गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम के लिए तीर्थयात्रियों के जत्थे आने शुरू हो जाएंगे। प्रदेश सरकार के तमाम दावों की पोल खुल जाएगी। क्योंकि आस्था की डगर पर चुनौतियों के पहाड़ बरकरार हैं। प्रदेश की कांग्रेस सरकार और विपक्ष की भूमिका में खडी भाजपा दोनों तो आपस में लडने में लगे हुए हैं। यात्रा की तैयारियां प्रशासनिक स्तर पर हो रही हैं तो वो भी सिर्फ बैठकों में। चारधाम तक पहुंचने वाले मार्गों का हाल तो साफ दिख रहा है। अकेले सबसे पहले जिन धामों के कपाट खुलेंगे उनके बारे में बताये तो गंगोत्री में पसरा सन्नाटा इसकी तस्दीक कर रहा है। यहां अभी करीब 40 में 10 होटल ही यात्रियों के स्वागत के लिए तैयार हैं तो डेढ़ सौ में से आठ दुकानों के शटर ही खुले हुए हैं। वजह यह कि चिन्यालीसौड़ से गंगोत्री तक 135 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग पर 25 किमी का हिस्सा विभिन्न स्थानों पर अब भी बेहद खराब है। धाम में अभी बिजली-पानी तक बहाल नहीं हो पाया है। गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष भागेश्वर सेमवाल कहते हैं यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर छह माह पूर्व ही शासन प्रशासन को तैयारी के लिए कहा गया था, लेकिन सरकारी मशीनरी काफी देरी से हरकत में आई। गौरतलब है कि पिछली बार गंगोत्री और यमुनोत्री में सिर्फ 58 हजार यात्री पहुंचे, जबकि आपदा से पहले दोनों धामों में यह संख्या करीब सात लाख के आसपास रहती थी।
दरअसल, कुछ यात्रा तैयारियों में जुटे विभागों की लेटलतीफी और कुछ मौसम का मिजाज, इन दोनों ने ही राह में ज्यादा मुश्किल पैदा की हैं। हालांकि यमुनोत्री के हालात फिर कुछ बेहतर हैं। बिजली और पानी बहाल होने के बाद व्यापारी यहां पहुंचने लगे हैं। दस होटल में से आठ खुल चुके हैं और 50 दुकानों में दस सज चुकी हैं। व्यापारियों के आने का सिलसिला जारी है। थोड़ी बहुत कमियां हैं, जिन्हें दुरुस्त किया जा रहा है। भैरव मंदिर के समीप क्षतिग्रस्त पैदल मार्ग की मरम्मत के साथ ही टूटी रेलिंग को ठीक करने का काम जारी है। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव पुरुषोत्तम उनियाल उत्साहित हैं। वह कहते हैं पैदल मार्ग जल्द ही दुरुस्त हो जाएगा और बिजली व पानी तो बहाल हो चुका है। ऐसे में व्यापारी भी पहुंचने लगे हैं। वह कहते हैं इस बार यात्रा से अच्छी रहेगी।
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