गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020

अद्भूतः दुनिया के खतरनाक सापों का खूबसूरत देश *स्नेक आइलैंड*

https://www.udaydinmaan.com/amazing-snake-island-the-beautiful-country-of-the-worlds-dangerous-snakes/

देश का पहला बैंक जो खाते में पैसा ना होने पर भी दे रहा 3 लाख खर्च करने को!

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मौत का पहाड़ः यहां भटके हुए इंसानों को रास्ता बताती हैं लाशें !

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मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

आंवला: 100 रोगों की एक दवा, प्रकृति की अमूल्य और अनूपम भेट !

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फ्री में मिल रहे हैं Galaxy Fold, Galaxy s20 Ultra जैसे महंगे स्मार्टफोन!

फ्री में मिल रहे हैं Galaxy Fold, Galaxy s20 Ultra जैसे महंगे स्मार्टफोन!: रहस्यमयी: विश्व का अकेला जिन्दा भूतों का गांव, छूने से हो जाती है मौत!

रहस्यमयी: विश्व का अकेला जिन्दा भूतों का गांव, छूने से हो जाती है मौत!

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चारधाम यात्राः धीरे-धीरे उमड़ने लगा आस्था का सैलाब

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https://www.udaydinmaan.com/uttarakhand-language-institute-to-be-set-up-in-gairsain-chief-minister/

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गुरुवार, 28 जून 2018

हेमकुंड साहब , लक्ष्मण मंदिर है दो धर्मों का अद्भुत और सुखद तीर्थ और युग्म !

क्रांति भटृ
शायद इन पंक्तियों का रचनाकार उत्तराखंड आया नहीं आया जब उसने कश्मीर की फिंजाओंं को देखकर लिखा था ” कि पृथ्वी अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है यहां है । अगर शायर के कदम और कलम उत्तराखंड की जमीन पर पडते तो शायद उसकी धारणा और कलम की हर्फ ( शब्दों ) में होता कि ” अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो

सिख धर्म में दसवें गुरु , गुरु गोविंद साहब जी की पूर्व जन्म की हिमालयी तप स्थली ” हेमकुंड साहब ” के शीतकाल के बाद द्वार खुलते ही प्रतिदिन हजारों की संख्या में तीर्थ यात्री यहां पंहुच रहे हैं । सात सुन्दर पहाडियों से घिरे , पवित्र पुष्पावती नदी के तीर और शीतल शान्त और पवित्र हिम जल से परिपूर्ण कुंड ” हिमकुंड ” या ” हेमकुंड ” न सिर्फ धर्म के धर्म को ; वरन आध्यात्म की गहराई और प्रकृति में , नैसर्गिक सौंदर्य में ईश्वर पा लेने वालों को भी अपने हिस्से का भगवान के दर्शन करा लेता है ।



 क्या है मान्यता सिख धर्म में?
पवित्र गुरु ग्रंथ साहब के बाद एक पुस्तक है ” विचित्र नाटक”!  इसमें सिख धर्म के दसवें गुरु सच्चे बादशाह ” गुरु गोंविद साहब ” के बारे में लिखा है कि ” गुरु गोविंद सिंह साहब ने पूर्व जन्म में यहीं इस स्थान पर तप किया था ।
विचित्र नाटक की पंक्तियां “” सप्त श्रृंग



 कब ढूंढा गया यह तीर्थ !
600 वर्षों तक अध्ययन और खोज होती रही कि आखिर वह पवित्र स्थान है कहां ! जिसका जिक्र स्वयं गुरु महाराज ने विचित्र नाटक पुस्तक में किया है । निरंतर खोज होती रही । आखिर में 1932 में सरदार सोहन सिंह , मोदन सिंह जी ने यह स्थान खोजा ।





 पहले ग्रंथी हिन्दू थे ।
जब हेमकुंड साहब की खोज हुयी तो यहीं के पुलना गांव के श्री नन्दा सिंह जी को हेमकुंड साहब का ग्रंथी बनाया गया । वे एक लम्बे समय तक हेमकुंड साहिब के ग्रंथी रहे । यह गुरु कृपा ही रही के केवल 2 कक्षा पास नन्दा सिंह जी ने पहली बार गुरमुखी पढी और सुखमनी पाठ के सिद्ध हस्त हो गये ।





यहीं पर तो है लक्ष्मण मंदिर ।
यह है सुखद संयोग । हेमकुंड साहब के निकट ही भगवान श्री राम के भाई और शक्ति के प्रतीक भगवान लक्ष्मण जी का मंदिर भी है । मान्यता के अनुसार यहां पर लक्ष्मण जी ने तप किया था ।







 क्या है मान्यता !
मान्यता है कि जब भगवान श्री राम 14 वर्षो के वनवास और रावण को मारने के बाद वापस अयोध्या लौटे और राजकाज सम्भालने लगे तो एक दिन राजा राम अपने राज मंत्रणा कक्ष में गुरु वशिष्ठ के साथ गुप्त मंत्रणा ठर रहे थे । आदेश था कि वार्ता के दौरान कोई तीसरा ब्यक्ति न आये ।





इस बीच दुर्वासा ऋषि पहुंचे । कहा अभी राजा राम से मिलना है । द्वार पर भगवान लक्ष्मण थे । एक ओर राजा की आदेश कि इस अवधि में कोई मंत्रणा में न आयें और ना ही कोई ब्यवाधान किया जाय । लक्ष्मण धर्म संकट में आ गये । विचार किया कि यदि ऋषि को कक्ष में नही जाने देता हूं तो ये क्रोधित हो शाप दे देंगे । और जाने देता हूं तो राजाज्ञा का उल्लंघन होता है । विचारने के बाद मन में आया किसी के क्रोध से उसे भी कष्ट होगा ।



दुखी होगा । अतः निर्मल से राजा को बता ही दूं कि दुर्वासा ऋषि अभी मिलना चाहते हैन । कक्ष के अंदर गये । बात बताई । पर आत्म ग्लानि हुयी कि मै ने जाने अनजाने में राजाज्ञा का उल्लंघन कर दिया । और चुपचाप इसी हिमालय में साधना में बैठ गये जिसे लक्ष्मण मंदिर नाम कहा गया । मान्यता है भगवान यहां आज भी है ।



 कैसे बनी फूलों की घाटी !
जिसे आज फूलों की घाटी ” वैली आफ फ्लावर्स ” कहते हैं जिसे दुनिया के फलक पर अंग्रेज पर्यटक फ्रैंक स्माइथ ने ढूंढा । उसे शास्त्रों मेन ” नन्द कानन वन ” कहा जाता है ।

मान्यता है कि जब लक्ष्मण जी यहां पर कर रहे थे तब स्वर्ग से देवताओं ने जो फूल बिखरे वही फूल यहां फूलो की घाटी बन गये । विचित्र नाटक में भी लिखा है कि गुरु गोविंद सिंह जी के तप से प्रसन्न हो , देवताओं ने आसमान से फूल बिखरे । वही तो फूलों की घाटी है ।

 तो क्या लक्ष्मण जी ही गुरु गोविंद सिंह जी है।
गुरु का एक नाम रिपुदमन भी है । लक्ष्मण जी भी दुष्टों का ( रिपु ) दमन करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लेना बताया गया है । गुरु गोविंद सिंह जी ने भी रिपुओं का नाश किया । धारणा , कथा एक जैसी है । इसलिये लोग गुरु गोविंद सिंह जी को भगवान लक्ष्मण का अवतार मानते हैं ।

दुनिया का अकेला मंदिर जहां होती है शिव के अंगूठे की पूजा !


उदय दिनमान डेस्कः दुनिया का अकेला मंदिर जहां होती है शिव के अंगूठे की पूजा ! भगवान शिव के भक्त पूरी दुनिया में मिल जाएंगे, लेकिन शिव के मुख की पूजा अधिकांश स्थानों पर होती है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं शिव का एक ऐसा अनोखा धाम जो विश्व में अकेला है और यहां शिव के अगूठे की पूजा होती है।



जैसा कि आप जानते हैं कि हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान शिव एकलौते ऐसे भगवान है जिनके लिंग की पूजा को सर्वोपरी समझा जाता है. पर आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां लिंग को पूजने की बजाये उनके अंगूठे को पूजा जाता है. राजस्थान का माउंट आबू कई जैन मंदिरों के अलावा भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिरों का घर भी है.



माउंट आबू के बारे में लोगों का कहना है कि जैसे बनारस को शिव की नगरी कहा जाता है, वैसे ही माउंट आबू को शिव का उपनगर कहते हैं. इसका उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है. यही से करीब 11 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा की तरफ अचलगढ़ की पहाड़ियों पर किले के पास स्थित है





अचलेश्वर माहदेव मंदिर, जहां पर शिव जी के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है दाहिने पैर के इस अंगूठे पर शिव ने माउंट आबू पहाड़ को थाम रखा है और जिस दिन ये अंगूठे का निशान गायब हो जाएगा तब माउंट आबू का ये पहाड़ भी ख़त्म हो जाएगा.





इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही पंच धातु की बनी नंदी की एक विशाल प्रतिमा है, जिसका वजन लगभग चार टन हैं. मंदिर के गर्भगृह पहुंचने पर आप धरती में समाये हुए शिवलिंग को देखेंगे, जिसके ऊपर की और एक पैर के अंगूठे का निशान उभरा हुआ है. इस अंगूठे को यहां स्वयंभू शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह देवाधिदेव शिव का दाहिना अंगूठा है.





मंदिर परिसर में मौजूद विशाल चंपा का पेड़ मंदिर की प्राचीनता को दर्शाता है. इसके बायीं ओर एक कलात्मक खंभों पर खड़ा धर्मकांटा बना हुआ है, जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है. इसके बारे में लोगों का मानना है कि यहां के राजा राजसिंहासन पर बैठने के समय अचलेश्वर महादेव से आशीर्वाद प्राप्त करते थे और धर्मकांटे के नीचे बैठकर न्याय की शपथ लेते थे.





भगवान शिव के अलावा भगवान विष्णु के वाराह, नृसिंह, वामन, कच्छप, मत्स्य, कृष्ण, राम, परशुराम, बुद्ध व कलंगी आदि अवतारों की झलक काले पत्थर की भव्य मूर्तियों के रूप में देखने को मिलती है. इसके अलावा यहां द्वारिकाधीश मंदिर भी मौजूद है.



माउंट आबू के उत्थान को ले कर भी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह है कि जहां आज आबू पर्वत स्थित है, प्राचीन काल में वहां पर एक ब्रह्म खाई थी. इसी के किनारे वशिष्ठ मुनि रहते थे.



एक बार उनकी गाय कामधेनु घास चरते हुए ब्रह्म खाई में गिर गई. उसे बचाने के लिए मुनि ने सरस्वती और गंगा का आह्वान किया, जिससे ब्रह्म खाई पानी से भर गई और कामधेनु गाय जमीन पर आ गई.

भविष्य में यह घटना दुबारा न हो इसके लिए वशिष्ठ मुनि, हिमालय जा कर पर्वतराज से ब्रह्म खाई को भरने की विनती की. मुनि के अनुरोध पर हिमालय ने अपने प्रिय पुत्र नंदी वद्र्धन को जाने का आदेश दिया, जिसे अर्बुद नाग नंदी हिमालय से उड़ा कर ब्रह्म खाई के पास लाया.



इसके बाद वद्र्धन ने मुनि से वरदान मांगा कि उसके ऊपर सप्त ऋषियों का आश्रम होना चाहिए और यह पहाड़ सुंदर और वनस्पतियों से भरपूर होना चाहिए. जबकि इस पहाड़ को यहां तक पहुंचाने वाले अर्बुद नाग ने वर मांगा कि इस पर्वत का नामकरण उसके नाम से हो. इसके बाद से नंदी वद्र्धन आबू पर्वत के नाम से जाना जाने लगा.



वरदान प्राप्त कर के जब नंदी वद्र्धन खाई में उतरा तो अंदर धंसता चला गया. सिर्फ इसका नाक और ऊपर का हिस्सा ही जमीन से ऊपर रहा. इतना सब होने के बावजूद जब वह अचल नहीं रह पा रहा था, तब वशिष्ठ के विनम्र अनुरोध पर भगवान शिव ने अपने दाहिने पैर के अंगूठे से इसे अचल कर दिया.



इसी वजह से यह क्षेत्र अचलगढ़ के नाम से पहचाना जाता है. भगवान शिव के अंगूठे का महत्व होने की वजह से यहां महादेव के अंगूठे की पूजा की जाती है.

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सोमवार, 18 सितंबर 2017

इंटरनेट के बिना जीवन ना बाबा ना !

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मेरे नाम चिट्ठी आयी है भारत की ! ..और आपके…! देखे वीडियो

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गुरुवार, 14 सितंबर 2017

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http://udaydinmaan.co.in/duniya-kee-sabase-lambee-taagon-vaalee-modal-lambaee-6-pheet-8-77/

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शनिवार, 6 मई 2017

मंजिले उन्हें मिलती हैं जिनके सपनों में होती है जान

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गुलजार हुआ देश का अंतिम सरहदी गाँव ‘माणा’ ! यही पर हुए थे प्राकृत भाषा में वेद लिपिबद्ध !

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विश्व का एकमात्र मंदिर जहां फूल नहीं, चमत्कारिक तुलसी से पूजे जाते हैं भगवान !

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बुधवार, 3 मई 2017

मानो या ना मानो-केदारघाटी में अतृप्त आत्माएं हैं अब तृप्त और लौट रही है अपने मोक्षधाम

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पृथ्वी पर ” साक्षात भू वैकुंठ “है बदरीनाथ,  यहां साक्षात विष्णु करते हैं वास

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ॐ के उच्चारण का रहस्य :  पापा ने रोती हुई बच्ची को पल भर में सुला दिया-देखे वीडियो

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गूगल युग : 51 शक्तिपीठों में से भारत में 42 जिसमें से चार आज भी अज्ञात !

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रविवार, 23 अप्रैल 2017

गूगल युग है भाई ! राजा से मिलना है तो अप्वाइंटमेंट तो लेना ही होगा ! राम राज्य की बात करना भी नहीं!

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गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

विश्व का अकेला शिव मंदिर जहां नहीं होती शिव की पूजा! यह अनोखा देवालय है उत्तराखंड में,देखे वीडियो

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हिन्दुस्तान में आखिर कब तक लोग बनते रहेंगे ‘काल के ग्रास’!-वीडियो देख आप रो देंगे!

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सोमवार, 17 अप्रैल 2017

27,000 रुपये का नींबू!विश्वास नहीं होता ऐसा हुआ तमिलनाडु में,यह 125 करोड भारतीयों का देश है भाई!

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‘भूख से मौत’ देवभूमि पर कलंक, 17 वर्षीय किशोरी की मौत से प्रदेश में हडकंप

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गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

गूगल युग  में दहकते अंगारों पर  नृत्य करता है इंसान, यह दृष्य अदभुत-अलौकिक!

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गुरुवार, 23 मार्च 2017

आपकी रूह काँप जाएगी इस मौत के वीडियों को देखकर!

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प्रेमचंद्र अग्रवाल बने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष

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कांगेस: जड़ों को मजबूत करने की बड़ी चुनौती

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सोमवार, 13 मार्च 2017

पूरे विश्व में सिर्फ पहाड में मनाया जाता है फूलदेई त्यौहार! आज भी बच्चे रख रहे है परंपरा को जिंदा

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एक अद्भुत प्रेम यात्रा-सती से पार्वती तक ! सबसे बडी कहानी! भाग 3

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 घोघा देवता नाराज ! बच्चों के आंखों में आंसू और खण्डहर घर,हे भाग्यविधाताओं क्या करी तुमुन!देखे वीडियो

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बता मेरे यार सुदामा रे …बड़ो दिनों में आया की गायिका उत्तराखंड की!

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अर एक विस्वा प्लाट का बाना देहरादून छाला पड़ियाँ

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मानो या ना मानो लेकिन एक थी ” टिहरी “

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औषधीय गुणों की खान बुरांश,भाग्यविधाताओं को दिखता है मामूली फूल

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ई पेपर 13.03.2017

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मंगलवार, 29 नवंबर 2016

मंगला माताजी को उत्तराखंड रत्न सम्मान से नवाजा

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खून के आंसू रो रही उत्तराखण्ड की जनता : खण्डूड़ी

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कालाधन : अब भाजपा नेताओं के खातों की भी होगी जांच

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अब मुंबई नहीं दिल्ली आर्थिक राजधानी

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‘बेरोजगार’ उत्तराखंड

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भारत में विलुप्त हो रही नदियां: घट रही धरती घट रहा पानी

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स्कैटिंग रिंग पर डेकोरेशन में मरी 5000 मछलियां

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अतुल के लिए फरिस्ता बनकर पहुचीं 108 सेवा

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बिग बाजार और एफबीबी से निकालिए कैश

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बुधवार, 9 नवंबर 2016

ru/500 और 1000 के नोट बंद, कई प्रदेशों में विधानसभा चुनाव,परेशानी तो होगी ही

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sto.शेयर बाजार धड़ाम, रुपया कमजोर, निवेशकों को 6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान

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utt/उत्तराखंड: झूठे वायदो से आदर्श गांव की संकल्पना साकार होगी!

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book-गढ़वाली भाषा के संरक्षण में जुटे डॉ. वीरेन्द्र बर्त्वाल की पुस्तक गढ़वाली भाषा प्रकृति और समृद्धि का विमोचन

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500 और 1000 रुपये के नोट! घबराईये नहीं शनिवार-रविवार भी खुले रहेंगे बैंक

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bjp-भाजपा की परिवर्तन रैली कांगे्रस के लिए गले की फांस

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award-नौ विभुतियों को उत्तराखंड रत्न पुरस्कार से किया सम्मानित

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p.m.-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक फैसले से उड़े सियासी नेताओं के होश

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मंगलवार, 8 नवंबर 2016

rbi.सावधान! आसान नहीं है नोटों की अदला-बदली, आरबीआई ने दिए निर्देश

rbi.सावधान! आसान नहीं है नोटों की अदला-बदली, आरबीआई ने दिए निर्देश

b.m. काले धन के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार का ‘क्रांतिकारी फ़ैसला’ अध्यादेश जारी

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wadi….मेहंदी का रंग अभी उतरा भी नहीं था और दुल्हन प्रेमी संग फरार

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airtal/भारती एयरटेल ‘‘एयरटेल’’ ने उत्तराखंड में 4जी सेवा को किया लॉन्च

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rap….इंग्लैंड में 10 साल तक 3 टीचर्स ने किया छात्राओं से बलात्कार

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itbp/बर्फीली चुनौतियों को मात दे रही हैं आइटीबीपी की 35 हिम वीरांगनाएं

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500, 1000 रुपये के नोट गैर-कानूनी, 30 दिसंबर तक बैंकों और डाकघरों में जमा करा दें : प्रधानमंत्री मोदी

500, 1000 रुपये के नोट गैर-कानूनी, 30 दिसंबर तक बैंकों और डाकघरों में जमा करा दें : प्रधानमंत्री मोदी

jumla grandermother जुमला गांव की चूड़ा, भंगजीरा वाली जुमला दादी

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Just a beginning of the end of black money in India RBI to issue ₹2000 Rupees Notes coming February 2017

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सोमवार, 7 नवंबर 2016

विधानसभा चुनाव का शोर,घोषणाओं की झड़ी के बीच चुनाव पर निशाना

विधानसभा चुनाव का शोर,घोषणाओं की झड़ी के बीच चुनाव पर निशाना

उत्तराखंड में देवी तुल्य मानते हुए पूजी जाने वाली बालिकाओं के साथ गैंगरेप!

उत्तराखंड में देवी तुल्य मानते हुए पूजी जाने वाली बालिकाओं के साथ गैंगरेप!

क्या नजीब की मां के साथ जेएनयू के छात्रों को संघर्ष नहीं करना चाहिए? !!

क्या नजीब की मां के साथ जेएनयू के छात्रों को संघर्ष नहीं करना चाहिए? !!

मैं एक आम आदमी हूँ और मेरी कोई औकात नहीं है

मैं एक आम आदमी हूँ और मेरी कोई औकात नहीं है

भारतीय दर्शन शिक्षा, संस्कृति और सभ्यता का गौरवशाली केंद्र कण्वाश्रम

भारतीय दर्शन शिक्षा, संस्कृति और सभ्यता का गौरवशाली केंद्र कण्वाश्रम

शनिवार, 5 नवंबर 2016

कब से मरने का इंतजार कर रहा हूँ लेकिन मौत है कि कम्‍बखत आती ही नहीं है।

कब से मरने का इंतजार कर रहा हूँ लेकिन मौत है कि कम्‍बखत आती ही नहीं है।

क्या ये राजनीति नहीं है? क्या ये उन्हीं ‘ऐसे मामलों’ में राजनीति नहीं है,

क्या ये राजनीति नहीं है? क्या ये उन्हीं ‘ऐसे मामलों’ में राजनीति नहीं है,

भारत और जापान के बीच होगी एयरक्राफ्ट की डील चीन को कड़ा संदेश

भारत और जापान के बीच होगी एयरक्राफ्ट की डील चीन को कड़ा संदेश

नासा :जीपीएस सिग्नल पृथ्वी की सतह से 70,000 किमी की उंचाई पर स्थापित

नासा :जीपीएस सिग्नल पृथ्वी की सतह से 70,000 किमी की उंचाई पर स्थापित

तौलिया व हैड़वास भी वापस करना होगी पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को

तौलिया व हैड़वास भी वापस करना होगी पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को

पलायन : देवताओं जुग जुग जीना प्रभो, जुग जुग जागृत रहना प्रभो। ’’

पलायन : देवताओं जुग जुग जीना प्रभो, जुग जुग जागृत रहना प्रभो। ’’

हिमालय में “छम-छम’ की यह आवाज उनके पैरों में बंधे घुंघरुओं की

हिमालय में “छम-छम’ की यह आवाज उनके पैरों में बंधे घुंघरुओं की

बुधवार, 2 नवंबर 2016

टेलीनॉर 2000 स्टोर्स में मुहैया कराएगी ई-केवायसी की सुविधा

टेलीनॉर 2000 स्टोर्स में मुहैया कराएगी ई-केवायसी की सुविधा

‘चिपको आन्दोलन’ ने दुनिया को पर्यावरण संरक्षण की राह दिखाईः राज्यपाल

‘चिपको आन्दोलन’ ने दुनिया को पर्यावरण संरक्षण की राह दिखाईः राज्यपाल

03.11.2016 e paper

03.11.2016 e paper

सांठ – गांठ से रची साजिश (आदर्शवादी ही मचाने लगे लूट . भाग – २ )

सांठ – गांठ से रची साजिश (आदर्शवादी ही मचाने लगे लूट . भाग – २ )

मंगलवार, 1 नवंबर 2016

उत्तराखंड: सरकारों के मुखिया से लेकर नौकरशाहों की दिल्ली दौढ़

उत्तराखंड: सरकारों के मुखिया से लेकर नौकरशाहों की दिल्ली दौढ़

01.11.2016 e paper

01.11.2016 e paper

साबरमती जैसी चमकेगी अब यमुना दिल्ली सरकार का है मेगा प्लान

साबरमती जैसी चमकेगी अब यमुना दिल्ली सरकार का है मेगा प्लान

गरीबों को सामर्थ्यवान बनाने पर ही मिलेगा गरीबी से मुक्ति का मार्ग -नरेन्द्र मोदी

गरीबों को सामर्थ्यवान बनाने पर ही मिलेगा गरीबी से मुक्ति का मार्ग -नरेन्द्र मोदी

…और काल का ग्रास बनी उन अतृप्त आत्माओं के नहीं थम रहे थे आसू

…और काल का ग्रास बनी उन अतृप्त आत्माओं के नहीं थम रहे थे आसू

सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

केदारनाथ के कपाट बंद , छह माह ओंकारेश्वर मंदिर मैं विराजमान रहेंगे बाबा

केदारनाथ के कपाट बंद , छह माह ओंकारेश्वर मंदिर मैं विराजमान रहेंगे बाबा

e paper

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रिलायंस जियो 4जी कंपनी की मुफ्त सर्विस: फ्री का चंदन घिस मेरे नन्दन

रिलायंस जियो 4जी कंपनी की मुफ्त सर्विस: फ्री का चंदन घिस मेरे नन्दन

विधि-विधान के साथ गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद

विधि-विधान के साथ गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद

दुनिया भर से आने वाले प्रवासी पक्षियों पर इस बार बर्ड फ्लू का खतरा मंडरा रहा

दुनिया भर से आने वाले प्रवासी पक्षियों पर इस बार बर्ड फ्लू का खतरा मंडरा रहा

रिलायंस जियो 4जी कंपनी की मुफ्त सर्विस: फ्री का चंदन घिस मेरे नन्दन

रिलायंस जियो 4जी कंपनी की मुफ्त सर्विस: फ्री का चंदन घिस मेरे नन्दन

..बीसोंणु कु ढूगूं से स्योवु लफ्फा और पहाड़ की जीवन रेखाओं का यथार्थ जीवन

..बीसोंणु कु ढूगूं से स्योवु लफ्फा और पहाड़ की जीवन रेखाओं का यथार्थ जीवन

रविवार, 30 अक्तूबर 2016

प्रधानमंत्री के माणा पोस्ट न पहुंचने से दो दिन से इंतजार कर रहे जवानों में मायूसी

प्रधानमंत्री के माणा पोस्ट न पहुंचने से दो दिन से इंतजार कर रहे जवानों में मायूसी

कुकरेती के हर आखर में बसी है लोक की संस्कृति, लोक की विरासत व लोक की भाषा

कुकरेती के हर आखर में बसी है लोक की संस्कृति, लोक की विरासत व लोक की भाषा

नीरा शर्मा (बैम्बू लेडी)स्थानीय उत्पादों को आकर दे बना रही है खूबसूरत ज्वैलेरी

नीरा शर्मा (बैम्बू लेडी)स्थानीय उत्पादों को आकर दे बना रही है खूबसूरत ज्वैलेरी

सेंट्रल इटली में 6.6 भूकंप की तीव्रता से तबाही, सदियों पुरानी इमारतें जमींदोज

सेंट्रल इटली में 6.6 भूकंप की तीव्रता से तबाही, सदियों पुरानी इमारतें जमींदोज

‘सरदार की जयंति पर सरदारों को मौत के घाट उतारा’:प्रधानमंत्री

‘सरदार की जयंति पर सरदारों को मौत के घाट उतारा’:प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश में जवानों के साथ मनाई दिवाली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश में जवानों के साथ मनाई दिवाली

शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

केदारनाथ में जोरदार बर्फवारी, तापमान गिरा ठण्ड ने बढाई दिक्कतें

केदारनाथ में जोरदार बर्फवारी, तापमान गिरा ठण्ड ने बढाई दिक्कतें

महिला सशक्तिकरण के लिए संस्था ने बढ़ाया दायरा

महिला सशक्तिकरण के लिए संस्था ने बढ़ाया दायरा

चुनावी चेहरे और ‘बागियों को लेकर भाजपा में बढ़ी असमंजसता

चुनावी चेहरे और ‘बागियों को लेकर भाजपा में बढ़ी असमंजसता

देहरादून के राइफलमैन संदीप की शहादत को सलाम करने उमड़ा जनसैलाब

देहरादून के राइफलमैन संदीप की शहादत को सलाम करने उमड़ा जनसैलाब

भारत ने न्यूजीलैंड को 190 रनों से रौंदा, सीरीज पर 3-2 से कब्जा

भारत ने न्यूजीलैंड को 190 रनों से रौंदा, सीरीज पर 3-2 से कब्जा

खून का बदला खून, एक के बदले 10 सिर शहीद मंजीत के भाई ने कहा

खून का बदला खून, एक के बदले 10 सिर शहीद मंजीत के भाई ने कहा

अगले साल इतिहास रचेगा इसरो एक साथ लांच करेगा 82 सैटेलाइट

अगले साल इतिहास रचेगा इसरो एक साथ लांच करेगा 82 सैटेलाइट

cm uttrakhand

cm uttrakhand

शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016

आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने 50 हजार लोगों को बनाया बंधक

आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने 50 हजार लोगों को बनाया बंधक

म्यांमार के राखीन प्रांत में सुरक्षाबलों द्वारा दर्जनों महिलाओं से रेप

म्यांमार के राखीन प्रांत में सुरक्षाबलों द्वारा दर्जनों महिलाओं से रेप

हिमाचल प्रदेश खुले में शौच से मुक्त देश का दूसरा राज्य बन गया है

हिमाचल प्रदेश खुले में शौच से मुक्त देश का दूसरा राज्य बन गया है

हिन्दुस्तान के 292 महत्वपूर्ण व्यक्ति आतंकी संगठन इस्लामिक इस्टेट के निशाने पर

हिन्दुस्तान के 292 महत्वपूर्ण व्यक्ति आतंकी संगठन इस्लामिक इस्टेट के निशाने पर

उत्तराखंड के लिए 104 इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर योजना का शुभारंभ

उत्तराखंड के लिए 104 इंटीग्रेटेड हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर योजना का शुभारंभ

कांग्रेस छोडऩे वाले नेताओं की सीट पर अबूझ पहेली बने सियासी समीकरण

कांग्रेस छोडऩे वाले नेताओं की सीट पर अबूझ पहेली बने सियासी समीकरण

मानसिक रोग से पीडि़त बच्चे की मदद को अध्यापकों ने बढ़ाये हाथ

मानसिक रोग से पीडि़त बच्चे की मदद को अध्यापकों ने बढ़ाये हाथ

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2016

दुनिया में सबसे अच्छा वातावरण अभी भी तिब्बत में

दुनिया में सबसे अच्छा वातावरण अभी भी तिब्बत में

बोलने वाले तोते ने महिला के सामने खोल डाली पति के अफेयर की पोल

बोलने वाले तोते ने महिला के सामने खोल डाली पति के अफेयर की पोल

राजनीती कोयले की दलाली

राजनीती कोयले की दलाली

यमुनोत्री में सुखदेव बिगाड़ सकते हैं प्रीतम-केदार के समीकरण

यमुनोत्री में सुखदेव बिगाड़ सकते हैं प्रीतम-केदार के समीकरण

सीएम की ये निर्लज्ज हँसी

सीएम की ये निर्लज्ज हँसी

सीएम की ये निर्लज्ज हँसी

सीएम की ये निर्लज्ज हँसी

राजनीती कोयले की दलाली

राजनीती कोयले की दलाली

बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

दलितों को मिला मंदिर में प्रवेश

दलितों को मिला मंदिर में प्रवेश

महंगाई भत्ते का तोहफा!

महंगाई भत्ते का तोहफा!

पावर गेम में रतन टाटा ने दो दिग्गज उतारे

पावर गेम में रतन टाटा ने दो दिग्गज उतारे

राष्ट्रपति का वेतन पांच लाख रुपये

राष्ट्रपति का वेतन पांच लाख रुपये

अंतिम निशाना लोकतंत्र

अंतिम निशाना लोकतंत्र

छतों से कूद-कूदकर भाग रहे थे कैडेट…

छतों से कूद-कूदकर भाग रहे थे कैडेट…

25 प्रवासियों की मौत

25 प्रवासियों की मौत

पत्रकारिता पवित्र मिशन

पत्रकारिता पवित्र मिशन

खेल दिवस समारोह

खेल दिवस समारोह

पहाड़ी व्यंजनों का जादू

पहाड़ी व्यंजनों का जादू

बदहाल इंटर कालेज

बदहाल इंटर कालेज

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2016

प्रदूषण फैलाने वालों की खैर नहीं

प्रदूषण फैलाने वालों की खैर नहीं

मलिन बस्तियों तक सिमटकर रह गए हैं राजकुमार !

मलिन बस्तियों तक सिमटकर रह गए हैं राजकुमार !

48 वर्षीय महिला पे्रमी संग फरार

48 वर्षीय महिला पे्रमी संग फरार

‘सरकारी कब्जेदारों पर अदालत का चला चाबूक

‘सरकारी कब्जेदारों पर अदालत का चला चाबूक

एक बच्ची ने लिया दो बार जन्म

एक बच्ची ने लिया दो बार जन्म

रविवार, 23 अक्तूबर 2016

अब खा मच्छा

अब खा मच्छा

अब नहीं लूँगा पाकिस्तानियों को !

अब नहीं लूँगा पाकिस्तानियों को !

पानी-पानी हुई लड़की

पानी-पानी हुई लड़की

तो हिन्दू हमारे पैर छुयँगे :नसीमुद्दीन सिद्दीकी

तो हिन्दू हमारे पैर छुयँगे :नसीमुद्दीन सिद्दीकी

बीजेपी सरकार की देशभक्ति बिकाऊ

बीजेपी सरकार की देशभक्ति बिकाऊ

घूंघट वाली लेडी तस्कर

घूंघट वाली लेडी तस्कर

सपा में कलह

सपा में कलह

एअर इंडिया ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

एअर इंडिया ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

एअर इंडिया ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

एअर इंडिया ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

सरकार के उपाय बेअसर साबित

सरकार के उपाय बेअसर साबित

केदारनाथ पहुंचे अनिल अंबानी

केदारनाथ पहुंचे अनिल अंबानी

आ अब लौट चले ! शीतकालीन प्रवास को !

आ अब लौट चले ! शीतकालीन प्रवास को !

बॉलीवुड राजनीति से डरा

बॉलीवुड राजनीति से डरा

भाजपा का ”मास्टर स्ट्रोक”

भाजपा का ”मास्टर स्ट्रोक”

स्लिम व सुंदर

स्लिम व सुंदर

प्रबंधक ने मेरा बलात्कार किया

प्रबंधक ने मेरा बलात्कार किया

शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

आज भी रोटी के लिए महानगरों का मुह ताकते को हम मजबूर

आज भी रोटी के लिए महानगरों का मुह ताकते को हम मजबूर

आज भी है ‘अतृप्त आत्माओं’ को ‘अपनों का इंतजार’

आज भी है ‘अतृप्त आत्माओं’ को ‘अपनों का इंतजार’

आज भी रोटी के लिए महानगरों का मुह ताकते को हम मजबूर

आज भी रोटी के लिए महानगरों का मुह ताकते को हम मजबूर

देखो सरकार? युवाओं का पलायन,गांव खाली

देखो सरकार? युवाओं का पलायन,गांव खाली

क्वे सुण दु म्येरि खैरि…

क्वे सुण दु म्येरि खैरि…

उठा जागा उत्तराखंडियो, सौं उठाणों वक्त ऐगो…

उठा जागा उत्तराखंडियो, सौं उठाणों वक्त ऐगो…

आपदा प्रभावितों के साथ सरकार हर कदम पर

आपदा प्रभावितों के साथ सरकार हर कदम पर

तीन सौ साल बाद देवरा यात्रा पर निकले भैरवनाथ

तीन सौ साल बाद देवरा यात्रा पर निकले भैरवनाथ

आ अब लौट चले ! शीतकालीन प्रवास को !

आ अब लौट चले ! शीतकालीन प्रवास को !

आज भी है ‘अतृप्त आत्माओं’ को ‘अपनों का इंतजार’

आज भी है ‘अतृप्त आत्माओं’ को ‘अपनों का इंतजार’

आज भी रोटी के लिए महानगरों का मुह ताकते को हम मजबूर

आज भी रोटी के लिए महानगरों का मुह ताकते को हम मजबूर

देखो सरकार? युवाओं का पलायन,गांव खाली

देखो सरकार? युवाओं का पलायन,गांव खाली

क्वे सुण दु म्येरि खैरि…

क्वे सुण दु म्येरि खैरि…

उठा जागा उत्तराखंडियो, सौं उठाणों वक्त ऐगो…

उठा जागा उत्तराखंडियो, सौं उठाणों वक्त ऐगो…

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2016

)राज्यपाल ने कुमांऊ विवि के दीक्षांत समारोह में डिग्री व मेडल प्रदान किए

)राज्यपाल ने कुमांऊ विवि के दीक्षांत समारोह में डिग्री व मेडल प्रदान किए

सिद्घार्थ जल्द ही न्यूज़ीलैंड की अपनी दूसरी यात्रा पर जाएंगे

सिद्घार्थ जल्द ही न्यूज़ीलैंड की अपनी दूसरी यात्रा पर जाएंगे

त्यौहारों में ही आती है मिलावट की याद

त्यौहारों में ही आती है मिलावट की याद

चुनावी जमीन पुख्ता करने में जुटे दावेदार

चुनावी जमीन पुख्ता करने में जुटे दावेदार

चुनावी जमीन पुख्ता करने में जुटे दावेदार

चुनावी जमीन पुख्ता करने में जुटे दावेदार

सत्ता का संग्राम

सत्ता का संग्राम

‘लक्स गोल्डन रोज़ अवार्ड्स’ शो

‘लक्स गोल्डन रोज़ अवार्ड्स’ शो

‘लक्स गोल्डन रोज़ अवार्ड्स’ शो

‘लक्स गोल्डन रोज़ अवार्ड्स’ शो

सत्ता का संग्राम

सत्ता का संग्राम

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

अगस्त्यमुनि में 17 साल बाद हुआ महापंचायत का आयोजन

अगस्त्यमुनि में 17 साल बाद हुआ महापंचायत का आयोजन

रीता बहुगुणा जोशी का पार्टी छोडऩा, कांगे्रस के लिए बड़ा झटका

रीता बहुगुणा जोशी का पार्टी छोडऩा, कांगे्रस के लिए बड़ा झटका

जल्द लागू होगी नई शिक्षा नीति: जावड़ेकर

जल्द लागू होगी नई शिक्षा नीति: जावड़ेकर

कण्वाश्रम, कोटद्वार, लैसडोन, पौड़ी, खिर्सू को जोड़कर नया पर्यटन सर्किट बनाए

कण्वाश्रम, कोटद्वार, लैसडोन, पौड़ी, खिर्सू को जोड़कर नया पर्यटन सर्किट बनाए

आप के लिए पहाड़ चढऩा बड़ी चुनौती

आप के लिए पहाड़ चढऩा बड़ी चुनौती

2017 के लिए फूंक फूंककर कदम रख रही भाजपा

2017 के लिए फूंक फूंककर कदम रख रही भाजपा

नर कंकाल खोजने के लिए कांबिंग का ब्लू प्रिंट तैयार

नर कंकाल खोजने के लिए कांबिंग का ब्लू प्रिंट तैयार

भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी

भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी

तिवारी को कमतर आंकना होगी राजनैतिक भूल

तिवारी को कमतर आंकना होगी राजनैतिक भूल

भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी

भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी

भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी

भाजपा में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

गोमुखनुमा प्राकृतिक जलस्रोत-सर-बडियाड़ के सात जल धारे

गोमुखनुमा प्राकृतिक जलस्रोत-सर-बडियाड़ के सात जल धारे

उपपा ने केदारनाथ आपदा में मौतों के लिए भाजपा-कांगे्रस को जिम्मेदार ठहराया

उपपा ने केदारनाथ आपदा में मौतों के लिए भाजपा-कांगे्रस को जिम्मेदार ठहराया

नार्दन इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर शुरू

नार्दन इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर शुरू

केंद्र से मांगे 650 करोड़

केंद्र से मांगे 650 करोड़

सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

हा-काम्बिंग में मिले 31 नरकंकाल

हा-काम्बिंग में मिले 31 नरकंकाल

पर्वतीय कृषि को अधिक उत्पादक एवं लाभकारी बनाएं: राज्यपाल

पर्वतीय कृषि को अधिक उत्पादक एवं लाभकारी बनाएं: राज्यपाल

देश की पंचायत व्यवस्था में कितने पढ़े लिखे बेवकूफ

देश की पंचायत व्यवस्था में कितने पढ़े लिखे बेवकूफ

सेना और जनता का टकराव

सेना और जनता का टकराव

पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब है ब्रिक्स की बुनियाद

पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब है ब्रिक्स की बुनियाद

Uttarakhand is back on track

Uttarakhand is back on track

उत्तराखण्ड सिर्फ विकास की बोली समझता है

उत्तराखण्ड सिर्फ विकास की बोली समझता है

आज के सत्ताधीश

आज के सत्ताधीश

सेना और जनता का टकराव

सेना और जनता का टकराव

रविवार, 16 अक्तूबर 2016

उत्तराखण्ड सिर्फ विकास की बोली समझता है

उत्तराखण्ड सिर्फ विकास की बोली समझता है

आज के सत्ताधीश

आज के सत्ताधीश

उत्तराखण्ड की उडनपरी

उत्तराखण्ड की उडनपरी

जन्नत ये गांव

जन्नत ये गांव

आखिर अपने लोग क्यों हाशिये पर रखती है प्रदेश सरकार

आखिर अपने लोग क्यों हाशिये पर रखती है प्रदेश सरकार

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

सीएम की बेटी ने नींद उड़ा दी इनकी

सीएम की बेटी ने नींद उड़ा दी इनकी

अभी भी पांच हजार से अधिक नर कंकाल

अभी भी पांच हजार से अधिक नर कंकाल

केदारघाटी में सामने आने लगा कड़वा सच

केदारघाटी में सामने आने लगा कड़वा सच

खोजो नर कंकाल अभियान चलाए सरकार: निशंक

खोजो नर कंकाल अभियान चलाए सरकार: निशंक

टैटू मिटाने के लिए युवक जला रहे शरीर

टैटू मिटाने के लिए युवक जला रहे शरीर

रेलवे प्रोजेक्ट में ग्रामीणों का सहयोग जरूरी : मिश्र

रेलवे प्रोजेक्ट में ग्रामीणों का सहयोग जरूरी : मिश्र

दून पहुंचने पर चंद्रशेखर भट्ट का जोरदार स्वागत

दून पहुंचने पर चंद्रशेखर भट्ट का जोरदार स्वागत

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2016

15 करोड़ की लागत से निर्मित बहुद्देशीय क्रीड़ा हाल लोकार्पित

15 करोड़ की लागत से निर्मित बहुद्देशीय क्रीड़ा हाल लोकार्पित

मृतकों की याद में बने स्मारक को विभाग ने तोड़ा

मृतकों की याद में बने स्मारक को विभाग ने तोड़ा

यात्रा के सफल संचालन से भाजपा में घबराहट: नेगी

यात्रा के सफल संचालन से भाजपा में घबराहट: नेगी

भजन संध्या और चारधाम एपिसोड पर कटघरे में सरकार

भजन संध्या और चारधाम एपिसोड पर कटघरे में सरकार

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016

e paper 12.10.2016

e paper 12.10.2016

पहाड़ से बचने के चक्कर में अफसरों ने डूबो दिया एकमात्र जड़ी-बूटी शोध संस्थान

पहाड़ से बचने के चक्कर में अफसरों ने डूबो दिया एकमात्र जड़ी-बूटी शोध संस्थान

बेजुबानों को ही अपना परिवार बना लिया

बेजुबानों को ही अपना परिवार बना लिया

सीएम रावत ने रामलीला झॉकी व दुर्गा माता डोला के साथ पैदल भम्रण कर जनसम्पर्क किया

सीएम रावत ने रामलीला झॉकी व दुर्गा माता डोला के साथ पैदल भम्रण कर जनसम्पर्क किया

सांस्कृतिक पहचान के लिए प्रसिद्ध है माणा गांव

सांस्कृतिक पहचान के लिए प्रसिद्ध है माणा गांव

पर्वतीय जिलों में प्रतिव्यक्ति आय मैदानी जिलों के मुकाबले आधा

पर्वतीय जिलों में प्रतिव्यक्ति आय मैदानी जिलों के मुकाबले आधा

चारधाम के कपाट बंद होने की तिथिया घोषित

चारधाम के कपाट बंद होने की तिथिया घोषित

‘जन सेवा’ ग्रुप, अब ‘देवभूमि जनसेवा’ समिति

‘जन सेवा’ ग्रुप, अब ‘देवभूमि जनसेवा’ समिति

‘जन सेवा’ ग्रुप, अब ‘देवभूमि जनसेवा’ समिति

‘जन सेवा’ ग्रुप, अब ‘देवभूमि जनसेवा’ समिति

रविवार, 9 अक्तूबर 2016

जमीनी नेता की हकीकत

जमीनी नेता की हकीकत

मैं सिर्फ पत्थर नहीं हूॅ, साक्षात शिव हूॅ

मैं सिर्फ पत्थर नहीं हूॅ, साक्षात शिव हूॅ

gk 2014

gk 2014

सुकून देते हैं केदार घाटी के तीर्थ, ताल, बुग्याल व सरोवर

सुकून देते हैं केदार घाटी के तीर्थ, ताल, बुग्याल व सरोवर

नदी, गाड़-गदेरे बन गए हैं मनुष्य के लिए खतरनाक

नदी, गाड़-गदेरे बन गए हैं मनुष्य के लिए खतरनाक

देवभूमि में पंच बदरी और पंच केदार हैं आस्था के दस द्वार

देवभूमि में पंच बदरी और पंच केदार हैं आस्था के दस द्वार

जमीनी नेता की हकीकत

जमीनी नेता की हकीकत

शनिवार, 8 अक्तूबर 2016

मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक

मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक

जो मां की पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है

जो मां की पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है

मीट देखो,मीट की धार देखो.सरकारी खजाना, मीट की तरी में तैरता,उस पार देखो.

मीट देखो,मीट की धार देखो.सरकारी खजाना, मीट की तरी में तैरता,उस पार देखो.

भारत का आखिरी गाँव

भारत का आखिरी गाँव

स्वच्छता पाती!

स्वच्छता पाती!

कहीं मेरे देश की मानवता भी न मर जाए यूँही।

कहीं मेरे देश की मानवता भी न मर जाए यूँही।

… जागर सुन, बरस जाते हैं बादल

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2 Habits Most Entrepreneurs Don’t Develop But Should

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उत्तराखंड वन विकास निगम (UFDC) में 191 पदों पर सीधी भर्ती, 13 अक्टूबर तक करें आवेदन

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मैथ्यू हरिकेन से फ्लोरिडा बेहाल, हैती में कम से कम 900 लोगों की मौत

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राजधानी दून में आठ नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि

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पारम्परिक फसलों का दिया जा रहा बोनसः सीएम

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किसान यात्रा के बाद राहुल आदिवासी यात्रा करेंगे

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बदरीनाथ में होंगे परंपरा और संस्कृति के दर्शन

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शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016

thish lo….पहाड के शेर से डरती है दुनिया

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जय देवभूमि जय उत्तराखंड

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71 साल की आयु में सीमांत की बंजर भूमि पर उगा रहे हैं सोना !

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पान की दुकान से पत्रकारिता तक

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e paper 08.10.2016

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…और नारा लगा रहे है स्वदेश-स्वदेश

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गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

Panch Kedar in Uttarakhand

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वर्ष 2016 में आयोजित होने वाली सभी भर्तियों की सूची : अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें|

वर्ष 2016 में आयोजित होने वाली सभी भर्तियों की सूची : अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें|

“” आंतकवादी ” रक्तबीज ” होते हैं क्या ?

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भूतों का गांव

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उनकी ऐसी सोच……..एक पागल को दूसरा पागल सम्मानित कर रहा

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६० सालों से संजो रहें हैं लोक की सांस्कृतिक विरासत

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सबसे बड़ा खलनायक है तो शिक्षक

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“”—शख्स से शख्सियत Y S Negi जी-“””

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hanuman-on-rock/स्वर्गारोहिणी की पहाड़ी पर हनुमान

hanuman-on-rock/स्वर्गारोहिणी की पहाड़ी पर हनुमान

एक और गंधकयुक्त पानी का चश्मा

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कण-कण में देवताओं का वास

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कौवों का कब्रगाह

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भीमताल स्विटजरलैण्ड से भी खूबसूरत

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 कुंजापुरी में गिरा था देवी सती का कुंज भाग

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e 7.10.2016

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अब संजीवनी बूटी के नाम पर होगा खेल!

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(राजसी शान टिहरी नथ ..!)

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(नई शिक्षा नीति में हो, ठोस पहल)

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स्मार्ट पहाड़ के बारे में कब सोचोगे सरकार….?

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रक्तपिपासुओं की खूनी प्यास

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नदी से निकलते हैं शिवलिंग

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देवलगढ़ राजमहल में विराजमान है मा राजराजेश्वरी

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सोमवार, 1 अगस्त 2016

‘आरटीआई टी स्टॉल’



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जिस शख्स की वजह से सैकड़ों ग्रामीणों ने सरकार के बारे में जानकारियां हासिल की और इन जानकारियों की बदौलत लोगों ने सरकार से मिलने वाली सुविधाएं और अपना हक हासिल किया। उसकी पहचान एक चाय की दुकान है। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के चौबेपुर गांव में चाय की दुकान उनका दफ्तर भी है। जहां पर बैठ लोग गरमा गरम चाय की चुस्कियों के साथ अपनी परेशानियों का हल भी ढूंढते हैं। पिछले पांच सालों से 27 साल के कृष्ण मुरारी यादव जिस चाय की दुकान पर बैठकर ये काम करते हैं वो दुकान दूसरों से अलग नहीं है, तीन कच्ची दीवारों और फूस की छत के नीचे वो अब तक सैकड़ों बार सूचना का अधिकार यानी आरटीआई का इस्तेमाल कर लोगों की भलाई में जुटे हैं।लोकतंत्र की जड़ें गहरी करने में आरटीआई की तारीफ जितनी की जाये उतनी कम है। इससे लाल फीताशाही दूर करने और अफसरशाही के टालमटोल वाले रवैये को दूर करने में मदद मिलती जरूर है लेकिन ये तस्वीर का एक पहलू है। इसका दूसरा पहलू भी है और वो है कि 12 अक्टूबर 2005 से लागू हुए आरटीआई के बारे में आज भी दूर दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है। वो ये नहीं जानते कि अपने गांव की सड़क हो या अस्पताल या फिर राशन की दुकान में आने वाले समान की जानकारी आरटीआई के जरिये कैसे हासिल कर सकते हैं। इस बात को जब करीब 5 साल पहले कानपुर के रहने वाले कृष्ण मुरारी यादव ने जाना तो उन्होंने फैसला लिया वो ऐसे लोगों को इसकी जानकारी देंगे।27 साल के कृष्ण मुरारी यादव ने समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वे बताते हैं कि जब वे इंटर में पढ़ाई कर रहे थे तब वे स्कूल की तरफ से कई बार गरीब बच्चों को पढ़ाने और उन्हे जागरूक करने का काम करते थे लेकिन पढ़ाई खत्म करने के बाद करीब 2 साल तक उन्होंने नौकरी की, लेकिन इस काम में उनका मन नहीं लगता था। कृष्ण मुरारी यादव के मुताबिक “एक दिन मैंने देखा कि एक सरकारी ऑफिस के बाहर 5-6 लोग मिलकर वहां पर आने वाले लोगों को सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) की जानकारी दे रहे थे। वे उन लोगों को कह रहे थे कि अगर उनका काम किसी कारणवश सरकारी विभाग में नहीं हो पा रहा है, तो वे आरटीआई डालें। जिसके बाद लोगों का काम बिना किसी को पैसे दिये हो रहा था। इस बात से मैं काफी प्रभावित हुआ।”तब कृष्ण मुरारी को लगा कि आरटीआई तो एक औजार है अगर लोग इसका सही इस्तेमाल करें तो देश की आधी आबादी की समस्या दूर हो जायेगी, जो सालों से अपनी समस्याओं को लेकर सरकारी विभागों के चक्कर काट रहे हैं। तब उन्होंने आरटीआई के बारे में गहन अध्ययन किया ताकि वे इस कानून को अच्छी तरह से जान सकें। जिसके बाद वो साल 2011 में पूरी तरह इस मुहिम से जुड़ गये।कानपुर शहर में ही उन्होंने अनेक लोगों के लिए आरटीआई डालकर उनकी मदद की। धीरे धीरे अपने काम को लेकर वो शहर में मशहूर हो गये। जब उनके काम की चर्चा अखबारों में होने लगी तो उनके परिवार वाले नाराज हुए क्योंकि वो चाहते थे कि कृष्ण मुरारी यादव समाज सेवा छोड़ नौकरी पर ध्यान दें। लेकिन इन बातों का कृष्ण मुरारी पर कोई प्रभाव नहीं हुआ और एक दिन वो अपने परिवार से दूर चौबेपुर गांव में आकर रहने लगे। क्योंकि उनका मानना है”देश की आधे से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है और जब शहरों में ही लोगों को आरटीआई के बारे में ठीक से नहीं पता है, तो गांवो में तो अशिक्षा और जानकारी के अभाव में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होगी।” कृष्ण मुरारी ने लोगों को आरटीआई की जानकारी देने से पहले 20-25 गांवों में सर्वे कर ये जानने की कोशिश की कि उनकी समस्याएं क्या हैं। इसके बाद उन्होंने पदयात्रा निकालकर और पैम्पलेट बांट कर वहां के लोगों को जागरूक किया। उन्होंने गांव वालों से कहा कि अगर उनका किसी भी तरह का सरकारी काम नहीं हो रहा है तो वे उनके पास आयें। वे उनका काम करवाने में मदद करेगें।इसके बाद तो मुरारी के पास शिकायतों का अंबार लग गया। काफी लोगों ने उन्हें बताया कि बहुत कोशिशों के बाद भी उनका राशनकार्ड नहीं बना है, कुछ लोगों ने उन्हें जमीन का मुआवजा न मिलने की बात बताई। एक व्यक्ति ने उन्हें बताया कि उसके भाई की 2002 में दुर्घटना में मौत हो गयी थी उसका मुआवजा नहीं मिला है। जिसके बाद उन्होंने इन सब समस्याओं को दूर करने के लिए जब आरटीआई डाली तो इससे लोगों के रूके हुए सभी काम पूरे होने लगे। अब कृष्ण मुरारी के सामने एक बड़ी समस्या थी ऐसी जगह की जहां पर लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुन सकें और उनको आरटीआई कैसे डाली जाती है, उसके बारे में बता सकें। इस काम में उनकी मदद की तातियागंज गांव में चाय की दुकान चलाने वाले मूलचंद ने। वे बताते हैं कि “मैं और मेरे साथी इसी दुकान में चाय पीते थे। साथ ही हम अपने काम के बारे में यहीं बैठकर बातचीत करते थे। ऐसे में मूलचंद भी इस काम में दिलचस्पी दिखाने लगे। जिसके बाद उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं उनकी दुकान में ही अपना ऑफिस खोल लूं।”इस तरह कृष्ण मुरारी ने साल 2013 में ‘आरटीआई टी स्टॉल’ नाम से उस जगह अपना ऑफिस खोल दिया। इसके बाद लोग आस पास के गांव से ही नहीं बल्कि झांसी, हमीरपुर, घाटमपुर, बांदा, रसूलाबाद से भी आने लगे। वे कहते हैं “अब तक मैं करीब 500 लोगों की आरटीआई के जरिये मदद कर चुका हूं। इसके अलावा मैंने खुद 250-300 आरटीआई डाली हैं। साथ ही मैंने काफी ऐसे लोगों की भी आरटीआई डालने में मदद की है जो की फोन के जरिये मुझसे संपर्क करते हैं।” चौबेपुर के लोगों को जिन समस्याओं से दो चार होना पड़ता है वो देश के गांवों के लोगों की समस्याओं का एक उदाहरण भर है। भूमि विवाद, सरकारी कर्ज की योजनाएं, पेंशन, सड़क निर्माण और स्थानीय स्कूलों के लिये पैसे, इस तरह की समस्याएं काफी ज्यादा हैं।अपनी आर्थिक दिक्कतों के बारे में कृष्ण मुरारी यादव का कहना है कि वो कुछ पत्र-पत्रिकाओं और पोर्टल में लेख लिखकर थोड़ा बहुत पैसा कमाते हैं। बावजूद कई बार उनके पास आरटीआई डालने के लिए पैसे नहीं होते हैं तब वे दोस्तों से उधार मांग कर आरटीआई डालते हैं। अब उनकी योजना एक ऐसी मोबाइल वैन बनाने की है जो दूर दराज के इलाकों में जाकर लोगों को आरटीआई से जुड़ी सभी जानकारियां दे सके।

शनिवार, 30 जुलाई 2016

केदार घाटी की बेटी


शहर मे लाखों का पैकेज छोड़ गांव की माटी में उगा रही है सोना
संजय चौहान
वास्तव में यदि देखा जाय तो वर्तमान में जिस तरह से बेटियां पहाड़ का नाम रोशन कर रही है और शहर की चकाचौंध दुनिया को अलविदा कह कर गांवो की और लौट रही है और रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करा रहे हैं वो भविष्य के लिए शुभ संकेत है, रंजना रावत ने अपने चमकदार कैरियर को छोड़ पुरखों की माटी में पलायन को रोकने और रोजगार सृजन की जो मुहीम चलाई है वो सुखद है, इस लेख के जरिये रंजना को उनके बुलंद होंसले और जिजिवाषा को एक छोटी सी भेंट
2 1
जी हाँ जिन हाथों ने बीमार ब्यक्तियों के लिए गोली, इंजेक्सन, आँखों की दवाई, ट्यूब से लेकर जीवन रक्षक दवाई बनानी थी वही हाथ अपनी पुरखों की माटी की मिटटी में सोना उगा रही है, २४ सालों तक जिन हाथों ने केवल पेन, पेन्सिल, रबर और मोबाइल को ही चलाया हो और उसके बाद पहली बार दारंती, कुदाल, बेलचा, गैंती, गोबर, से लेकर मिटटी से साक्षत्कार हुआ हो तो जरुर उसमे कोई न कोई ख़ास बात जरुर होगी, नहीं तो यों ही कोई पढाई लिखाई शहरों में करने के बाद रोजगार के लिए अपने गांव का रुख नहीं करते --- लीजिये इस बार ग्राउंड जीरो से केदार घाटी की बेटी रंजना रावत से आपको रूबरू करवाते हैं – हिमवंत कवि चन्द्रकुंवर बर्त्वाल की कर्मस्थली और महात्म्य अगस्त ऋषि की तपोभूमि में मन्दाकिनी नदी के बांयी और बसा है भीरी चंद्रापुरी का सुंदर क्षेत्र, इस पूरे इलाके में दर्जनों ग्रामसभाएं है जिनका केंद्र बिंदु भीरी है, इसी भीरी गांव के अनीता रावत और दरबान सिंह रावत जी जो वर्तमान में जिलाधिकारी कार्यालय रुद्रप्रयाग में बतौर प्रसाशनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत है के घर ३ मार्च १९९२ को एक बिटिया का जन्म हुआ, माता-पिता ने बड़े प्यार से अपनी इस लाडली का नाम रंजना रखा, माता-पिता को उम्मीद ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास था की उनके बेटी जरुर उनका नाम रोशन करेगी, रंजना बचपन से ही मेधावी और होनहार थी, रंजना की प्राथमिक से लेकर १२ वीं तक कि शिक्षा अलकनंदा और मन्दाकिनी के संगम में बसे और महान योगी श्री १०८ स्वामी सच्चिदानंद की पावन भूमि रुद्रप्रयाग में हुई, जिसके बाद हेमवंती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय से फार्मेसी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, बचपन से ही बहुमखी प्रतिभा की धनी रंजना ने स्कूली शिक्षा से लेकर तकनीकी शिक्षा में अपनी सृजनात्मक गतिविधियों से अपनी अलग ही पहचान बनाई थी, शिक्षा ग्रहण करते समय इन्होने पोस्टर कैम्पैनिग से लेकर रंगोली में हर जगह अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, फार्मेसी में स्नातक के बाद रंजना को बहुरास्ट्रीय कम्पनी में क्वालिटी ऑफिसर के रूप में नौकरी मिल गई, इस दौरान रंजना को कई रास्ट्रीय स्तर के सेमिनारों में प्रतिभाग करने का मौका भी मिला जिसमे उन्हें ग्रामीण इलाको की समस्याओं को जाना, मन ही मन रंजना लोगो के लिए कुछ करना चाहती थी, लेकिन वो अंतर्द्वंद में कैद हो कर रह गई थी, मन करता की लोगों के लिए कुछ करूँ और घर वाले और दोस्त नौकरी से खुश थे, इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘’ मन की बात’’ में एक महिला द्वारा पूछे गए प्रश्न – की –क्या आपको पता था की आप एक दिन देश के प्रधानमन्त्री बनोगे, तो मोदी जी का जबाब था की नहीं लेकिन अगर आपको जीवन में कुछ बनाना है तो उसके सपने जरुर देखो और उस सपने को पूरा करने के लिए हर मुमकिन कोशिस करो,-- इस एक बात ने रंजना के मन की बात सुन ली और रंजना ने अपनी अच्छी खासी नौकरी को अलविदा कह कुछ करने की ठानी, वैसे नौकरी में रहते हुये भी रंजना समाज के लिए कार्य करती रहती थी, इसी दौरान कुछ दोस्त और सहयोगियों के साथ मिलकर इन्होने आरोही फाउंडेशन की नीव रखी थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाको के लोगो को रोजगार, पलायन, कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य सुविधाएं, सहित कई जनपयोगी कार्यों को दूर गांव के अंतिम ब्यक्ति तक पहुँचाना था, शुरुआत में इन्होने कई गांवो में मेडिकल कैम्प लगवाये और लोगो की मदद की— नौकरी छोड़ने के बाद जैसे ही इसके बारे में माता- पिता को बताया और अपने भविष्य के कार्यक्रम के बारे में अवगत करवाया तो माता- पिता सकते में आ गए, उन्हें लगा अपनी बेटी पर उन्होंने इतने पैसे खर्च किये अब वो लोगो को क्या कहेंगे, लेकिन रंजना की जिद के आगे आख़िरकार माता- पिता ने अपनी बेटी को हरी झंडी दे दी, परिवार की हामी से रंजना को जैसे सपना सच होने जैसे था, इसी बीच रंजना ने दिल्ली से मशरूम उत्त्पादन से लेकर बागवानी, कृषि और फल संरक्षण का प्रशिक्षण भी लिए और बारीकियां भी सीखी, नई उम्मीद, नए सपने और होंसलो को लिए रंजना ने जनवरी २०१६ में चमकते भविष्य को छोड़कर अपने गांव की माटी की और रुख किया, और अपने गांव भीरी में आरोह फाउन्डेशन के जरिये अपना खुद का काम शुरू किया, शुरु शुरू में जरुर परेशानीयों से रूबरू होना पड़ा, लेकिन जिद और धुन की पक्की रंजना ने हार नहीं मानी, इस दौरान रंजना ने गांव गांव का भ्रमण कर लोगो को जागरूक और प्रेरित करने का कार्य किया, जिसकी परणीती यह हुई की महज ६ महीनो में ही रंजना ने भीरी के आस पास के ३५ गांवो के ५०० ग्रामीणों को प्रशिक्षत करके उन्हें स्वरोजगार का मंत्र दिया है, आज ३५ गांवो के लोग, मशरूम उत्पादन, कृषि, फल संरक्षण, फूल उत्पादन, साग-सब्जी उत्पादन के जरिये अच्छी खासी आमदानी कर रहें है, उनके कार्यों को कई मंचो पर सम्मान भी मिला साथ ही मुंबई कौथिग में भी रंजना को प्रतिभाग करने का मौका मिला, बकौल रंजना कहती है की अब जाकर उन्हें लगता है की वो अपने कार्य में सफल हो पाई है, कहती है की ये तो महज एक शुरुआत भर है अभी तो बहुत ऊँची उड़ान भरनी है, रंजना से हुई लम्बी गुफ्तगू में रंजना कहती है की आज भी हमारे समाज में लडकियों की जिन्दगी महज पढाई और शादी तक ही सिमित होकर रह गई है, आज भी बेटियों को सपने बुनने की आजादी नहीं है, लेकिन में बहुत खुसनसीब हूँ की मेरे माता- पिताजी ने मेरे सपनो को हकीकत में बदलने के लिए मेरा साथ दिया और मेरा होंसला बढाया शुरू शुरू में उन्हें आशंका थी लेकिन आज वे मेरी सफलता से बेहद खुश हैं, आगे कहती है की हमारे पहाड़ की महिलाओं का जीवन बेहद कठिन है, जितना मेहनत वे करते हैं उसका महज ५ फीसीदी ही उनके हिस्से आता है, यदि हम अपनी परम्परागत तकनीक में बदलाव लाकर नई तकनीक को अपनाए तो जरुर सफलता मिलेगी, जरुरत है तो सिर्फ और सिर्फ अपने हाथों पर विश्वास करने की, कुछ देर रुकने के बाद कहती है की मैंने भी तो अपने जीवन में कभी कुदाल, बेलचा, गैंती, सब्बल, कुल्हाड़ी, बांसुलू नहीं पकड़ा था और न ही इनके बारे में जाना था, लेकिन मन में लोगों के लिए कुछ करने का जूनून था, इसलिए पहले खुद से शुरुआत की और धीरे धीरे ये कारवां आगे बढ़ रहा है, आज मुझे काम करते हुये जो पहली मर्तबा देखेंगे तो उन्हें विश्वास ही नहीं होगा की मैंने २४ साल बाद कुदाल से लेकर कुल्हाड़ी पकड़ी है, लेकिन मेरा ब्यक्तिगत अनुभव कहता है की जीवन का आनंद जो अपने माटी की महक और सौंधी खुशबु में है वो मेट्रो और मॉल और बर्गर-पिज्जा में नहीं, जीवन का उदेश्य पूछने पर कहती हैं की खाली होते गांवो में यदि रौनक आ जाये, बंजर मिट्टी में सोना उगले, हारे हुये लोगों को होंसला दे सकूँ, भटके हुये लोगो को रास्ता मिल सके, पलायन कर चुके लोग वापस अपने गांवो की और लौट आये, और मायुस हो चुके चेहरों पर यदि खुशियों की लकीरों को लौटा सके तो मुझे लगेगा की में अपने मंजिल को पाने में कामयाब हो पाई, में चाहती हूँ की पहाड़ को लेकर जो भ्रांतियां लोगों के मन मस्तिष्क में घिर गई है की पहाड़ का पानी और जवानी पहाड़ के काम नहीं आती है बस उसे बदलने का समय आ चूका है की अब पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ को नए मुकाम पर ले जा सकता है, अभी तो बस कुछ कदमों का सफर ही तय किया है आगे मंजिल साफ़ दिखाई दे रही है, पीएम मोदी को अपना आदर्श मानने वाली रंजना कहती हैं की बदलाव महज सोचने और कहने भर से नहीं आता है इसके लिए चाहिए की असली धरातल पर कार्य हो रहा है की नहीं, मुझे ख़ुशी है की पहाड़ के लोगों ने अपने बेटियों के प्रति परम्परागत सोच को तिलांजली देकर उन्हें आगे बढ़ने का होंसला दे रहें है,
http://udaydinmaan.co.in/

गज़ब का विश्वास रखने वाले उद्यमी और कारोबारी अरविंद बलोनी



महज़ 1200 रुपये से कारोबार शुरू करने वाले अरविंद बलोनी अब 400 करोड़ रुपये के कारोबारी साम्राज्य के मालिक

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कामयाबी की कहानियाँ लोगों को प्रेरणा देती हैं। इन कहानियों की बड़ी घटनाएं लोगों में प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए संघर्ष करने को प्रोत्साहित करती हैं। कामयाबी के मंत्र बताती हैं और कामयाबी का रास्ता दिखाती हैं। कामयाबी की कहानियाँ से लोगों को बहुत सारे सबक भी मिलते हैं। ये कहानियाँ बताती हैं कि मेहनत और संघर्ष के बिना कामयाबी नहीं मिलती।भारत में कामयाबी की ऐसी कई अद्भुत और अद्वितीय कहानियाँ हैं जो युगों तक लोगों को प्रेरणा देती रहेंगी। ऐसी ही एक बेमिसाल और गज़ब की कहानी है धीरूभाई अंबानी की। धीरूभाई अंबानी ऐसी बड़ी शख्सियत हैं जिनसे भारत में कईयों ने प्रेरणा ली और कमाल का काम किया। धीरूभाई ने अपने जीवन में कई सारी मुसीबतों, समस्याओं और चुनौतियों का सामना किया और अपनी मेहनत, संघर्ष और जीत हासिल करने के मजबूत ज़ज्बे से दुनिया-भर के लोगों को प्रेरणा देने वाली कहानी के नायक बने। धीरूभाई ने जब कारोबार की दुनिया में कदम रखा था तो उन्हें कोई नहीं जानता था। शून्य से उनका सफ़र शुरू हुआ था। लेकिन अपने संघर्ष के बल पर उन्होंने एक बहुत बड़ा कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया। धीरूभाई की असाधारण कामयाबी के पीछे भजिया बेचकर उद्यमी बनने वाले एक साधारण इंसान से दुनिया-भर में मशहूर होने वाले बेहद कामयाब कारोबारी बनने की नायाब कहानी है।धीरूभाई अंबानी की इसी कहानी ने उत्तराखंड के एक साधारण युवा को भी बड़े-बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया। इस साधारण युवा ने अपनी परिवार की परंपरा को तोड़कर कारोबार की दुनिया में कदम रखा और दिलेरी से काम करते हुए सारी परेशानियों को दूर किया और फिर बड़ी-बड़ी कामयाबियां हासिल कीं। एक समय का ये साधारण युवा अब 400 करोड़ रुपये के कारोबारी साम्राज्य का मालिक है और इनका नाम है अरविंद बलोनी। अरविंद बलोनी टीडीएस ग्रुप के अधिपति हैं और इन्होंने भी मेहनत और संघर्ष के दम पर कामयाबी की नयी कहानी लिखी है।अरविंद बलोनी के जीवन में कई सारे दिलचस्प पहलू हैं। कई सारी ऐसी घटनाएं हैं जो संघर्ष करने की प्रेरणा देती हैं। अरविंद बलोनी ने कई सारे ऐसे काम किये हैं जोकि उनके परिवारवालों और पूर्वजों ने भी नहीं किये थे। ज्यादातर परिवारवालों और पूर्वजों ने पंडिताई की थी, कुछ ने सरकारी नौकरी की। अरविंद बलोनी अपने खानदान में मार्शल आर्ट सीखने वाले पहले शख्स थे। पहली बार उन्होंने ही अपने खानदान में कारोबार भी किया। बड़ा आदमी बनने का संकल्प लेकर ऋषिकेश से अपने घर से निकले अरविंद ने चंडीगढ़ में महज़ 1200 रुपये से अपना कारोबार शुरू किया और फिर उसे बढ़ाते-बढ़ाते 400 करोड़ रुपये तक का बना दिया। इस शानदार कारोबारी सफ़र में अरविंद को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। उनके कई सारे दुश्मन हो गए। दुश्मनों ने उनके खिलाफ साजिशें कीं, धमकियां दीं, चोरी करवाई। लेकिन, अरविंद ने भी दबंगई सीख रखी थी जो उन्हें कामयाब कारोबारी बनाने में मददगार साबित हुई। अपना खुद का बड़ा कारोबारी साम्राज्य स्थापित करने वाले अरविंद बलोनी अपनी खुद की कहानी को बहुत असरदार मानते हैं। उन्हें लगता हैं कि उनकी अब तक की कहानी की वजह से कुछ लोगों के लिए ही सही वे धीरूभाई जैसा ज़रूर बनेंगे। इसी तरह से, गज़ब का विश्वास रखने वाले उद्यमी और कारोबारी अरविंद बलोनी की दिलचस्प कहानी उत्तराखंड के ऋषिकेश से शुरू होती है, जहाँ उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे। अरविंद बलोनी का जन्म एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ। पिता शिव दत्त बलोनी उत्तरप्रदेश सरकार के लोक-निर्माण विभाग में स्टोर प्रभारी थे। माँ गृहिणी थीं। अरविंद का परिवार बहुत बड़ा था, उनके कई सारे रिश्तेदार थे। अक्सर घर में रिश्तेदारों का जमावड़ा रहता। रिश्तेदारों का घर में आना-जाना चलता ही रहता। अरविंद का परिवार मूलतः उत्तराखंड राज्य के टिहरी-गढ़वाल जिले के चाचकड़ा  गाँव का रहने वाला था। पिता की पोस्टिंग की वजह से परिवार को ऋषिकेश आकर बसना पड़ा था। अरविंद का बचपन ऋषिकेश में ही बीता। अरविंद प्रकृति की गोद में पले और बढ़े। पर्वतमालाओं के बीच से अपना रास्ता बनाकर धरातल पर पहुँची गंगा नदी, आस-पास के छोटे-बड़े सुन्दर पहाड़, छोटे-बड़े आश्रम और इनमें साधु-संतो के जमावड़े की छाप उनके मन-मस्तिष्क पर बहुत गहरे से पड़ी थी। प्राकृतिक सौन्दर्य से सराबोर और आध्यात्म से भरे ऋषिकेश शहर से अरविंद को बहुत प्यार था।अरविंद पर उनके पिता की भी गहरी छाप थी। अरविंद बताते हैं, “पिताजी बहुत ही डायनामिक इंसान थे। वे अच्छे लीडर थे। वो हमेशा कहते थे कि इंसान को देने वाली स्थिति में होना चाहिए न कि लेने वाली स्थिति में। इंसान की मुट्ठी दूसरों के हाथ के ऊपर होनी चाहिए न कि नीचे।”अरविंद की स्कूली शिक्षा ऋषिकेश के ही भरत मंदिर इंटर कॉलेज से हुई। वे स्कूल में साधारण छात्र थे। आम बच्चों की तरह ही उनका पढ़ना-लिखना होता था। कोई ख़ास हुनर भी नहीं था। लेकिन, इस साधारण छात्र के जीवन में बड़े बदलाव ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई के दौरान आये। ग्यारहवीं में आते ही अरविंद कुछ शरारती बन गए। मासूमियत और भोलापन अचानक गायब हो गया। और इसी दौरान कॉलेज के दिनों में हुई एक घटना ने अरविंद की सोच और उनके नज़रिए को पूरी तरह से बदल दिया। अरविंद की ज़िंदगी बदल गयी।हुआ यूँ था कि किसी बात को लेकर कॉलेज में लड़ाई-झगड़ा हो गया और इसी लड़ाई-झगड़े में एक बदमाश ने अरविंद को थप्पड़ मार दी। इस थप्पड़ की वजह से अरविंद को बहुत बुरा लगा, वे अपने आप को बहुत शर्मिंदा महसूस करने लगे। उनके लिए ये थप्पड़ अपमान वाली बात थी। चूँकि पीटने वाला बदमाश ताकतवर था, अरविंद पलटवार भी नहीं कर सकते थे। उनकी ताकत कम थी, इस वजह से वे चुप थे। लेकिन, उनके मन में बदले की आग धधक रही थी। बदले की भावना इतनी ताकतवर थी कि उसने अरविंद की नींद-चैन को उड़ा दिया। अरविंद ने ठान ली कि वे अपमान का बदला लेंगे और बदमाश को सबक सिखाएंगे।अरविंद ने खुद को मज़बूत बनाने के लिए मार्शल आर्ट सीखना शुरू कर दिया। बदले की आग में जलते हुए अरविंद ने जूडो और कराटे सीखना शुरू किया। छह महीने तक मन लगाकर अरविंद ने मार्शल आर्ट सीखी और खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बना लिया । छह महीने की ट्रेनिंग के बाद जब उन्हें लगा कि वे अब किसी को भी पटकनी दे सकते हैं तब उन्होंने उस बदमाश को ललकारा। अरविंद ने इस बार बदमाश की जमकर धुनाई की और अपने अपमान का बदला लिया। उन्हें लगा कि दोस्तों में जो उनकी साख को भट्टा लगा था वो अब धुल गया है। अरविंद कहते हैं, “उस घटना ने मेरी सोच बदल दी थी। मार्शल आर्ट सीखना मेरे लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हुआ। मार्शल आर्ट ने मुझे बहुत ताकत दी। अगर मैं मार्शल आर्ट नहीं सीखता और बदमाश को नहीं मारता तो शायद मैं कमज़ोर ही रह जाता। मार्शल आर्ट ने मेरा आत्म-विश्वास बढ़ाया और मुझमें हार न मानने का ज़ज्बा पैदा किया।”इसके बाद एक और बड़ी घटना हुई जिसने अरविंद की ज़िंदगी को नयी दशा और दिशा दी। कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद किसी बात को लेकर अरविंद की परिवारवालों से अनबन हो गयी। इस अनबन की वजह से अरविंद के दिल को गहरा धक्का पहुंचा। वे इतना हिल गए कि उन्होंने घर-परिवार छोड़कर कही दूर चले जाने का बड़ा फैसला लिया। दुखी मन से अरविंद ऋषिकेश से रवाना हुए। वे चंडीगढ़ जाने वाली सरकारी बस पर सवार हुए। अरविंद ने बताया, “ऋषिकेश से चंडीगढ़ का वो सफ़र मैं कभी नहीं भूल सकता। सफ़र भर मेरे आँखों में आंसू थे। मैंने उस सफ़र में ही ठान ली थी कि मैं कुछ बड़ा काम करूँगा, बहुत बड़ा आदमी बनूँगा।”दिलचस्प बात ये भी है कि अरविंद ने उस सफ़र में ये भी फैसला लिया था कि वे दुबारा बस में नहीं बैठेंगे। और जब अपने गाँव वापस जाएंगे तब अपनी खुद की कार में ही जाएंगे। दुःख-भरे मन, लेकिन बुलंद हौसलों के साथ चंडीगढ़ पहुंचे अरविंद ने नौकरी की तलाश शुरू की।अरविंद नौकरी पाने को इतना बेताब थे कि वे रैनबैक्सी कंपनी में हेल्पर की नौकरी करने को भी तैयार हो गए। चंडीगढ़ में जब अरविंद को ये पता चला कि दवाइयां बनाने वाली मशहूर कंपनी रैनबैक्सी में हेल्पर की ज़रुरत है तो वे उस लाइन में जाकर खड़े हो गए जहाँ दूर-दूर से आकर लोग नौकरी की उम्मीद में खड़े थे। लाइन में खड़े ज्यादातर लोग मजदूर थे या अनपढ़। लम्बे समय तक कतार में खड़े रहने के बाद जब इंटरव्यू के लिए अरविंद का नंबर आया तो मैनेजर दंग रह गया। हुलिया, रंग-रूप और बोलचाल की भाषा को देखकर मैनेजर को लगा कि अरविंद कंपनी में झाड़ू-पोछा लगाने, साफ़-सफाई करने का काम नहीं कर सकते। उन्हें लगा कि कोई बड़ी मजबूरी की वजह से वे हेल्पर की नौकरी पाने आ गए हैं। मैनेजर ने अरविंद को हेल्पर की नौकरी देने से साफ़ मना कर दिया। अरविंद ने भरोसा दिलाने की कोशिश की कि वे झाड़ू-पोछा लगाने का भी काम करेंगे, लेकिन मैनेजर को यकीन ही नहीं हुआ।दिलचस्प बात ये भी है कि अरविंद ने हेल्पर की इस नौकरी के लिए सिफारिश भी करवाई थी। जब सिफारिश करने वाले ने मैनेजर को फ़ोन कर अरविंद को नौकरी पर रखने को कहा तब जाकर मैनेजर राजी हुआ था। मैनेजर ने अरविंद से अपने सर्टिफिकेट लाकर देने और नौकरी पर लगने को कहा। खुशी से भरे मन के साथ अरविंद सर्टिफिकेट लाने वहां से चले आये। लेकिन, इसी बीच एक और बड़ी घटना हुई और इसी घटना ने अरविंद को कारोबार करने का रास्ता दिखाया।उन दिनों चंडीगढ़ में जॉब कंसल्टेंसी कंपनियां खूब खुली हुई थीं। अलग-अलग कंपनियों में लोगों को नौकरी दिलवाकर ये कंपनियां उनसे कमीशन लेती थीं। एक दिन अरविंद ने देखा कि कुछ बेरोजगार इसी तरह की एक कंपनी के दफ्तर के सामने हंगामा कर रहे हैं। अरविंद से रहा नहीं गया और उन्होंने हंगामे की वजह जानने की कोशिश की। इसी कोशिश में उन्हें पता चला कि उस कंपनी ने बेरोजगारों को नौकरी दिलवाने का भरोसा देकर उनके बड़ी रकम ऐंठ ली थी। लेकिन, कंपनी बेरोजगारों को नौकरी नहीं दिलवा पायी और नाराज़ लोग अपनी रकम वापस करने की मांग करते हुए हंगामा करने लगे थे। हंगामा कर रहे बेरोजगारों की आँखों में गुस्सा और पीड़ा को देखकर अरविंद का दिल दहल गया। वे खुद भी बेरोजगार थे और हालात को अच्छी तरह से समझते थे। उसी समय अरविंद ने बड़ा फैसला लिया। फैसला था – बेरोजगारों को नौकरी दिलाने में मदद करने का। अपनी खुद की जॉब कंसल्टेंसी कंपनी खोलने का। यानी फैसला था नौकरी न करने और नौकरी दिलवाने का कारोबार करने का। ये फैसला इस मायने से भी बड़ा और साहसी था कि अरविंद के परिवार और पुरखों में किसी ने भी कारोबार नहीं किया था। अरविंद के पिता नौकरी करते थे और उनके दादा ज्योतिषी थे। पुरखों ने कभी कोई कारोबार नहीं किया था।लेकिन, बेरोजगारों की दुर्दशा का अरविंद पर कुछ इस तरह असर हुआ कि उन्होंने बेरोजगारों को नौकरी पर लगवाने को ही अपने जीवन का सबसे बड़ा मकसद बना लिया। अरविंद कहते हैं, “उन दिनों कंसल्टेंसी कंपनियां नौकरी पर लगवाने से पहले ही बड़ी रकम वसूल लेती थीं। ये रकम बहुत ज्यादा होती थी। मैंने देखा था कि क़र्ज़ लेकर कई बेरोजगार ये रकम जुटाते थे। नौकरी न दिलवाने पर जब बेरोजगार ये रकम वापस मांगते थे तब कंपनी के मालिक उन्हें बहुत सताते थे। बेरोजगारों की मजबूरी और उनकी बुरी हालत देखकर मुझे बहुत पीड़ा हुई। तभी मैंने सोचा कि मैं अपनी खुद की कंपनी खोलकर बेरोजगारों की मदद करूँगा। मैंने सोचा कि मैं कम रुपये लेकर ही उन्हें नौकरी पर लगवाऊंगा।”अरविंद का इरादा नेक था, हौसले बुलंद थे और मन जोश से भरा था। लेकिन, उन्हें आगे आने वाली चुनौतियां का अहसास नहीं था। चुनौतियां और मुसीबतें बाहें फैलाए उनका स्वागत करने को तैयार खड़ी थीं। कामकाज शुरू करने के लिए अरविंद के पास रुपयों की किल्लत थी। उनके पास उस समय सिर्फ 1200 रुपये ही थे। लेकिन, इरादा इतना तगड़ा था कि उन्होंने इस रकम के साथ ही कामकाज शुरू किया। जितना कुछ उनके पास था सब कुछ कंपनी में लगा डाला। दिन-रात एक किये। खूब पसीना बहाया। कई सारी दिक्कतों को पार लगाने के बाद जब कामकाज शुरू हुआ तो नयी परेशानियां सामने आयीं। अरविंद ने जहाँ अपनी कंसल्टेंसी कंपनी का दफ्तर खोला था वहीं दूसरी और भी कंपनियों के दफ्तर थे। इन कंपनियों के मालिकों ने जब देखा कि अरविंद के पास कई सारे बेरोजगार जुट रहे हैं और उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ रही है तब उन्होंने अपनी बातों और हरकतों से अरविंद को परेशान करना शुरू किया। एक कंपनी के मालिक ने अरविंद का अपमान करने के मकसद से कहा – ‘अरे तुम तो गढ़वाली हो। यहाँ ये काम क्यों कर रहे हो? तुम्हें तो किसी होटल में वेटर का काम करना चाहिए या फिर सेना में भर्ती होना चाहिए।’ उन दिनों चंडीगढ़ के कई होटलों में गढ़वाल के लोग होटलों और रेस्तराओं में छोटे-मोटे काम किया करते थे। कई गढ़वाली सेना में भी थे। इसी तथ्य को आधार बनाकर उस कंपनी मालिक ने अरविंद का अपमान करने और उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश की थी। इस तरह की टोंट और दूसरे किस्म के भद्दे और अपमानजनक बातों का अरविंद पर कोई असर नहीं हुआ। वे बेरोकटोक अपने मकसद को कामयाब बनाने में जुटे रहे।जब अरविंद ने रात-दुगिनी और दिन चौगुनी तरक्की करनी शुरू की तब कुछ कंपनियों के मालिकों ने उन्हें अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर चंडीगढ़ से बाहर चले जाने की धमकी भी दी। इन कंपनी मालिकों ने अरविंद को ये कहते हुए धमकी दी कि – ‘तुम बाहरी हो और अगर यहाँ कारोबार करना बंद नही किया तो तुम्हारा बहुत बुरा हाल कर देंगे और तुम कहीं के नहीं रहोगे।’ नेस्तनाबूद कर देने की धमकियों का भी अरविंद पर कोई असर नहीं हुआ। वे अपने काम में ईमानदार थे, उनके इरादे बुलंद थे, पूरी लगन और मेहनत से बेरोजगारों की मदद कर रहे थे, उनके लिए डरने की कोई बात नहीं थी। मार्शल आर्ट सीखने का फायदा उन्हें चंडीगढ़ में कारोबार करने के दौरान भी मिला। मार्शल आर्ट ने अरविंद को शारीरिक और मानसिक तौर पर इतना मजबूत कर दिया था कि वे किसी से भी नहीं डरते थे। बदमाशों की धमकियों को वे हवा में उड़ा देते थे। उनकी ताकत, उनके ज़ज्बे और जोश के सामने सारे दुश्मन हार मानने को मजबूर हो जाते थे।अरविंद के दुश्मनों की संख्या के बढ़ने की वजह भी साफ़ थी। वे दूसरे राज्य से आये थे, चंडीगढ़ के लोगों के लिए बाहरी थे, उनके कारोबार करने का तरीका अलग था, बेरोजगारों के भरोसेमंद थे, और उनके बढ़ते कारोबार की वजह से दूसरों का कारोबार घट रहा था। यही बातें प्रतिद्वंद्वियों की आँखों में खल रही थीं। एक कारोबारी तो इतना परेशान और नाराज़ हुआ कि उसने अरविंद की कंपनी के एक कर्मचारी को अपना मुखबिर बना लिया। इतना ही नहीं अरविंद की प्रतिष्ठा और लोकप्रियता को पूरी तरह से बर्बाद करने के मकसद से इस कारोबारी ने अपने मुखबिर के ज़रिये अरविंद के दफ्तर से बेरोजगारों के सारे सर्टिफिकेट और दूसरे दस्तावेज़ चोरी कर लिए।अरविंद को जब इस चोरी का पता चला तो उनके होश उड़ गए। सर्टिफिकेट के गायब होने का सीधा मतलब था उनकी प्रतिष्ठा को धक्का लगना। इतना ही नहीं सर्टिफिकेट न मिलने की हालत में बेरोजगारों के भविष्य के अंधकार से भर जाने का भय था। संकट की इस घड़ी में अरविंद ने सूझ-बूझ से काम लिया। वे सीधे पुलिस थाने गए और थानेदार से साफ़-साफ़ शब्दों में कह दिया कि सर्टिफिकेट न मिलने की हालत में वे कुछ भी कर सकते हैं। एक मायने में ये धमकी थी। अरविंद का गुस्सा सातवें आसमान पर था। आखें लाल थीं और शरीर आग-बबूला था। उन्होंने स्टेशन हाउस ऑफिसर से कह दिया – अगर सर्टिफिकेट नहीं मिले थे तो मैं मर जाऊँगा या फिर मार दूंगा।
ये बातें सुनकर थानेदार भी घबरा गए। उन्होंने अरविंद को भरोसा दिया कि सर्टिफिकेट वापस मिल जाएंगे। इस भरोसे के बाद अरविंद जब अपने दफ्तर लौटे तब उन्होंने देखा कि सारे सर्टिफिकेट अपनी जगह पर वापस थे। उस घटना की याद करते हुए अरविंद ने कहा, “मैं अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था। जब मैं पुलिस स्टेशन से वापस दफ्तर लौट रहा था, मेरे आँख में आंसू थे। मैं अगर एसहेचओ को धमकी नहीं देता तो शायद मुझे सर्टिफिकेट नहीं मिलते और मेरा काम बंद हो जाता।”
अरविंद ने ऐसी ही दिलेरी कई जगह दिखाई और अपनी तरक्की में आने वाले रोड़ों को दूर किया। धीरूभाई अंबानी की कंपनी रिलायंस के एक दफ्तर में इसी तरह की दिलेरी ने अरविंद को बड़ा कारोबारी बना दिया था। हुआ यूँ था कि उन दिनों पंजाब में रिलायंस ने टेलिकॉम सेक्टर में भी अपना काम करना शुरू कर दिया था। जैसे ही इस बात का पता अरविंद को चला उन्हें लगा कि रिलायंस का काम मिल जाने से उन्हें बहुत फायदा होगा और उनका कारोबार तेज़ी से बढ़ेगा। अरविंद को रिलायंस से काफी उम्मीदें थीं। उन्हें लगता था कि वे रिलायंस के लिए सही लोग दिलवा सकते हैं और रिलायंस से काम मिलने पर वे जल्द ही बड़े कारोबारी बन जाएंगे। विश्वास और उम्मीदों से भरे मन के साथ अरविंद अपना कारोबारी-प्रस्ताव लेकर रिलायंस के स्थानीय दफ्तर पहुंचे। लेकिन, उनके प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया। अरविंद को धक्का लगा। लेकिन, उन्होंने अपने आप को संभाला और उनके प्रस्ताव को नामंजूर किये जाने की वजह जानने की कोशिश की। उन्हें पता चला कि उनकी कंपनी नयी और छोटी है और उसने पहले बड़ी कंपनियों के साथ काम नहीं किया है, इसी वजह से उनका प्रस्ताव खारिज किया गया है। जैसे ही अरविंद को उनके कारोबारी प्रस्ताव को नामजूर किये जाने की वजह पता चला वे वे गेट-क्रेश करते हुए रिलायंस के स्थानीय प्रभारी के चैम्बर में घुस गए। अरविंद ने रिलायंस के उस अफसर को ये बात याद दिलाई कि रिलायंस के संथापक धीरूभाई अंबानी भी कभी छोटे कारोबारी ही थे और अगर उन्हें उस समय बड़े लोगों ने बड़ा काम नहीं दिया होता तो रिलायंस आज इतनी बड़ी कंपनी नहीं होती। अरविंद ने रिलायंस के उस असफर को ये भी बताया कि उनकी कंपनी भले ही छोटी है लेकिन वो बड़े काम करने का माद्दा रखती है। पूरे जोशीले अंदाज़ में एंग्री यंग मैन की तरह अपनी बातें रिलायंस के उस अफसर के सामने रखने के बाद अरविंद अपने दफ्तर लौट आये। इसके कुछ दिनों बाद रिलायंस के दफ्तर से अरविंद को ये सूचना मिली कि उनका कारोबारी प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है। एक बार फिर से अरविंद की दिलेरी काम कर गयी। उनका जोशीला अंदाज़ रिलायंस को भी पसंद आया। रिलायंस का काम मिलना अरविंद के लिए बहुत बड़ी कामयाबी थी। इस कामयाबी के बाद उन्होंने और भी बड़ी-बड़ी कामयाबियां हासिल कीं। अरविंद बलोनी कहते हैं, “शुरू से ही धीरुभाई अंबानी मेरे आदर्श रहे हैं। उनकी कहानी से मुझे बहुत प्रेरणा मिली।”शायद इसी प्रेरणा का नतीजा था कि अरविंद बलोनी ने जॉब कंसल्टेंसी से शुरू किये अपने कारोबार को अलग-अलग क्षेत्रों में भी फैलाया। अरविंद ने रिटेल कारोबार, रियल एस्टेट, हॉस्पिटैलिटी और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी काम शुरू किया और खूब शोहरत और धन-दौलत कमाई। अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहीं उनकी कंपनियां टीडीएस ग्रुप के तहत कारोबार करती हैं। अरविंद ने अपने दादा और दादी के नाम पर ही अपनी कंपनियों का नामकरण किया है। अरविंद के दादा तारा दत्त और दादी सरस्वती के नाम से ही टीडीएस ग्रुप यानी तारा दत्त – सरस्वती ग्रुप को बनाया और बढ़ाया गया।जब दादा-दादी की बात शुरू हुई तब अरविंद ने एक किस्सा भी सुनाया। अरविंद ने बताया, “मेरे दादाजी तारा दत्त बहुत बड़े ज्योतिषी थे। उन्होंने ही मेरा नामकरण किया था। नामकरण के बाद हुए भोज समारोह में दादाजी ने कहा था – मुझे अपने इस पोते का नाम रखते हुए बहुत गर्व महसूस हो रहा है। ये मेरी खुशनसीबी है कि मैं इसका नाम रख रहा हूँ। ये लड़का आगे चलकर न सिर्फ अपने माँ-बाप और परिवार का नाम रोशन करेगा बल्कि पूरे गाँव का नाम अपने काम से रोशन करेगा। मेरा पोता बड़ा होकर बहुत बड़ा आदमी बनेगा।”ये किस्सा सुनाते समय अरविंद बहुत भावुक हो गए थे। वे अपने दादा और दादी से इतना प्रभावित थे कि उन्होंने उन्हीं के नाम से कंपनी बनाकर कारोबार किया और खूब नाम कमाया। महज़ 1200 रुपये से कारोबार शुरू करने वाले अरविंद अब 400 करोड़ रुपये के टीडीएस ग्रुप के मालिक हैं। टीडीएस ग्रुप अलग-अलग क्षेत्रों की बड़ी-बड़ी कंपनियों में मैन-पॉवर यानी श्रम-शक्ति प्रदान करता है। ये ग्रुप कर्मचारियों की भर्ती में भी बड़ी-बड़ी कंपनियों की मदद करता है। कंपनियों में कर्मचारियों से जुड़ी ज़रूरतों को पूरा करने में टीडीएस ग्रुप ने महारत हासिल कर ली है। टीडीएस ग्रुप बड़ी तेज़ी से रिटेल बिज़नस, रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी – होटल्स के कारोबार में भी तरक्की कर रहा है। शिक्षा के ज़रिये समाज-सेवा के काम को टीडीएस ग्रुप बड़े पैमाने पर कर रहा है। टीडीएस ग्रुप का कारोबार देश-भर में फैला हुआ है। देश के हर राज्य में टीडीएस ग्रुप की असरदार और दमदार मौजूदगी है। करीब पच्चीस हज़ार कर्मचारी देश के अलग-अलग हिस्सों में टीडीएस ग्रुप के लिए काम कर रहे हैं और लोगों को सेवाएं देते हुए कारोबार को लगातार बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। टीडीएस ग्रुप की सेवाओं से लाभ उठाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बड़े ही फक्र और विश्वास भरी आवाज़ में अरविंद कहते हैं, “टीडीएस ग्रुप जल्द ही 400 करोड़ से 1000 करोड़ रुपये का ग्रुप बन जाएगा।”अरविंद के इस भरोसे का आधार उनकी टीम है। अरविंद ने कहा, “मेरी टीम बहुत ही शानदार है। टीम में अच्छे, ईमानदार, मेहनती, समर्पित और प्रतिभाशाली लोग हैं। मैं जो सपना देखता हूँ, उसे हकीकत में बदलने में मेरी टीम पूरी ताकत लगा देती है। मेरी वंडरफुल टीम, वंडर्स करने का माद्दा रखती है।” ये स्वाभाविक भी है कि जो शख्सियत रिलायंस, एयरटेल, डिश टीवी, गोदरेज, वीडियोकॉन, विप्रो, टाटा, हीरो ग्रुप, आदित्य बिड़ला ग्रुप, फिलिप्स, जैसी कई बड़ी और नामचीन कंपनियों को अच्छे, काबिल, प्रतिभासपन्न और मेहनती कर्मचारी दिलवाने में मदद करता है वो अपनी टीम को शानदार बनाएगा ही।अरविंद बलोनी की ज़िंदगी में कई सारे पहलू हैं जोकि बेहद रोचक हैं। अरविंद ने अपने उस संकल्प को भी पूरा किया जो उन्होंने ऋषिकेश से चंडीगढ़ आते समय सरकारी बस में लिया था। चंडीगढ़ को केंद्र बनाकर कारोबार करने वाले अरविंद ने जब खूब धन-दौलत कमा ली तब वे अपने गाँव लौटे। अपने संकल्प को पूरा करते हुए वे कार में अपने गाँव गए। कार भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि; मर्सिडीज़ कार से वे अपने गाँव गए। गाँव में पहली बार ऐसा हुआ था जब मर्सिडीज़ कार आयी थी। दादा की वो भविष्यवाणी भी सच हुई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका पोता बड़ा आदमी बनेगा और घर-परिवार के साथ-साथ गाँव का नाम भी रोशन करेगा। बड़ी बात ये भी है कि अरविंद ने ऋषिकेश से चंडीगढ़ की उस पहली बस यात्रा के बाद फिर कभी भी बस में सफ़र नहीं किया।रोचक बात ये भी है कि अरविंद ने अपने परिवार से दो साल तक ये बात छिपाए रखी कि वे कारोबार कर रहे हैं। अरविंद को लगता था कि घर-परिवार वाले ये बात सुनकर घबरा जाएंगे कि वे कारोबार कर रहे हैं। अरविंद के परिवार में किसी ने भी कारोबार नहीं किया था और सभी ये मानते थे कि कारोबार बहुत जोखिमों से भरा होता है और कभी-कभी तो नुकसान इतना ज्यादा हो जाता है आदमी उससे उभर ही नहीं पाता और उसकी ज़िंदगी तबाह हो जाती है। अरविंद को इस बात का भी डर था कि उनके परिवारवाले उन्हें हतोत्साहित करेंगे और कारोबार करने से रोकेंगे। कारोबार में अपने पाँव जमा लेने के बाद ही अरविंद ने अपने परिवारवालों को ये बताया कि उन्होंने कारोबार को ही अपने जीवन का सबकुछ बना लिया है।अरविंद ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है। लेकिन, उनकी खूबी इस बात में भी रही है कि वे दूसरों की परेशानी को भी अपना बनाकर उसे हल कर देते हैं। अरविंद के एक परिचित व्यक्ति एक कंपनी के लिए कोलकाता में टीवी सेट बनाते थे। कोलकाता में राजनीतिक कारणों से हालात कुछ इस तरह बने कि सारे कारखानों में मजदूरों ने हड़ताल कर दी। कारखानों में कामकाज ठप्प पड़ गया। अरविंद को जब इस बात का पता चला तो वे मदद के लिए स्वतः ही आगे आये। जब फैक्ट्री के मालिक ने अरविंद को देखा तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि एक नौजवान व्यक्ति फैक्ट्री में कामकाज दुबारा शुरू करवा सकता है। फैक्ट्री-मालिक की सारी उम्मीदें ख़त्म हो चुकी थी। अरविंद ने फैक्ट्री के मालिक को उन्हें ये काम सौंपने को कहा। चूँकि फैक्ट्री मालिक के पास कोई विकल्प नहीं था उन्होंने अरविंद को फैक्ट्री में फिर से टीवी बनाने का काम शुरू करवाने की ज़िम्मेदारी सौंप दी। अरविंद के एक आह्वान पर कई लोग उनके साथ कोलकाता चलने को राजी हो गए। जितने कर्मचारियों की ज़रुरत थी उससे कहीं ज्यादा कर्मचारी जमा हो गए थे। सभी अरविंद के साथ चलने की जिद करने लगे थे। लोगों को न चलने के लिए मनाने में अरविंद को काफी समय लगा था। अरविंद जब अपने मजदूरों के साथ कोलकाता पहुंचे तो उन्होंने पाया कि हालात वाकई खराब हैं। फैक्ट्री में काम शुरू करने का मतलब था जान जोखिम में डालना। अरविंद के साथ आये मजदूर भी जान गए कि काम शुरू करने का मतलब मुसीबत मोल लेना था। लेकिन, अरविंद ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने सारे मजदूरों को इक्कठा किया और उनमें जोश भरने के मकसद से भाषण दिया। भाषण इतना शानदार था कि सभी मजदूरों में नए जोश का संचार हुआ और वे पूरी ताकत के साथ निडर होकर काम करने को राजी हो गए। अरविंद के साहस के सामने कोलकाता में मजूदर यूनियनों के बड़े-बड़े नेता भी पस्त हो गए। स्थानीय मजदूर नेता इतना तिलमिला गए कि उन्होंने अरविंद को ‘पंजाब से आया आतंकवादी’ कहना शुरू कर दिया। हर बार की तरह ही अरविंद ने अपने दुश्मनों की बातों को नज़रअंदाज़ किया और सिर्फ अपने काम और मकसद पर पूरा ध्यान दिया। अरविंद कहते हैं, “जब कोई मुझसे ये कहता है कि काम नामुमकिन है तब मेरा हौसला और भी बढ़ जाता है। मैं नामुमकिन कहे जाने वाले काम को चुनौती के तौर पर लेता हूं और नामुमकिन को मुमकिन न करने तक चैन से नहीं बैठता हूँ। अरविंद बलोनी मजबूत दिलवाले इंसान तो हैं ही उनमें नेतृत्व के गुण भी समाये हुए हैं। वे एक अच्छे वक्ता भी हैं और लोगों को अच्छे और बड़े काम करने के लिए प्रेरित भी करते रहते हैं। अरविंद एक ऐसे कारोबारी हैं जो दबंगई से जीत को आसान बना लेते हैं।अरविंद बलोनी डॉ अब्दुल कलाम की इस बात से भी बेहद प्रभावित है कि ‘सपने वे नहीं होते, जो सोते समय दिखते हों, बल्कि सपने तो वे होते हैं, जो इंसान को सोने न दे। सोते समय देखा जाने वाला सपना तो हमें याद भी नहीं रहता। पर जो सपने जागी आंखों से देखे जाते हैं, वे न केवल हमें याद रहते हैं, बल्कि वे हमें सोने ही नहीं देते।’ बड़े-बड़े सपने देखना और उन्हें साकार करने के लिए जी-जान लगा देना अब अरविंद बलोनी की आदत बन गयी है।धीरुभाई अंबानी की कामयाबी की कहानी से प्रेरणा लेकर साधारण से इंसान से करोड़ों रुपयों का कारोबार करने वाले कामयाब कारोबारी अरविंद बलोनी ये कहने से भी नहीं हिचकिचाते है कि “धीरुभाई से प्रेरणा लेकर कई लोग कामयाब बन गए हैं, अगर मैं कुछ लोगों के लिए धीरुभाई जैसा बन जाऊं तो मुझे बहुत खुशी होगी।”अरविंद अपनी बड़ी-बड़ी और नायाब कामयाबियों को श्रेय अपने परिवार को देने से नहीं चूकते। वे कहते हैं, “मेरी पत्नी अंजलि मेरी प्रेरणा हैं। वे ही मुझे आगे बढ़ते रहने के लिए लगातार प्रोत्साहित करती रहती हैं। जब कभी मुझे बिज़नेस में प्रॉब्लम आती है अंजलि मुझे मोटीवेट करती हैं। वे मेरी बहुत बड़ी ताकत हैं।” अरविंद और अंजलि के दो छोटे और प्यारे बच्चे हैं। बड़ा बेटा आर्यन 10 साल का है और बेटी अदिति 5 साल की हैं। अपने परिवार के साथ समय बिताते हुए अरविंद को खुशी तो मिलती ही है, साथ ही उनका उत्साह और विश्वास भी बढ़ता है।
Dr Arvind Yadav is Managing Editor (Indian Languages
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