चारधाम यात्रा के सफल संचालन पर प्रश्र चिन्ह, चारधामों को जोडने वाले मार्ग दयनीय हाल में
गंगोत्री धाम की यात्रा शुरू होने में सिर्फ दो दिन का समय बचा है लेकिन जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। एक भी अधिकारी ने धाम की स्थिति का जायजा लेने की जहमत तक नहीं उठाई है। यात्रा की तैयारियों के घोड़े केवल फाइलों में दौड़ाए जा रहे हैं।
आगामी 21 अप्रैल को गंगोत्री धाम की यात्रा शुरू हो जाएगी। जिला प्रशासन सिर्फ बैठकों में ही यात्रा की तैयारियों में जुटा हुआ है। धाम में क्या स्थिति है। क्या काम किए जाने की जरूरत है। यात्रा पड़ावों में तो सुविधाओं को दुरूस्त करने का काम किया जा रहा है लेकिन धाम में छह महीने से हो रही बर्फबारी से फैली अव्यवस्था से प्रशासन अनजान बना हुआ है। गंगोत्री जाने के लिए प्रशासन सचिव का इंतजार कर रहा है। राज्य सरकार ने बीते दिनों यात्रा की तैयारियों का जिम्मा सचिवों को दिया था। माना जा रहा है कि गंगोत्री यमुनोत्री के लिए नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त सचिव शैलेष बगोली इस सप्ताह के अंत तक गंगोत्री का निरीक्षण कर यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे। लिहाजा जिला प्रशासन भी सचिव के निरीक्षण का इंतजार कर रहा है। बड़कोट एसडीएम ने यमुनोत्री पहुंचकर धाम का जायजा लिया। बीते दिनों बर्फबारी से हुए भूस्खलन से सूर्य कुंड और मंदिर परिसर को नुकसान की खबरों के बावजूद एसडीएम बड़कोट ने यमुनोत्री जाना मुनासिब नहीं समझा। सिर्फ पटवारी ने ही उस दौरान धाम का निरीक्षण किया था। पटवारी के निरीक्षण के बाद एसडीएम भी धाम में व्यवस्थाओं को लेकर आश्वस्त हीं नजर आए। लेकिन जब रविवार को वह यमुनोत्री पहुंचे तो वास्तविकता से रूबरू हुए। रास्ते बदहाल हैं तो धाम में कई जगहों पर नुकसान पहुंचा है। यही हाल केदारनाथ धाम का भी है। यहां मंदिर को भले ही ऊर्जा निगम ने रोशन कर दिया हो लेकिन बेस कैंप अब भी अंधेरे में है। चार सौ से अधिक मजदूरों को बिजली का इंतजार है। इसका कारण बिजली के तारों का बर्फ में दबा होना है। केदारनाथ क्षेत्र में फरवरी माह से विद्युत आपूर्ति ठप पड़ी हुई है। लिनचोली तक दो सप्ताह पूर्व आपूर्ति बहाल कर दी गई थी, लेकिन ऊंचाई वाले क्षेत्र में अधिक बर्फबारी के चलते विद्युत लाइनें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिससे बिजली आपूर्ति में निगम के कर्मचारियों को खासी परेशानी उठानी पड़ी। केदारनाथ बेस कैंप में बिजली आपूर्ति के लिए बर्फ से तबाह हो चुकी एलटी लाइन को ठीक करने की कार्यवाही की जा रही है। ऊर्जा निगम के सहायक अभियंता अक्षित भट्ट ने बताया कि केदारनाथ बेस कैंप में आपूर्ति सुचारू करने के लिए बर्फ में दबी लाइन के तारों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है। यह तारें चार से आठ फुट नीचे बर्फ में दबी हैं। उन्होंने बताया कि यदि तार बर्फ से नहीं निकल पाई तो ऊखीमठ से बिजली की तारें भेजी जाएंगी। उधर, केदारनाथ में निम के पास सौर ऊर्जा की लाइटें व दस से अधिक जनरेटर मौजूद हैं, जिनका नियमित रूप से रात्रि को प्रयोग में लाया जाता है। जनरेटरों के लिए मिट्टी तेल हेलीकॉप्टर से सप्लाई की जा रही है। जबकि कमरों में जलने वाले बोल्वो हीटर मिट्टी तेल से ही चलते हैं। बाबा केदार भी समस्याओं से अछूते नहीं हैं यहां भी अभी तक प्रशासन कोई खास तैयारी नहीं कर सका है। चारों धामों को जाने वाली सड़कों की दशा पूरी तरह से खराब है। कब कहां कौन की सी दुर्घटना हो जाए कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में दो दिन बाद शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के सफल संचालन पर प्रश्र चिन्ह खड़े हो गये हैं।
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