपफर तय कर लाखों की संख्या में तीर्थयात्रियों का कारवां बदरी-केदार की ओर दौड़ पड़ता है और भगवान के दर्शन का पुण्य लाभ अर्जित करता है।तीर्थयात्रा को सुखद व निरापद बनाने के लिए शासन के आला अध्किारी समेत जिला प्रशासन को हर स्थिति पर अपनी पैनी नजर बनाये रखने के लिए सरकार ने निर्देश जारी किए हैं ताकी तीर्थयात्रियों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पडे़। गढ़वाल मंडलायुक्त सी.एस. नपलच्याल ने बताया कि शुरूआती दौर में गंगोत्राी-यमुनोत्राी व बदरी-केदार में अच्छी संख्या में तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा से जुडे़ सभी संबंध्ति विभागों को तमाम व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के कडे़ निर्देश दिए गए हैं।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्यकायाध्किारी बी.डी. सिंह ने बताया कि अभी तक करीब तीस हजार से अधिक तीर्थयात्राी भगवान बदरीविशाल के दर्शन कर चुके हैं। जबकि केदारनाथ में सोलह हजार से अध्कि श्र(ालु बाबा केदार के चरणों में अपना मत्थ टेक चुके हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक बदरीनाथ में मंदिर समिति को चढ़ावे के रूप में 35 लाख व केदारनाथ में 19 लाख की आमदनी हुई है। उन्होंने बताया कि अब दिन प्रतिदिन यात्रियों की संख्या में वृ(ि हो रही है। श्री सिंह ने उम्मीद जताई है कि मई माह के दूसरे पखवाडे़ के शुरू होते ही तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी वृ(ि होगी। उध्र, मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिर से जुडे़ तमाम धार्मिक पंचायतों ने श्र(ालु तीर्थयात्रियों से गंगोत्राी,यमुनोत्राी, बदरी-केदार पहुंचकर दर्शन का पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील की है।
आशुतोष डिमरी
बदरीनाथ। भारत के चारधमों में से सर्वश्रेष्ठ धम श्री बदरीनाथ समेत उत्तराखंड के अन्य धमों के रूपों में प्रसि( गंगोत्राी, यमुनोत्राी व केदारनाथ में अब देश-विदेश से पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों के रूप में श्र(ा का कारवां दौड़ पड़ा है। अलवत्ता इस बीच गढ़वाल में स्थित पंचकेदारों में कई मंदिर व पंचबदरी के मंदिर के कपाट खुलने के बाद एक बार पिफर हिमालय में भक्ति का संगम दिखने लगा है। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के पूरी तरीके से खुल जाने के बाद अब )षिकेश से बदरीनाथ तक सुचारू रूप से छोटे व बडे़ वाहनों की आवाजाही से श्र(ालु तीर्थयात्रियों की सहूलियत बढ़ने लगी हैं।
गौरतलब है कि हर साल अप्रैल के आखिरी सप्ताह अथवा मई के प्रारंभ में बदरीनाथ धम समेत उत्तराखंड के अन्य तीर्थ स्थलों के कपाट खुलने के बाद देश व विदेश का श्र(ालु भारी संख्या में उत्तराखंड की ओर उमड़ता दिखाई दे रहा है। हालांकि वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आयी भीषण आपदा के बाद तीर्थाटन व पर्यटन प्रभावित होने लगा था, लेकिन इस साल 21 अप्रैल को गंगोत्राी-यमुनोत्राी के साथ कपाट खुलने का सिलसिला शुरू हुआ। 24 अप्रैल को केदारबाबा और 26 अप्रैल को बदरीनाथ धम के कपाट खुलने के बाद शुरूआती दौर में जिस तरह तीर्थयात्राी उत्तराखंड पहुंचने लगे हैं उससे यात्रा में इस साल कापफी इजापफा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। भारत में चारधमों के रूपों में प्रसि( द्वारका, जगन्नाथपुरी, रामेश्वरम व बदरीनाथ की मान्यता प्राचीनकाल से सर्वसम्मत है और इन चारों धामों में से हिमालय में स्थित जहां बदरीनाथ धम को सर्वश्रेष्ठ धम के रूप में माना जाता है वही 12 ज्योर्तिलिंगों में से 11वें ज्योर्तिलिंग के रूप में केदारनाथ का स्थान प्रमुख है। यही वजह है कि हर साल कोसो मील दूर का सपफर तय कर लाखों की संख्या में तीर्थयात्रियों का कारवां बदरी-केदार की ओर दौड़ पड़ता है और भगवान के दर्शन का पुण्य लाभ अर्जित करता है।तीर्थयात्रा को सुखद व निरापद बनाने के लिए शासन के आला अध्किारी समेत जिला प्रशासन को हर स्थिति पर अपनी पैनी नजर बनाये रखने के लिए सरकार ने निर्देश जारी किए हैं ताकी तीर्थयात्रियों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पडे़। गढ़वाल मंडलायुक्त सी.एस. नपलच्याल ने बताया कि शुरूआती दौर में गंगोत्राी-यमुनोत्राी व बदरी-केदार में अच्छी संख्या में तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा से जुडे़ सभी संबंध्ति विभागों को तमाम व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के कडे़ निर्देश दिए गए हैं।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्यकायाध्किारी बी.डी. सिंह ने बताया कि अभी तक करीब तीस हजार से अधिक तीर्थयात्राी भगवान बदरीविशाल के दर्शन कर चुके हैं। जबकि केदारनाथ में सोलह हजार से अध्कि श्र(ालु बाबा केदार के चरणों में अपना मत्थ टेक चुके हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक बदरीनाथ में मंदिर समिति को चढ़ावे के रूप में 35 लाख व केदारनाथ में 19 लाख की आमदनी हुई है। उन्होंने बताया कि अब दिन प्रतिदिन यात्रियों की संख्या में वृ(ि हो रही है। श्री सिंह ने उम्मीद जताई है कि मई माह के दूसरे पखवाडे़ के शुरू होते ही तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी वृ(ि होगी। उध्र, मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिर से जुडे़ तमाम धार्मिक पंचायतों ने श्र(ालु तीर्थयात्रियों से गंगोत्राी,यमुनोत्राी, बदरी-केदार पहुंचकर दर्शन का पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील की है।
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