बुधवार, 6 मई 2015

तुंगनाथ अपने धाम रवाना


ग्रीष्मकालीन प्रवास के दौरान तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ अपने स्थल तुंगनाथ धाम के लिए रवाना हो गए। तुंगनाथ की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए पहले पड़ाव भूतनाथ मंदिर पहुंची। भगवान शिव की विदाई अवसर पर गांव में पौणखी मेले का आयोजन किया गया। पंचाग गणना के आधार पर पूर्व में तय की गई तिथि के अनुसार बुधवार को भगवान तुंगनाथ मध्य हिमालय स्थित अपने ग्रीष्मकाल प्रवास तुंगनाथ धाम के लिए रवाना हो गए। भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ स्थित मार्कंडेय मंदिर में सुबह से ही तैयारियां शुरू हो गई थी। वेदपाठी और ब्राह्मणों ने पूजा अर्चना शुरू की। इसके पश्चात करीब दस बजे तुंगनाथ की उत्सव डोली को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर लाया गया, जहां ग्रामीणों व भक्तों ने भगवान तुंगनाथ के दर्शन किए। सुबह करीब 11 बजे भगवान की उत्सव डोली ने अपने पहले पड़ाव स्थल भूतनाथ मंदिर के लिए प्रस्थान किया। इस दौरान भगवान शिव को विदा करने के लिए डोली के साथ भारी संख्या में ग्रामीणों का हुजूम  उमड़ पड़ा। 12 बजे तुंगनाथ की उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर के समीप एक खेत में पहुंची, जहां पौणखी मेले का आयोजन किया गया। इस मेले के बारे में कहा जाता है कि अपने अराध्य भगवान शिव को कैलाश भेजने के पावन दिवस पर ग्रामीण इस मेले का आयोजन करते है। इसमें ग्रामीण अपने व अपने परिवार की कुशलक्षेम के लिए इस मेले का आयोजन करते हैं। मेले के दौरान दोपहर एक बजे भगवान शिव को स्थानीय व्यंजनों का भोग लगाया गया। तत्पश्चात करीब दो बजे डोली को भूतनाथ मंदिर में ले जाया गया, जहां डोली रात्रि विश्राम करेगी। गुरूवार को तुंगनाथ की डोली दूसरे पड़ाव चोपता व शुक्रवार को डोली अपने धाम तुंगनाथ पहुंचेगी। इसी दिन मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इस मौके पर मठापति रामप्रसाद मैठाणी, रविन्द्र मैठाणी, सुबोध मैठाणी, महेशानंद मैठाणी, मुकेश मैठाणी, सुरेन्द्र मैठाणी समेत भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

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