गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

पीड़ितों में जगी आस


 कांग्रेस के युवराज राहुल गांध्ी का हेलीकाॅप्टर गौरीकुंड हेलीपैड पर दो बजे पहुंचे और यहां से राहुल गांध्ी सीध्े गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाऊस पहुंचे। मौसम खराब होते देख राहुल ने सीध्े गौरीकंुड से केदारनाथ के लिये प्रस्थान किया। गौरीकुंड में उपस्थित कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं जनता मुलाकात न करने से जनता में निराशा देखी गई। गौरीकुंड से लिनचैली तक पैदल यात्रा के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांध्ी ने कहा कि तीर्थ यात्रियों के लिये मार्ग सुरक्षित है।
 मुख्यमंत्राी हरीश रावत के नेतृत्व में केदारनाथ और अन्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सराहनीय कार्य हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का पूरा ध्यान केदारनाथ यात्रा पर है। इस बार चारधम की यात्रा पर आने वाले श्र(ालुओं की संख्या में भारी इजापफा हुआ है। उन्होंने कहा कि चार धम यात्रा मार्ग की स्थिति भी सुध्र गई है। इसके साथ ही केदारनाथ में अनेक कार्य हो रहे हैं।
प्रदेश सरकार आपदा से निपटने में पूरी तरह से सक्षम साबित हुई है। उन्होंने कहा कि देश-विदेश के तीर्थ यात्रियों को चार धम यात्रा पर आने का निमंत्राण कांग्रेस की ओर से दिया गया है। इस दौरान मुख्यमंत्राी हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकार का ध्यान पूरी तरह से चारधम यात्रा के सुव्यवस्थित संचालन पर लगा है। कांग्रेस राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांध्ी के केदारनाथ पहुंचने से स्थापनीय लोगों और तीर्थ यात्रियों में नई ऊर्जा का संचार होगा। कहा कि इस बार देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्राी चारो धमों की सुरक्षित तरीके से यात्रा करेंगे। यात्रियों की सुविध के लिये सभी प्रकार की व्यवस्थाएं की गई हैं। रहने और खाने की कोई भी दिक्कत यात्रियों को नहीं होने दी जाएगी।
केदारनाथ हाईवे सोनप्रयाग तक सही है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच कार्य चल रहा है। विभागीय अध्किारियों को एक सप्ताह के भीतर मोटरमार्ग का निर्माण कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ पैदल मार्ग की स्थिति पहले से लाख गुना अच्छी हो गई है। यात्रियों की सुविध के लिये पैदल मार्ग पर रहने, खाने के साथ ही बिजली एवं पानी की व्यवस्था भी सुचारू की गई है। देर रात्रि राहुल गांध्ी लिनचैली पहुंचे। आज प्रातः वह केदारनाथ के लिये रवाना होंगे और भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर धम में                             मौजूद रहेंगे।

गढ़वाली फ़ौज

23 अप्रैल 1930 की घटना इस देश की आजादी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी.इस दिन पेशावर में चन्द्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में गढ़वाली फ़ौज ने देश की आजादी के लिए लड़ने वाले निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से इन्कार कर दिया था.यह देश की आजादी की लड़ाई और आज के लिहाज से भी कहें तो एक राष्ट्रीय महत्व की घटना थी.लेकिन यह अफसोसजनक है कि चूँकि इस घटना को अंजाम देने वाली गढ़वाली फ़ौज और उनके अगवा बने चन्द्र सिंह गढ़वाली थे,इसलिए इसका राष्ट्रीय प्रभाव और महत्व स्वीकारने और महसूस करने के बजाय इसे गढ़वाल के लोगों के लिए गर्व करने के मौके, जैसे रूप में सीमित कर दिया गया है.
आज हम इस देश में जिस साम्प्रदायिक विभाजन और उसको बढ़ावा देने वाली राजनीति को परवान चढ़ते हुए देख रहे हैं,उस साम्प्रदायिक विभाजन की राजनीति की बुनियाद अंग्रेज साम्राज्यवादियों ने डाली थी. 1857 की बगावत से अंग्रेजों ने यह सबक सीखा था कि इस देश में रहना है तो हिन्दू-मुसलमान को लड़ा कर ही इस देश में टिके रहा जा सकता है. “फूट डालो,राज करो” का सूत्र उन्होंने इसी काम के लिए ईजाद किया था.
पेशावर में भी अंग्रेजों ने गढ़वाली फ़ौज को इसी मंशा से तैनात किया था ताकि पठानों पर गोली चलाने के लिए हिन्दू धर्मावलम्बी गढ़वाली फौजियों को उकसा कर पठानों पर गोली चलवाई जा सके. इसीलिए पेशावर में पठानों पर गोली चलाने के लिए गढ़वाली फौजियों को उकसाते हुए अंग्रेज अफसर ने कहा-“पेशावर में 94 फ़ीसदी मुसलमान हैं,दो फ़ीसदी हिन्दू हैं.मुसलमान हिन्दू की दुकानों में आग लगा देते हैं,लूट लेते हैं.शायद हिन्दुओं को बचाने के लिए हमें बाजार जाना पड़े और इन बदमाशों पर गोली चलानी पड़े.”यह आज से 85 वर्ष पूर्व की घटना है.आज 85 साल बाद भी क्या इसी तरह के उकसावे पूर्ण वक्तव्यों और अफवाहों से हमारे देश में दंगों की वारदात नहीं होती हैं?लेकिन चन्द्र सिंह गढ़वाली अंग्रेज अफसर की उकसावे पूर्ण बातों में नहीं आये बल्कि उन्होंने अपने साथियों को समझाया-“इसने जो बातें कही सब झूठ हैं.हिन्दू-मुसलमान के झगडे में रत्ती भर सच्चाई नहीं है.न ये हिन्दुओं का झगड़ा है,न मुसलमानों का.झगड़ा है कांग्रेस और अंग्रेज का.जो कांग्रेसी भाई हमारे देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ रहे हैं,क्या ऐसे समय में हमें  उन के ऊपर गोली चलानी चाहिए? हमारे लिए गोली चलाने से अच्छा होगा कि अपने को गोली मार लें.” ये अशिक्षित फौजी थे,जिन्होंने देवनागरी पढना भी बड़े जातन से सीखा था.लेकिन देश की आजादी के लिए लड़ने वाले वाले दूसरे धर्म के मानने वालों पर भी गोली चलाने से बेहतर वे स्वयं को गोली मारना समझ रहे थे.आज जब हाशिमपुरा के पीड़ितों के लिए, न्याय के लिए चिल्लाते देश में,वीरता मेडलों के लिए निर्दोषों को भी तथाकथित मुठभेड़ों में मार गिराने वाले समय में, आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट-1958 को किसी को भी गोली मारने और यहाँ तक कि बलात्कार करने के लिए कायम रखने के लिए अड़ने वाले सैन्य बलों और उनके अंध समर्थकों के दौर में, क्या कोई ये कल्पना भी कर सकता है कि 85 वर्ष अंग्रेजों की फ़ौज में मामूली सैनिकों ने अपने से इतर धर्म को मानने वालों पर तमाम उकसावों और लोभ-लालच को धता बताते हुए गोली चलाने से इनकार कर दिया था?और ऐसा फैसला उन्होंने किसी आवेश में नहीं लिया था,बल्कि ऊपर दिए गए बातचीत के ब्यौरे से स्पष्ट है कि अंग्रेजों के मंसूबे को भांपते हुए पहले से सोच-विचार कर और ऐसा करने का अंजाम भांपते हुए भी गोली न चलाने का दृढ इरादा कर लिया था.इसकी कीमत भी इन्होने चुकाई.गोली न चलाने के लिए कोर्ट मार्शल हुआ,काले पानी की सजा दी गयी और तनख्वाह पेंशन आदि सब जब्त कर लिया गया.
 आज साम्प्रदायिक उन्माद देश में चहुँ ओर फैलता हुआ नजर आता है और पुलिस व सैन्य बलों और सुरक्षा एजेंसियां उससे अछूती नहीं है.लेकिन देश की आजादी की लड़ाई में बार-बार सैन्य बलों ने साम्प्रदायिक सौहार्द के परचम को बुलंद किया.1857 की पहली जंगे आजादी में हिन्दू और मुसलमान कंधे से कन्धा मिला कर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े.जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि हिन्दू-मुस्लिमों की इस एकता से ही अंग्रेजों ने यह सबक सीखा कि भारत में हिन्दू-मुसलमान में फूट डाले बगैर, उनकी जड़ें जमना नामुमकिन है.इस देश में सैन्य बालों के भीतर हुई एक और महत्वपूर्ण,लेकिन कम चर्चित बगावत थी-1946 का नेवी विद्रोह.यह विद्रोह नाविकों में मेहनतकशों वाली चेतना के लिहाज से भी बेमिसाल था.नेवी विद्रोह में शामिल नाविकों ने भी साम्प्रदायिक विभाजन के अंग्रेजी हथकंडे को धता बताया.उन्होंने साम्प्रदायिक एकता का सन्देश देने के लिए ही अपनी 36 सदसीय नेवी हड़ताल समिति का अध्यक्ष एक मुस्लिम नाविक- सिग्नलमैन एम.एस.खान को बनाया व एक सिख टेलेग्राफ़ ऑपरेटर मदन सिंह को उपाध्यक्ष चुना.1857 की पहली जंगे आजादी के बाद पेशावर विद्रोह इस श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी था,जहाँ सैनिकों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा कर भी अंग्रेजों के साम्रदायिक विभाजन के एजेंडे को पूरा नहीं होने दिया.
पेशावर विद्रोह के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली जेलों में रहते हुए कम्युनिस्टों के संपर्क में आये और फिर आजीवन कम्युनिस्ट हो गए.जनता के हकों के लिए लड़ते हुए उन्होंने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया.सत्ता और उसका सुख पाने के लिए सिद्धांतों से समझौता करने से उन्होंने इनकार कर दिया.जीवन पर्यंत वे एक प्रतिबद्ध कम्युनिस्ट बने रहे.
आज जब हम दंगाईयों को राजनीति का सिरमौर बनता हुआ देख रहे हैं,आये दिन साम्प्रदायिक भावनाओं को भडकाने के लिए ‘घर वापसी’, ‘लव जेहाद’ आदि-आदि नित नए शिगूफे और उकसावेपूर्ण वक्तव्यों का जहर झेल रहे हैं,तब कामरेड चन्द्र सिंह गढ़वाली की अगुवाई में हुआ पेशावर विद्रोह,इस देश की गंगा-जमुनी तहजीब और साम्प्रदायिक सौहार्द की प्रेरणा देता हुआ देश की आजादी की लड़ाई का एक गौरवशाली,शानदार अध्याय है.
-इन्द्रेश मैखुरी


 

10 new buses of Uttarakhand Transport Corporation


Dehradun 
Chief Minister Harish Rawat flagged off the 10 new buses of Uttarakhand Transport Corporation in an organized programme at Bijapur Guest House on Thursday. Chief Minister Shri Rawat said that State Government is committed to strengthen the transport network in the State. Transport corporation Instructed to purchase new buses. Chief Minister Shri Rawat informed that new Volvo buses have been incorporated in the troupe of Transport Corporation. In future more new buses will be included in it. Chief Minister added that new Volvo buses will also promote the Chardham Yatra. He said State Government is trying to provide the better transportation facilities to the tourists. Transport Corporation will have to take solid efforts to increase its income. A solid working plan to be drafted in this regard. Chief Minister Shri Rawat also inspected inside of the Volvo buses.
Prior to this, Chief Minister Harish Rawat offered floral wrath on the photo of Veer Chander Singh Garhwali, the hero of famous Peshawar Mutiny and expressed deep respect. Chief Minister Shri Rawat said that contribution of Shri Garhwali never to be forgotten. He added that Peshawar Uprising was a significant fight in the freedom fight of India which laid down a revolutionary foundation for future. This significant incidence was recorded in golden words in Indian History of Independence.  Cabinet Minister Yashpal Arya, Pritam Singh, State Congress President Kishor Upadhay including other respected people were present on the occasion. 

Congress Vice President Rahul Gandhi arrived at Jolligrant in Dehradun


Congress Vice President Rahul Gandhi   arrived at Jolligrant in Dehradun on Thursday. Here, he was welcomed by Chief Minister Harish Rawat, State President Kishor Upadhay, State co-incharge Sanjay Kapoor, Cabinet Minister Dr. Indira Hridesh, Yashpal Arya, Dinesh Agarwal, Pritam Singh, MLA Hira Singh Bisht, MLA Sunder Lal Mandarwal by presenting bouquet. Shri Gandhi reached here along with State In charge Ambika Soni, Congress Leader Jitin Prasad from Delhi. On the arrival at Jolligrant Congress Vice president Rahul Gandhi offered floral wrath on the photo of Veer Chander Singh Garhwali, hero of Peshawar Mutiny.  He said contribution of Shri Garhwali never to be forgotten. He added that Peshawar Uprising was a significant milestone in the freedom fight of India as it laid a revolutionary foundation for future. Later Shri Gandhi  discussed about the Chardham Yatra with Chief Minister including others member of cabinet. During this period he had information regarding the huge disaster and reconstruction work  through the presentation. Shri Gandhi appreciated the reconstruction work of kedarnath. He said that state government worked with limited resources and in unfavorable conditions which is appreciable. After the discussion about the presentation, he left for the Gaurikund.   

Lincholi along with Congress Vice President Rahul Gandhi.


Chief Minister Harish Rawat arrived Gaurikund Helipad on Thursday. He left for Lincholi along with Congress Vice President Rahul Gandhi. During travelling by foot on the yatra route Shri Gandhi met with the working people on the route and encouraged them. Shri Gandhi had information from small shopkeepers regarding their business on Yatra route. Shri Gandhi said that Yatra will  successful as appropriate arrangements have been ensured by the  government. Shri Gandhi was given warm welcome on the arrival at Gaurikund with local folk music band. Shri Gandhi said that traveling by foot to Kedarnath is a different experience itself.
          Chief Minister Shri Rawat talked to the owners of Horses, Khachhars, local people and had  information about the Yatra. Local people were very happy to see the Chief Minister and Congress Vice President amid them. They expressed gratitude for the better Yatra Management. Chief Minister hoped that more devotees are expected to arrive this year as a result business will grow  on the Yatra route.
Chief  Minister Shri Rawat met devotees on the Yatra route and asked about the arrangements of Yatra, devotees expressed satisfaction over the preparations and said that they did not expect such a better arrangement in short period. All the devotees appreciated the Chief Minister.
          Cabinet Minister Dr. Harak Singh Rawat, Dinesh Dhanne, Vidhan Shabha Vice President Anusuya Prasad Maikhuri including other senior congress leaders and administrative officers were present on the occasion.

बुधवार, 22 अप्रैल 2015

O Duniya Ke Rakhwale (HD) - Baiju Bawra Songs - Meena Kumari - Bharat Bhushan - Naushad Hits - PlayIt.pk

O Duniya Ke Rakhwale (HD) - Baiju Bawra Songs - Meena Kumari - Bharat Bhushan - Naushad Hits - PlayIt.pk

भगवा पहन कर बस हवा हवाई!


सुशील उपाध्याय

 मेरे ऐबी-मन की बेचैनी सुनिए.... मैं धर्मनगरी हरिद्वार में रहता हूं, लेकिन मेरे विचार इस शहर के चरित्र से भिन्न हैं। कोशिश करके देख ली, कोई जुड़ाव नहीं बन पाता। ये आचार्यों, धर्माचार्यों, शंकराचार्यों, परमाध्यक्षों, महंतों, श्रीमहंतों, मंडलेश्वरों, महामंडलेश्वरों, आचार्य महामंडलेश्वरों, मठाचार्यों, स्वामियों, महाराजों, संतों, श्रीसंतों, बाबाओं, नागाओं, उदासीनों, विरक्तों, साधुओं की नगरी है। आप चाहें तो इस सूची में भिखारियों को भी जोड़ सकते हैं। हर आठवें-पंद्रहवें दिन यह शहर किसी न किसी धार्मिक मेले, ठेले, सत्संग, धर्मोत्सव, जन्मोत्सव, वार्षिकोत्सव, अवतरण-दिवस और संत-महाप्रयाण का साक्षी बनता रहता है। सुबह-सवेरे शंख-ध्वनि, घंटे-घडि़यालों और यज्ञ-हवियों की धूम से एक ऐसा माहौल बनता है कि मेरे जैसा सांसारी अपनी अपात्रता पर जार-जार रोता है।मन को खूब रोकता-टोकता और बरजता हूं कि धर्म के मामलों से अपने ऐबी-चरित्र को अलग रखना चाहिए, पर जेहन में कोई न कोई सवाल उठता रहा है और बेचैनी बढ़ती जाती है। ताजा सवाल ये है कि जिस शहर में पद्मभूषण स्वामी सत्यमित्रानंद, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद, एक और पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम जैसे संत रहते हों, पायलट बाबा जैसे प्रभावशाली लोगों का ठिकाना यहां हो, वो शहर जौलीग्रांट और एसजीआरआर जैसे एक अदद मेडिकल काॅलेज के लिए तरस रहा है। इन दोनों संस्थाओं का नाम इसलिए लिया, क्योंकि इन मेडिकल कालेजों की स्थापना संतों द्वारा की गई है।मेरे खुराफाती दिगाम में लगातार यह बात बनी हुई है कि तमाम दिग्गज संतों ने हरिद्वार के शैक्षिक-बौद्धिक, सामाजिक-आर्थिक जीवन में क्या योगदान किया है ? लोग कह सकते हैं कि संतों का काम तो धार्मिक-आध्यात्मिक है! मैं, इस तर्क को स्वीकार करते खुद से पूछता हूं कि क्या करोड़ों रुपये का आश्रम खड़ा करना और लाखों रुपये कीमत की गाड़ी का इस्तेमाल करना भी धार्मिक-आध्यामिक गतिविधि है ? मेरे पास यह अधिकार नहीं कि मैं सतों के निजी जीवन और ऐश्वर्य पर कोई टिप्पणी करूं, लेकिन शहर का बाशिंदा होने के नाते ये जानने का हक तो है कि वे स्वामी श्रद्धानंद और श्रीराम शर्मा आचार्य-प्रणव पंडया की तरह कोई बड़ी शैक्षिक संस्था ही इस शहर को क्यों नहीं दे जाते! कोई मेडिकल यूनिसर्सिटी, कोई टेक्नीकल यूनिवर्सिटी, कोई इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी या कोई वैदिक यूनिवर्सिटी ही खड़ी करके दिखा देते। साहित्य, संस्कृति के क्षेत्र में कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार-सम्मान आरंभ कर देते या किसी विदेशी भक्त को प्रेरित कर देते कि हरिद्वार में कुछ अनूठा काम कर दे ताकि लोगों की जिंदगी कुछ बेहतर हो सके।इस प्रसंग में बाबा रामदेव का नाम लेना कई लोगों को नहीं रुचेगा, उन पर तमाम सवाल खड़े किए जा सकते हैं, लेकिन एक बात के लिए तो उनकी तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने योग और आयुर्वेद को इंडस्ट्री में बदल कर दिखा दिया। वे महज प्रवचनों तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने करके दिखाया, कोई और करके दिखाएगा! बीते दिन स्वामी सत्यमित्रानंद ने अपनी विरासत स्वामी अवधेशानंद गिरि को सौंप दी और इस विरासत को संभालने के साथ ही स्वामी अवधेशानंद गिरि ने देश भर में 300 भारत माता मंदिर खोलने का ऐलान कर दिया। कितना अच्छा होता ये वे पिछड़े इलाकों में भारत माता के नाम पर 300 विद्या मंदिर खोलते, 300 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलते। इन स्कूलों और अस्पतालों से भारत माता को ज्यादा राहत मिलती, क्योंकि भारत माता पत्थर की मूर्तियों में नहीं, उन लोगों में है जिन्हें इस वक्त शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की सबसे अधिक जरूरत है।और ये असंभव काम नहीं है, देहरादून के श्री गुरु राम राय दरबार ने पिछली आधी सदी में देश भर में कई सौ इंटर काॅलेज खोले और इन्हें संचालित करके भी दिखाया। भक्त लोग गुस्ताखी माफ करें, हरिद्वार में अक्सर भक्तों का मेला लगाने वाले सतपाल महाराज ने हरिद्वार को क्या दिया है ? इससे बेहतर तो उनके भाई भोले महाराज है जो एक बड़े आई-हास्पिटल की शुरुआत कर चुके हैं। संत और समर्थक अक्सर गिनाते हैं-संस्कृत पाठशाला शुरू की, धर्मार्थ डिस्पैंसरी आरंभ की, पुस्तकालय आरंभ किया, गरीबों की मदद की, कन्याओं का विवाह कराया और बहुत कुछ! माफ कीजिएगा, इनमें कोई भी ठोस काम नहीं है ये हवा-हवाई हैं! जिन्होंने भगवा पहन लिया है, उन्हें ऊपर वाले को कोई हिसाब नहीं देना होगा या नहीं?

लेखक सुशील उपाध्याय पत्रकार रहे हैं और इन दिनों हरिद्वार में रहते हुए अध्यापन के कार्य से जुड़े हैं. उन्होंने उपरोक्त बातें फेसबुक पर 

श्री बदरीनाथ धाम तैयार, हाईवे जाम

सौ से अधिक श्र(ालुओं ने करायी श्री बदरीनाथ की विशेष पूजा बुकः बीडी सिंह


नंदन विष्ट

 श्री बदरीनाथ धम के कपाट खुलने में अब तीन दिन रह गए हैं। यात्रा तैयारियां भी अब अंतिम चरण में हैं। श्री बदरीनाथ धम में कुबेर गली, श्र(ालु स्थल और मंदिर परिसर से सटे स्थलों से बर्फ हटाने का काम पूरा कर लिया गया है। हालांकि बदरीनाथ हाईवे अभी कंचनगंगा में बाधित है। सीमा सड़क संगठन इसे दुरुस्त करने में जुटे हैं, यहां पर सड़क खुलवाना चुनौती बना हुआ है। यात्रा को लेकर इस बार उत्साह देखने को मिल रहा है। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह का कहना है कि अब तक दो हजार से अध्कि लोग मंदिर समिति से यात्रा को लेकर जानकारियां अलग अलग माध्यमों से ले चुके हैं। 100 से अधिक श्र(ालु विशेष पूजा बुक करा चुके हैं। उन्होंने कहा कि श्री बदरीनाथ धम व केदारनाथ धम की यात्रा सुरक्षित है और यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए पूरी व्यवस्थाएं की गई हैं। बदरीनाथ धम में ध्र्मशालाओं, होटलों में बुध्वार तक पांच हजार लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है। हालांकि अभी निजी ध्र्मशाला व होटलों के खुलने में सड़क बाध बन रही है। कारोबारियों को हाईवे खुलने का इंतजार है। श्री बदरीनाथ धम के परिक्रमा स्थल सहित पंचशिला क्षेत्रा से बपर्फ हटाकर बदरीनाथ मंदिर तक आवाजाही सुचारु हो गई है। कुबेर गली के साथ ही श्र(ालुओं के लाइन में खड़े होने वाले स्थान से भी बर्फ हटाने का काम पूरा कर लिया गया है। बताते चलें कि कुबेर देवता कपाट खुलने वक्त इसी गली से मंदिर में प्रवेश करते हैं। पुलिस थाने से साकेत तिराहे होते हुए मंदिर तक भी मार्ग से बर्फ हटा दी गई है। अलबत्ता, हाईवे अवरु( होने के कारण टूटे हुए टिन शेडों की मरम्मत शुरू नहीं हो पाई। श्री      बदरीनाथ धम में होटल, ढाबों की बात करें तो अभी निजी होटल, ढाबे अभी एक भी नहीं खुले हैं। हां, मंदिर समिति ने अपने स्तर पर श्र(ालुओं के लिए व्यवस्थाएं कर रखी हैं। हाईवे जरूर टेंशन दे रहा है। स्थिति यह है कि तीन दिनों से कंचनगंगा में छह डोजर हिमखंडों को हटाने के काम में जुटे हैं। भारी भरकम हिमखंड होने के कारण अभी तक बीआरओ हाइवे को नहीं ढूंढ़ पाया है। बीआरओ द्वारा जेपी कंपनी की भी मदद ली गई है। बदरीनाथ कंचनगंगा से दो किमी दूर है। ऐसे में स्थानीय लोग, व्यवसायियों को पैदल बदरीनाथ जाने के लिए एसडीआरएफ के जवान मदद करा रहे हैं। सीमा सड़क संगठन के द्वितीय कमान अध्किारी मेजर रूपज्योति दास का कहना है कि कंचनगंगा हिमखंड में 40 पफीट बपर्फ हटाने के बाद भी सड़क नहीं मिल पाई है। बीआरओ की कोशिशें जारी हैं।

Veer Chandra Singh Garhwali and his fellows


Dehradun 
While offering the deep respect on the occasion of anniversary of Peshawar uprising  to its hero Veer Chandra Singh Garhwali and his fellows Chief Minister Harish Rawat said that in the freedom fight  of nation his contribution is never to be forgotten and unique.
Chief Minister Shri Rawat  stated in his massage that Peshawar uprising was a significant fight for independence of India, which laid a revolutionary foundation for future. This significant incidence is recorded in golden words in the independence history of India. He added that revolt to the english imperialism resulted in long term jail sentence to Veer Chandra Singh Garhwali but this sentence could not shake his patriotism. On account of active leadership in freedom fight he was re-arrested in 1942 and sentenced to jail.
Chief Minister said that after the Peshawar Mutiny Veer Chandra Singh Garhwali was in the row of leading freedom fighters. Mahatma Gandhi facilitated him by naming after ‘’Garhwali’’

Dehradun
Chief Minister Harish Rawat has flagged off the group of differently able persons from the Bijapur Guest House on Wednesday for the tour of Kedarnath from Gaurikund by foot. Chief Minister appreciated the courage of the differently able persons and said this is the true enthusiasm of Uttarakhand. He said that handicap people with artificial legs sending massage that they can travel then others people also. Chief Minister added that this is a pleasant experience to send off these people on Yatra.
          While addressing about the arrangements of Chardham Yatra routes he said that our people worked day and night to conduct the yatra smoothly. Roads have been constructed amid falling bolder. Roads which were obstructed due to heavy snowfalls, have been re-opened. Chief Minister emphasized to promote the internal tourism as residents of one part of state may travel another part. Hill state like Uttarakhand often faces natural hindrances. Around 500 times yatra has been interrupted in Sirobagad and Lambagad earlier. He said routes close many times but arrangements to re-open the routes noteworthy. CM assured that Chardham Yatra is entirely safe. People can come without tremulous.
           Travelling Under the banner  of Nautiyal Artificial Limb Centre Seven differently able persons are included in this group. Rajender Tawar and G C Gurung associated with  group played an important role in Kargil War in India’s victory hence Rakeshlal who participated in group had lost his leg in the huge disaster of 2013.  Apart from this, Surjan Singh, Laxmi Parsad Bahuguna, Dinesh Bijilwan and Dirender Singh will also travel on artificial legs. V. K. Nautiyal and Vijay Kumar including others were included in the group.

Uttarakhand State Ganga River Conservation Authority as a president


Dehradun 
While addressing the meeting of Uttarakhand State Ganga River Conservation  Authority  as a president, Chief Minister Harish Rawat said no sewer water to be released in Ganga directly. All the drainage to be released in Ganga after treatment as well as a working plan to be prepared so that these drains to be released out of city  through canal based pipelines. Chief Minister directed the Chief Secretary  a proposal to be prepare for water bonus at earliest along with a water policy to be prepared of state. Chief Minister said plans to be initiated effectively  at central level for approval which have been forwarded to Government of India under the Namami Gange. He said that proposal of plans to be drafted considering the local needs. Chief Minister said special drainage plan to be prepared for Rishikesh and Haridwar considering the coming Ardhkumbh Fair.  Chief Minister directed the Chief Secretary  to approve Rs  4 crore for the Trivenighat sewerage plan. Whatever fund is required for the Ardhkumbh fair in Haridwar , concerned proposal to be sent. Chief Minister directed to prepare proposal  according to standards of Namami Gange and Swachch Bharat of Government of India on priority basis. DPR of River Front Development Plan  in Rishikesh to be prepared again and coordination  with irrigation department to be insured . Chief Minister said other options  to be considered to reduce the  water pollution as for the purpose  bio-remedies technique  can  be implemented as a model.  Under this technique water of drains and big sewer is purified with natural method.  Chief minister  expressed  displeasure on the issue of DPR as fund had been granted  to prepare the DPR to Drinking Water(Payjal), Tourism Development Board and Urban Development Departments  but DPR has not been prepared till date. He said this kind of working culture is not right.
            Chief Minister instructed the Managing Director of SIDCUL  to conduct the cleaning campaign in Kashipur , Haridwar including other SIDCUL regions, for this purpose plans to be prepared by co-coordinating  with entrepreneurs of SIDCUL  region, instructions have been issued  to USGRA to disseminate about the water storage, for the purpose different competitive contest  may be organized  among the children
Urban Development Minister Pritam Singh Pawar, Chief Secretary N Ravishanker, Additional Chief Secretary S Raju,  Principal Secretary Forest Dr. Ranveer Singh, Secretary Tourism Dr. Umakant Panwar, MD SIDCUL R. Rajesh Kumar, Additional Secretary Drinking Water Saujanya were present on the occasion

मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

Gangotri and Yamunotri Shrines opened












Gates of the Gangotri and Yamunotri Shrines opened on the auspicious occasion of Akshya Tritiya as Chardham Yatra began with the gates opening ceremony . Gates of Kedarnath  and Badrinath will open on 24th April and  26th April respectively. Chief Minister Harish Rawat was present during the gate opening ceremony of Shri Gangotri and flagging off of Doli of Maa Yamuna from Kharsali to Yamunotri. He prayed for the happiness of State and successfully completion of Chardham Yatra.
While addressing the organized brief programme in Kharasali Chief Minister Harish Rawat apprised that working plan has been prepared to stop the land sliding. Work is  going on in this regard. Tenders  has been allotted for rope way, related construction work will be started at earliest. CM directed the officials of PWD to prepare the estimation for broadening the Jankichatti-Yamunotri Dham foot path. He indicated that direct bus service would be start from Kharsali to Delhi.
While addressing the Meida on returning  Dehradun  Chief Minister  informed that there was good response of devotees on the  first day of gates opening  of Gangotri and Yamnotri . About 3 thousand devotees from the 12 states visited the Yamnotri.  55 foreigners tourists and devotees were included in it. Local people also present there. Enthusiasms of devotees and local people was remarkable as we got double energy from the joyous response of devotees and tourists. About 2500 devotees visited the first day of opening of Gangotri Shrine and worshiped the Maa Ganga. People from Karnataka, Rajasthan,  Maharastra, Bihar, Delhi, Uttar Pardesh and others states visited the shrines. CM said that he talked to the devotees himself. They expressed satisfaction over arrangements by government. Devotees who visited the shrines before, told  that arrangements are better than earlier visits.
            CM said  more than 200 rooms in Private Huts and GMVN  have been reserved for the Gangotri and Yamunotri according to received information. 750 rooms have been booked online. 80 Vehicles have been booked of Garhwal Motors Union although 150 Vehicles    have been booked till 5th May. Vehicles other unions and Private Vehicles are not included in it. Chief Minister said that  snow has been cleared from path way of Badrinath. Snow will be cleared from Bus station soon. Chief Minister expressed full confidence that Chardham Yatra would regain its prosperity this time . It is being appreciated that our people are working in unfavorable conditions. After a long time, local businessmen  are beaming with positive smile with a hope of businessmen growth. Officials have been directed to be prepare for the  arrangement of the additional tent colony in Kedarnath and Lancholi if needed. People from all over the world will be made aware about the possibilities of adventure tourism along with Harsil, Jageshwar, Madmaheshwar, Tungnath. We will  make aware about our religious and cultural fairs.  

पवित्र चारधाम यात्रा शुरू श्रद्वालु आस्था पथ पर रवाना

यमुनोत्राी-गंगोत्राी के कपाट खुले, 








अक्षय तृतीया पर मंगलवार को चारधम यात्रा की शुरुआत हो गई। मंत्रोच्चारण के साथ दोपहर लगभग 12 बजे यमुनोत्राी मंदिर के कपाट खुल गए। इससे पहले मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली से डोली मंगलवार की सुबह यमुनोत्राी पहुंची। इसके बाद दोपहर लगभग 12ः30 बजे मां गंगा की डोली की मौजूदगी में गंगोत्राी मंदिर के कपाट श्र(ालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। कपाट खुलने के पहले से ही श्र(ालु आस्था पथ पर रवाना होने लगे। कपाट खुलने के दौरान धम में सैकडों श्रद्घालु मौजूद रहे। सोमवार को भी (षिकेश से 17 बसों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के 535 तीर्थयात्राी चारधम की यात्रा पर रवाना हुए। इससे पहले उत्तरकाशी में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा में विध्वित पूजा-अर्चना के बाद सोमवार को मां की डोली गंगोत्राी धम के लिए रवाना हो गई। तीर्थ पुरोहितों के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण डोली को विदा करने मुखबा गांव में जुटे। शाम को डोली रात्रि विश्राम के लिए भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर में पहुंची। धम के कपाट खुलने के घ्दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्राी हरीश रावत भी मौजूद रहे।

उत्तराखंड सुरक्षित, बेझिझक आएं यात्राीःसीएम

 मुख्यमंत्राी हरीश रावत ने गंगोत्राी और यमुनोत्राी धम के विकास को विशेष योजना बनाने की बात कही। खरसाली में उन्होंने यमुनोत्राी धम को राज्य का विशेष मंदिर का दर्जा दिए जाने की घोषणा की। उन्होंने उत्तराखंड राज्य को सुरक्षित बताते हुए देश और दुनिया के लोगों से यात्रा पर आने की अपील की। मंगलवार सुबह मुख्यमंत्राी हेलीकाप्टर से खरसाली पहुंचे। जहां उन्होंने यात्रा को लेकर जिलास्तरीय अध्किारियों को विभिन्न दिशा निर्देश दिए। उन्होंने शहरी विकास मंत्राी प्रीतम सिंह पंवार को यमुनोत्री धम के कपाटोद्घाटन समारोह में मौजूद रहने को कहा। जबकि जीएमवीएन के एमडी सी. रविशंकर को यात्रा व्यवस्था के हर इंतजाम पर नजर रखने के निर्देश दिए। कहा कि यमुनोत्राी मंदिर चार धम यात्रा का पहला धम है। लिहाजा सरकार इसे विशेष मंदिर का दर्जा दे रही है। स्थानीय लोगों की मांग पर उन्होंने धर्मिक पर्यटन की कालिंदी, गरुड़ गंगा और यमुनोत्राी महायोजना में दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने कहा कि वे इस योजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श और रायशुमारी कर जल्द ही कोई कदम उठाएंगे। खरसाली से यमुना की डोली विदाई के कार्यक्रम में मुख्यमंत्राी ने भी डोली को कंध देकर यात्रा के शुभारंभ की घोषणा की। इसके बाद उन्होंने हेलीकाप्टर से गंगोत्राी धम का रुख किया। हर्षिल तक हेलीकाप्टर व उसके बाद सड़क मार्ग से मुख्यमंत्राी गंगोत्री धम पहुंचे, जहां उन्होंने कपाटोद्घाटन कार्यक्रम में शिरकत के बाद अध्किारियों की बैठक ली। इस दौरान गंगोत्राी विधयक व संसदीय सचिव ने मुख्यमंत्राी से गंगोत्राी मंदिर समिति की मदद करने की मांग की। मुख्यमंत्राी ने कहा कि गंगोत्राी धम के विकास के लिए विशेष कार्ययोजना पर काम किया जाएगा। इसमें तीर्थपुरोहितों के साथ ही व्यापारी, साध्ू समाज व स्थानीय लोग भी शामिल होंगे। इस मौके पर मुख्य सचिव एन. रविशंकर, जिलाध्किारी इंदूधर बौड़ाई, एसडीएम हरिगिरी समेत अन्य जिला स्तरीय अध्किारी मौजूद रहे।

सोमवार, 20 अप्रैल 2015

Best of Mohammad Rafi Songs Vol 2 | Mohd. Rafi Top 10 Hit Songs | Old Hi...

chal ud ja re panchhi.चल उड़ जा रे पंछी..Talat Mehmood sings Mohd.Rafi song

चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ आज

यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलने के साथ होगा चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ आज यात्रियों के जत्थों को पूजा-अर्चना के साथ किया रवाना


 यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलने के साथ मंगलवार से चार धाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो जाएगा। सोमवार को ऋ षिकेश पहुंचे जिलाधिकारी रविनाथ रमन ने विभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर चार धाम यात्रा बस टर्मिनल कंपाउंड में तैयारियों का जायजा लिया।
बस टर्मिनल कंपाउंड सभागार में जिलाधिकारी रविनाथ रमन ने यात्रा से जुड़े विभागों के अधिकारियों की बैठक लेकर सभी तैयारियों को अंतिम रूप देते हुए किसी भी स्तर पर कोताही न बरतने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने बताया कि यह ओवर व्यू बैठक थी। आपदा के बाद हालात सुधरे हैं। सरकार और समस्त जिला प्रशासन व्यवस्था बनाने में सफल रहे हैं। उन्होंने बताया कि फोटोमैट्रिक पंजीकरण के जरिये सभी यात्रियों का रेकॉर्ड रखा जा रहा है। यात्रियों का आर्थिक शोषण रोकने के लिए ट्रेवल एजेंट का पंजीकरण जरूरी कर दिया गया है। सभी प्रमुख स्थानों पर बसों के किराये को सार्वजनिक किया जाएगा। यात्रा अड्डे पर 24 घंटे डिस्पेंसरी और एंबुलेंस की व्यवस्था होगी। उन्होंने एआरटीओ को तिपहिया वाहनों का       किराया निश्चित कर सूची वाहन में लगवाने के निर्देश दिए। यात्रा अड्डे पर होमगार्ड व पीआरडी के अलग से जवान तैनात करने की बात कही। उन्होंने एसडीएम संतोष कुमार पांडेय को पूरे शहर में पालिका प्रशासन के साथ मिलकर अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए। उन्होंने पुलिस उपाधीक्षक हरबंस सिंह को जाम की समस्या से सख्ती से निपटने को कहा। उन्होंने पालिका के अधिशासी अधिकारी बीएल आर्य को नए भवन में सभी परिवहन कंपनियों व रोटेशन कार्यालय को स्थान आवंटित करने के साथ शौचालय व परिसर में सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। डीएम ने कहा कि यात्रा संचालन में पालिका को बजट की समस्या आ रही है। इसके लिए शासन से वार्ता कर मदद कराई जाएगी। बैठक में पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी वाईके गंगवार, एआरटीओ एके जायसवाल, मुख्य चिकित्साधीक्षक डा. एके गैरोला, परिवहन निगम के एआरएम प्रतीक जैन, जलकल अभियंता तरुण कुमार शर्मा, एसडीओ सिंचाई सुधीर मोहन, एसडीओ लोनिवि अविनाश भारद्वाज, रोटेशन के पूर्व अध्यक्ष संजय शास्त्री, सुधीर राय, टीजीएमओ के अध्यक्ष विजयपाल धनै, यातायात कंपनी के अध्यक्ष कुंवर सिंह रावत, उपाध्यक्ष मनोज ध्यानी, मुकुल शर्मा, फोटोमैट्रिक कार्य से जुड़ी एजेंसी के रिजनल हेड श्रीनिवास एम. आदि उपस्थित थे।चार धाम यात्रा बस टर्मिनल कंपाउंड में रोडवेज की बसों की वर्कशाप को देखकर जिलाधिकारी रविनाथ रमन ने पालिकाध्यक्ष को यहां से वर्कशाप को हटाने के निर्देश दिए। मंडलायुक्त पूर्व में ही 30 मार्च तक वर्कशाप को शिफ्ट करने के निर्देश दे चुके थे। परिवहन निगम को नटराज चौक के समीप जगह आवंटित की जा चुकी है, वहां निर्माण भी हो गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि वर्कशाप यहां होने से गंदगी के साथ यात्रियों को अच्छा संदेश नहीं जाएगा। पालिका प्रशासन एक सप्ताह के भीतर वर्कशाप को यहां से हटाए। जिलाधिकारी ने कहा कि वह इस बारे में परिवहन निगम के एमडी से भी बात करेंगे।

बाबा केदार चले कैलाश

केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली केदारनाथ के लिये रवाना


शीतकालीन गॄीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ में मत्रोच्चारण, छह कुमाऊं रेजीमेन्ट और स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों के बीच बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली गर्भ गृह से बाहर लाई गयी। जहां आचार्यो, पुजारियों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों ने मंत्रोंच्चारण के साथ डोली की विशेष पूजा-अर्चना की। डोली को फूल-मालाओं से सुसज्जित किया गया।  इसके बाद डोली ने ओंकारेश्वर मन्दिर की तीन परिक्रमाएं की और अपने धाम केदारनाथ के लिये रवाना हुई। डोली के धाम जाते समय कई भावुक क्षण भी देखने को मिले। जबकि कई श्रद्घालु बाबा केदार की भक्ति में लीन होकर आर्मी बैण्ड की धुनों पर थिरकने लगे। वहीं महिला श्रद्घालु भी भोले बाबा की भक्ति में मदमस्त रही। ठीक सवा दस बजे भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोलीे के मन्दिर परिसर से हिमालय के लिये रवाना होते ही भोलेनाथ के जयकारों और कीर्तन-भजनों से मन्दिर परिसर गुंजायमान हो उठा। ऐसा तीत हो रहा था कि सम्पूर्ण देव लोक इसी भू-भाग पर उतर आया है। भगवान केदार बाबा के साक्षात दर्शन के लिए बडी संख्या में श्रद्घालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपने पहले रात्रि वास लिये विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंची। मंगलवार को डोली रात्रि वास के लिए फाटा पहुंचेगी। इसके बाद 22 अैल को फाटा से स्थान कर रात्रि वास के लिए गौरीमाता मन्दिर गौरीकुण्ड पहुंचेगी। 23 को अन्तिम रात्रि वास डोली  केदारनाथ धाम मे करेगी और 24 अैल को मिथुन लग्र में 8 बजकर 50 निमट पर वेदऋचाआ,े मंत्रोंच्चारण व छह कुमाऊं रेजीमेन्ट की बैण्ड धुनों के साथ भगवान केदारनाथ के कपाट आम श्रद्घालुओं के लिए खोल दिये जाएंगे। इस मौके पर क्षेत्रीय विधायक व संसदीय सचिव शैलारानी रावत,  पूर्व विधायक आशा नौटियाल, पूर्व जिपं अध्यक्ष चण्डी साद भट्ट, कुंवर सिंह पंवार, जिपंस मीना पुण्डीर, एसडीएम उत्तम सिंह चौहान, तहसीलदार एसपी उनियाल, कार्यधिकारी अनिल शर्मा, इन्दू भूषण नौटियाल, थानाध्यक्ष श्याम लाल कोली, देवानन्द गैरोला, अतुल जैन, शालिनी जैन,  शत्रुधान सिंह नेगी, आचार्य हर्ष जमलोकी, श्रीनिवास पोस्ती, राजकुमार नौटियाल, अनुसूया साद भट्ट, वीरेन्द्र नौटियाल, विश्वमोहन जमलोकी, बलवन्त सिंह रावत, मोहन सिंह रावत, दुर्गा देवी, रणजीत रावत, रमेश खरोला, सहित देश विदेश के श्रद्घालु मौजूद थे। 

Chief Minister Harish Rawat paid a visit to Shri Badrinath










On Monday, Chief Minister Harish Rawat paid a visit to Shri Badrinath shrine and inspected the preparation of Yatra and prayed to Lord Shri Badreivishal for the success of Chardham Yatra and happiness for the people of Uttarakhand. Chief Minster took the information regarding electricity, water, communication, housing and other arrangements in Badrinath Shrine. He found  preparations satisfied and asked officials to improve arrangements. He said that after clearing the snow, Yatra Pathway has been opened entirely. Permanent solution will  be ensured  for Lambagad landslide area within two year after constructing tunnel. Chief Minister directed to prepare plan for constructing safety wall in Bamnigaun and  the  road to be opened  which has been  obstructed on account of bolder in Marwari of Joshimath.
            Chief Minister Shri Rawat said Chardham Yatra is backbone of economy of the state. Government has put all its efforts to conduct the Yatra smoothly. SDRF Team has been deployed for the purpose. ASP Chamoli  Navneet Bhullar has been imparted the responsibility to train 100 local Youths in remote hill areas with the help of NIM. After the training Youths will be capable in relief and rescue works in high altitude conditions. Soldier Welfare department would also be activated for this purpose. A sports collage will be established in Munsyari. A plan is being considered for School children to take them on visit of Chardham Yatra
CM stated that our people are working day-night in unfavorable conditions. Chief Minister informed that government is well prepared and he has full confidence to get positive response. Devotees can come to the Chardham Yatra without fear and hesitation. During the occasion, Chief Minister directed the officials to organize Bhandara (Group Feast)  free of cost on behalf of state government for the visiting  devotees on inauguration of Gate opening of all four shrines (Dham) as well as  on previous evening of  Gate opening. Under earlier said plan, Free of Cost Bhandara would be arranged by State Government for the visiting devotees on 20th and 21st April in Gangotri and Yamunotri, on 23rd and 24th April  in Kedarnath Shrine and on 25th and 26th April in Shri Badrinath Shrine. Garwal Mandal Vikas Nigam has been nominated as an organizer institution for the arrangement of Free of Cost Bhandara (Group Feast).
Vice President of Twenty points plan and Area MLA  Rajender Bhandari , Secretary PWD Amit Negi, Commissioner Garhwal Mandal CS Napchyal including other officials were present on the occasion.

रविवार, 19 अप्रैल 2015

आस्था की डगर में चुनौतियों का पहाड़






गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम के लिए तीर्थयात्रियों के जत्थे आने शुरू हो जाएंगे। प्रदेश सरकार के तमाम दावों की पोल खुल जाएगी। क्योंकि आस्था की डगर पर चुनौतियों के पहाड़ बरकरार हैं। प्रदेश की कांग्रेस सरकार और विपक्ष की भूमिका में खडी भाजपा दोनों तो आपस में लडने में लगे हुए हैं। यात्रा की तैयारियां प्रशासनिक स्तर पर हो रही हैं तो वो भी सिर्फ बैठकों में। चारधाम तक पहुंचने वाले मार्गों का हाल तो साफ दिख रहा है। अकेले सबसे पहले जिन धामों के कपाट खुलेंगे उनके बारे में बताये तो गंगोत्री में पसरा सन्नाटा इसकी तस्दीक कर रहा है। यहां अभी करीब 40 में 10 होटल ही यात्रियों के स्वागत के लिए तैयार हैं तो डेढ़ सौ में से आठ दुकानों के शटर ही खुले हुए हैं। वजह यह कि चिन्यालीसौड़ से गंगोत्री तक 135 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग पर 25 किमी का हिस्सा विभिन्न स्थानों पर अब भी बेहद खराब है। धाम में अभी बिजली-पानी तक बहाल नहीं हो पाया है। गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष भागेश्वर सेमवाल कहते हैं यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर छह माह पूर्व ही शासन प्रशासन को तैयारी के लिए कहा गया था, लेकिन सरकारी मशीनरी काफी देरी से हरकत में आई। गौरतलब है कि पिछली बार गंगोत्री और यमुनोत्री में सिर्फ 58 हजार यात्री पहुंचे, जबकि आपदा से पहले दोनों धामों में यह संख्या करीब सात लाख के आसपास रहती थी।
दरअसल, कुछ यात्रा तैयारियों में जुटे विभागों की लेटलतीफी और कुछ मौसम का मिजाज, इन दोनों ने ही राह में ज्यादा मुश्किल पैदा की हैं। हालांकि यमुनोत्री के हालात फिर कुछ बेहतर हैं। बिजली और पानी बहाल होने के बाद व्यापारी यहां पहुंचने लगे हैं। दस होटल में से आठ खुल चुके हैं और 50 दुकानों में दस सज चुकी हैं। व्यापारियों के आने का सिलसिला जारी है। थोड़ी बहुत कमियां हैं, जिन्हें दुरुस्त किया जा रहा है। भैरव मंदिर के समीप क्षतिग्रस्त पैदल मार्ग की मरम्मत के साथ ही टूटी रेलिंग को ठीक करने का काम जारी है। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव पुरुषोत्तम उनियाल उत्साहित हैं। वह कहते हैं पैदल मार्ग जल्द ही दुरुस्त हो जाएगा और बिजली व पानी तो बहाल हो चुका है। ऐसे में व्यापारी भी पहुंचने लगे हैं। वह कहते हैं इस बार यात्रा से अच्छी रहेगी।

शनिवार, 18 अप्रैल 2015

बदरीनाथ नगरीः यात्रियों के स्वागत को तैयार

बद्रीनाथ धम में बिजली, पानी तथा दूरसंचार व्यवस्था हुई सुचारूः जिलाध्किारी

चारधम यात्रा की व्यवस्थाओं को लेकर जिलाधिकारी अशोक कुमार ने आज हैलीकाप्टर द्वारा बद्रीनाथ पहुॅचकर व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए बताया कि बद्रीनाथ धम में बिजली, पानी तथा दूरसंचार व्यवस्था सुचारू कर दी गयी है। मन्दिर परिसर, मन्दिर मार्ग, दो हैलीपैड़ों सहित अन्य स्थानों की बपर्फ भी हटवा दी गयी है। उन्होंने बताया कि गढ़वाल मण्ड़ल विकास निगम, अतिथि गृहों व यूथ हाॅस्टल सहित अन्य  स्थानों में बिजली, पानी व्यवस्था बहाल कर दी गयी है। बपर्फ को गलाने के लिए नमक तथा यूरिया का छिड़काव किया जा रहा है और कंचनजंघा पर मोटरमार्ग को ठीक करने के लिए बीआरओ द्वारा बपर्फ कटिंग का काम यु( स्तर पर चल रहा है। बपर्फ कटिंग के लिए जे.पी. कम्पनी द्वारा एक-एक पौकलैण्ड़ मशीन व जेसीबी उपलब्ध् करायी गयी है। धम में सपफाई व्यवस्था के लिए पर्याप्त संख्या में मजदूर तैनात कर दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि सभी व्यवस्थायें 20-21 अपै्रल तक पूर्ण कर ली जायेंगी। निरीक्षण के दौरान उनके साथ पुलिस अध्ीक्षक सुनील कुमार मीणा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।


मुख्यमंत्री ने लिया जायजा देश-विदेश में रहने वाले यात्रियों से केदारनाथ आने की अपील




मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार को केदारनाथ धाम पहुंचकर यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने देश-विदेश में रहने वाले यात्रियों से केदारनाथ आने की अपील की। सीएम ने केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यो का निरीक्षण करने के बाद गुप्तकाशी में व्यापारियों व मजदूरों को साढ़े आठ करोड़ से अधिक के चेक वितरित किए। तयशुदा कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री सुबह ग्यारह बजे हेलीकॉप्टर से केदारनाथ पहुंचे। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम यात्रियों के स्वागत के     लिए सरकार तैयार है, यहां पांच हजार यात्रियों की रहने की व्यवस्था हो चुकी है। बर्फ रास्तों से साफ की जा चुकी है। सीएम ने पुनर्निर्माण को लेकर डीएम रुद्रप्रयाग व धाम में रह रहे निम के कर्मचारियों व मजदूरों से बातचीत की। इसके बाद सीएम केदारनाथ से गुप्तकाशी हेलीपैड पहुंचे, लोनिवि के निरीक्षण भवन में आयोजित कार्यक्रम में सीएम ने 48 केदारनाथ आपदा पीडि़तों को आठ करोड़ 67 लाख 52 हजार दो दो सौ 66 रुपये तथा 13 मजदूरों को 130000 रुपये की धनराशि के चेक वितरित किए। उन्होंने कहा कि अभी तक केदारनाथ में 24 भवन स्वामी अपनी सहमति दे चुके हैं, जिसमें 13 भवनों को तोडऩे की सहमति शासन को मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि केदारपुरी अब मानसरोवर की तरह दिख रहा है। अभी तक रामबाड़ा से ऊपर 2500 लोगों को जाने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने देश-विदेश से अधिक से अधिक यात्रियों को चारधाम यात्रा पर आने का आमंत्रण दिया है। इसके लिए उन्होंने प्रशासन के साथ ही तीर्थपुरोहितों, व्यवसायियों व स्थानीय लोगों से सहयोग की अपेक्षा भी की है। जिससे पूरे देश में यात्रा को लेकर अच्छा संदेश पहुंच सके। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने कहा कि मुआवजे पर कोई कर नहीं लगेगा। भवन स्वामियों को जमीन के बदले जमीन दी जाएगी। उन्होंने भवन के लिए भवन स्वामियों को माडल तैयार करने बाद भवन बनाकर देंगे। मंदिर के पचास फीट के बहार जो जीर्ण-शीर्ण भवन हैं, इसके लिए यदि भवन स्वामी अपनी सहमति देता है, तो ठीक है, नहीं तो सुरक्षा की दृष्टि से इसे तोड़ा जाए। इसके लिए डीएम को निर्देशित किया जा चुका है। इस अवसर पर संसदीय सचिव शैलारानी रावत, डीएम डॉ. राघव लंघर, सहायक सेटलमेंट आफिसर एलआर चौहान समेत यात्रा से संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। सीएम को सिरोबगड़ स्लाइडिंग जोन का निरीक्षण करना था पर नहीं कर सके।

गंगोत्री-यमुनोत्री में सन्नाटा


 अक्षय तृतीया के दिन 21 अप्रैल को गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलने हैं, लेकिन अभी तक दोनों धाम में पसरा सन्नाटा नहीं टूटा है। दोनों धामों में अब भी अधिकांश दुकानें बंद हैं। देर तक हुई बर्फबारी के कारण बाजार में दुकानों के आगे से बर्फ के ढेर भी नहीं हटाए जा सके हैं। पूजा सामग्री की कुछ दुकानों को छोड़कर अधिकांश दुकानें अभी तैयार नहीं हो सकी हैं। वर्ष 2013 में जून माह बाढ़ के चलते गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में सीजनल व्यापारियों का बड़ा नुकसान हुआ था। कपाट खुलने के महज डेढ़ माह बाद ही आपदा के कारण व्यापारियों को सामान वहीं छोड़कर वापस लौटना पड़ा था। पूर्व में दोनों धामों में यात्रियों की आमद का जो आंकड़ा चार लाख से ऊपर पहुंचता था। वर्ष 2014 में घटकर 58 हजार ही रहा। इस कारण धाम में पचास फीसदी दुकानें ही खुल सकी। उनमें भी बरसात शुरू होने तक कई व्यापारी वापस लौट गए थे। हालांकि इस बार यात्रियों के बड़ी तादाद में पहुंचने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन अभी तक दोनों धामों के बाजार में चहल पहल शुरू नहीं हो सकी है। जबकि वर्ष 2013 तक कपाट खुलने से पंद्रह दिन पहले ही गंगोत्री धाम व्यापारियों, साधुओं और तीर्थ पुरोहितों से गुलजार हो जाता था। वहीं जानकीचट्टी बाजार के साथ ही यमुनोत्री धाम तक यात्रा के लिए माहौल तैयार हो जाता था। पांच किमी के पैदल मार्ग में भी इस बार दुकानें तैयार नहीं हो सकी हैं। गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश   सेमवाल का कहना है कि गंगोत्री बाजार में यात्रियों ने तैयारी तो की है, लेकिन उम्मीद है कि कपाट खुलने के दिन से ही व्यापारी अपना कारोबार जमाना शुरू करेंगे। गंगोत्री बाजार में पूजा सामग्री व खाने रहने के होटल व रेस्टोरेंट सबसे ज्यादा हैं। इसके अलावा गर्म कपड़े, दवाइयां, किराना, लेमिनेटेड फोटो, ऑडियो वीडियो सीडी, छाते, टॉर्च समेत उच्च हिमालयी क्षेत्र के लिए जरूरी वस्तुओं का भी यहां पूरे यात्रा सीजन के दौरान कारोबार होता है। इसी तरह की दुकानें चारधाम यात्रा के पहले धाम यमुनोत्री में जानकीचट्टी के साथ ही यमुनोत्री धाम व बीच के पैदल मार्ग पर भी तैयार होती हैं। यह सीजनल व्यापारी पूरी तरह यात्रा के रुझान पर निर्भर है। चार धाम यात्रा के शुभारंभ को दो दिन शेष रह गए हैं। परिवहन विभाग अब तक 133 ग्रीन कार्ड जारी कर चुका है।चार धाम यात्रा संचालन में परिवहन विभाग की भूमिका अहम है। यही कारण है कि शासन की ओर से विभाग की जवाबदेही को और बढ़ाया गया है। चारधाम यात्रा मार्गो के लिए चार जांच दल बनाए गए हैं। ऋषिकेश को यात्रा का प्रवेश द्वार कहा जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय ने इस बार वाहनों को ग्रीन कार्ड जारी करने के लिए चार काउंटर बनाए हैं। सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक यह काउंटर खुले रहेंगे। 15 अप्रैल से यहां ग्रीन कार्ड जारी करना शुरू कर दिया था।
 इन चार दिनों में ग्रीन कार्ड जारी करने के जो आंकड़े सामने आए हैं वह यात्रा के प्रति आशंकित लोगों को राहत देने वाले हैं। विभाग की ओर से अब 133 ग्रीन कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें 39 बस, 69 टैक्सी, 22 मैक्स, तीन मिनी बस शामिल है। 15 अप्रैल को 15, 16 अप्रैल को 38, 17 अप्रैल को 50 व 18 अप्रैल को 30 ग्रीन कार्ड जारी किए गए हैं। यहां से अब तक जितने भी ग्रीन कार्ड जारी हुए हैं, उसमें बाहरी राज्य का कोई वाहन नहीं है। सभी वाहन स्थानीय लोगों के हैं। वहीं, ऋषिकेश के एआरटीओ एके जाससवाल ने बताया कि चार धाम यात्रा को लेकर परिवहन विभाग की तैयारी पूर्ण है। अब तक 133 ग्रीन कार्ड जारी कर दिए गए हैं। संख्या धीरे-धीरे बढ़ेगी। वाहन स्वामियों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

‘कागजों’ में पूरी हो गयी चारधाम यात्रा की ‘तैयारी’

चारधाम यात्रा के सफल संचालन पर प्रश्र चिन्ह, चारधामों को जोडने वाले मार्ग दयनीय हाल में 



 गंगोत्री धाम की यात्रा शुरू होने में सिर्फ दो दिन का समय बचा है लेकिन जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। एक भी अधिकारी ने धाम की स्थिति का जायजा लेने की जहमत तक नहीं उठाई है। यात्रा की तैयारियों के घोड़े केवल फाइलों में दौड़ाए जा रहे हैं।
आगामी 21 अप्रैल को गंगोत्री धाम की यात्रा शुरू हो जाएगी। जिला प्रशासन सिर्फ बैठकों में ही यात्रा की तैयारियों में जुटा हुआ है। धाम में क्या स्थिति है। क्या काम किए जाने की जरूरत है। यात्रा पड़ावों में तो सुविधाओं को दुरूस्त करने का काम किया जा रहा है लेकिन धाम में छह महीने से हो रही बर्फबारी से फैली अव्यवस्था से प्रशासन अनजान बना हुआ है। गंगोत्री जाने के लिए प्रशासन सचिव का इंतजार कर रहा है। राज्य सरकार ने बीते दिनों यात्रा की तैयारियों का जिम्मा सचिवों को दिया था। माना जा रहा है कि गंगोत्री यमुनोत्री के लिए नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त सचिव शैलेष बगोली इस सप्ताह के अंत तक गंगोत्री का निरीक्षण कर यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे। लिहाजा जिला प्रशासन भी सचिव के निरीक्षण का इंतजार कर रहा है। बड़कोट एसडीएम ने यमुनोत्री पहुंचकर धाम का जायजा लिया। बीते दिनों बर्फबारी से हुए भूस्खलन से सूर्य कुंड और मंदिर परिसर को नुकसान की खबरों के बावजूद एसडीएम बड़कोट ने यमुनोत्री जाना मुनासिब नहीं समझा। सिर्फ पटवारी ने ही उस दौरान धाम का निरीक्षण किया था। पटवारी के निरीक्षण के बाद एसडीएम भी धाम में व्यवस्थाओं को लेकर आश्वस्त हीं नजर आए। लेकिन जब रविवार को वह यमुनोत्री पहुंचे तो वास्तविकता से रूबरू हुए। रास्ते बदहाल हैं तो धाम में कई जगहों पर नुकसान पहुंचा है। यही हाल केदारनाथ धाम का भी है। यहां मंदिर को भले ही ऊर्जा निगम ने रोशन कर दिया हो लेकिन बेस कैंप अब भी अंधेरे में है। चार सौ से अधिक मजदूरों को बिजली का इंतजार है। इसका कारण बिजली के तारों का बर्फ में दबा होना है। केदारनाथ क्षेत्र में फरवरी माह से विद्युत आपूर्ति ठप पड़ी हुई है। लिनचोली तक दो सप्ताह पूर्व आपूर्ति बहाल कर दी गई थी, लेकिन ऊंचाई वाले क्षेत्र में अधिक बर्फबारी के चलते विद्युत लाइनें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिससे बिजली आपूर्ति में निगम के कर्मचारियों को खासी परेशानी उठानी पड़ी। केदारनाथ बेस कैंप में बिजली आपूर्ति के लिए बर्फ से तबाह हो चुकी एलटी लाइन को ठीक करने की कार्यवाही की जा रही है। ऊर्जा निगम के सहायक अभियंता अक्षित भट्ट ने बताया कि केदारनाथ बेस कैंप में आपूर्ति सुचारू करने के लिए बर्फ में दबी लाइन के तारों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है। यह तारें चार से आठ फुट नीचे बर्फ में दबी हैं। उन्होंने बताया कि यदि तार बर्फ से नहीं निकल पाई तो ऊखीमठ से बिजली की तारें भेजी जाएंगी। उधर, केदारनाथ में निम के पास सौर ऊर्जा की लाइटें व दस से अधिक जनरेटर मौजूद हैं, जिनका नियमित रूप से रात्रि को प्रयोग में लाया जाता है। जनरेटरों के लिए मिट्टी तेल हेलीकॉप्टर से सप्लाई की जा रही है। जबकि कमरों में जलने वाले बोल्वो हीटर मिट्टी तेल से ही चलते हैं। बाबा केदार भी समस्याओं से अछूते नहीं हैं यहां भी अभी तक प्रशासन कोई खास तैयारी नहीं कर सका है। चारों धामों को जाने वाली सड़कों की दशा पूरी तरह से खराब है। कब कहां कौन की सी दुर्घटना हो जाए कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में दो दिन बाद शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के सफल संचालन पर प्रश्र चिन्ह खड़े हो गये हैं।


गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

चारधम यात्राी यात्रा करेंगे, भगवान भरोसे

‘जनसैलाब’ पर ‘प्रतिबंध्’
उकेदारनाथ यात्रा के पहले दिन हजारों श्र(ालु होंगे निराश
उपन्द्रह सौ से अध्कि यात्राी नहीं जा सकेंगे केदारनाथ धम
उधम में एक रात में पांच हजार के ठहरने की व्यवस्था
उचारधम मार्ग आज भी हैं बदहाल, प्रदेश सरकार सुस्त
उकरोड़ों रूपये खर्चने के बाद भी व्यवस्था अभ शून्य
उप्रदेश सरकार का दावा, सभी तैयारियां हो गई है पूर्ण
चारधम यात्राी यात्रा करेंगे, भगवान भरोसे






संतोष बेंजवाल
वर्ष 2013 के बाद उत्तराखंड के चारधम में जहां भारी जन-ध्न की हानि हुई वहीं उत्तराखंड  के लोगों की आर्थिकी भी खत्म हुई। प्रदेश सरकार ने दो साल तक भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाएं और जनता को छोड़ दिया भगवान भरोसे। अकेले केदारनाथ की बात करें तो सबसे अध्कि नुकसान केदारघाटी को हुआ यहां  भारी जनध्न की हानि के साथ इस घाटी के लोग बेरोजगार हो गये। इस साल लोगों को उम्मीद है कि भोले बाबा इस धम में अपने भक्तों को बुलाएंगे और घाटी के लोगों की अर्थव्यवस्था में सुधर होगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में आयी हिमालयी सुनामी के बाद स्थानीय लोग तो बेरोजगार हो गए  और सरकार में बैठे अपफसर और राजनेताओं को रोजगार मिला और वह यह भूल गए कि किसके पीछे वह रोजगार पाने में सपफल हुए। दो साल तक केदारघाटी के लोगों के घरों में चूल्हा कैसे जला इस बात की पिफक्र किसी को नहीं और कैसे लोगों ने जीवन जीया इस बार यहां के लोगों को उम्मीद तो है पर सरकार की दखल से लोगों के मन में डर बैठा हुआ है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2013 में केदारनाथ में आयी हिमालयी सुनामी से पहले सरकार जाग जाती तो शायद उस जलजले में हजारों लोगों को अपनी जान से हाथ नहीं धेना पड़ता, लेकिन तत्काली प्रदेश सरकार के मुखिया का ध्यान तो सिपर्फ अपनी जेबों को भरने में लगा था।  उस जलजले के बाद पूरे विश्व में सरकार की थू-थू हुई। दो साल तक केदानाथ का दर्द झेलने वाले भोले नाथ के भक्तों और केदारनाथ यात्रा पर अपनी आर्थिकी को चलाने वालों को इस बाद उम्मीद है कि यात्रा अपने चरम पर रहेगी। इसके लिए वर्तमान सरकार भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। पिछली गलती से सबक लेते हुए इस बार प्रदेश सरकार जाग गयी है।
इस बार केदारनाथ धम के कपाट खुलने के दिन हजारों श्र(ालु जहां निराश होंगे। वहीं व्यवस्थाओं की पहल लोगों को राहत देगी। सरकार ने इस बार कुछ अहम निर्णय लिये हैं। केदारनाथ धम में इस बार पहले दिन केवल 15 सौ यात्राी ही भगवान केदार के दर्शन कर सकेंगे। इस मौके पर राष्ट्रपति भी धम पहुंच रहे हैं। पहले दिन से लेकर माह के अंतिम दिन तक यात्रियों की सीमिति संख्या को धम में पहुंचाने का निर्णय लिया गया है। मई से इस संख्या में ध्ीरे-ध्ीरे बढ़ोत्तरी की जाएगी। जून 2013 की आपदा के बाद पुनर्निर्माण से गुजर रहे केदारनाथ में हालात सामान्य हो रहे हैं। हालांकि अभी वहां इतनी व्यवस्था नहीं हो पाई है कि एक रात में 5 हजार लोगों को ठहराया जा सके। आज की तिथि में यहां एमआई-26 हेलीपैड के किनारों पर नाली निर्माण किया जा रहा है। धम में नव निर्मित 12 काटेज हैं। 13 का निर्माण होना बाकी है। गौरीकुंड से केदारनाथ पैदल मार्ग पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्किांश हट्स बपर्फबारी से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। ऐसे हालात में निगम भी अप्रैल माह में प्रतिदिन 250 यात्रियों की बुकिंग करेगा। जरूरी व्यवस्थाओं को पूरा होने पर प्रशासन और निगम यात्रियों की संख्या में इजाफा करेंगे। दिसंबर से लेकर 2 अप्रैल तक केदारनाथ में मौसम की मार ने पुनर्निर्माण कार्यों को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। तीन से पांच दिन के अंतराल में बिगड़ रहे मौसम के कारण धम में बर्फबारी हो रही है। इससे तैयारियों पर भी असर पड़ रहा है। रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डा. राघव लंगर ने बताया कि केदारनाथ धम में अब भी 8 पफीट से अध्कि बपर्फ जमा है। साढ़े तीन माह में 15 से अध्कि बार धम में बपर्फ गिर चुकी है। केदारनाथ के कपाट खुलने पर राष्ट्रपति धम पहुंच रहे हैं। धम में भारी सुरक्षा बल तैनात रहेगा। पुजारी लोगों के साथ मीडिया व कापफी संख्या में स्थानीय लोग भी होंगे। सीमित संसाधन और जगह की कमी को देखते हुए पहले दिन 15 सौ यात्रियों को भी केदारनाथ जाने की अनुमति दी जाएगी। प्रदेश सरकार केदारनाथ धम यात्रा के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च कर वाह-वाही लूट रही है, लेकिन स्थिति कुछ अलग है जहां करोड़ों रूपये केदारनाथ में खर्च हो चुके है वहीं सरकार जमीन पर कुछ नहीं कर पा रही है।
अकेले उत्तराखंड के चारधम में सड़कों की स्थिति को देखे तो सड़के दयनीय हाल में हैं। सरकार ने सड़कों के नाम पर करोड़ों रूपये अभी तक खर्च कर दिये हैं और सड़कों की स्थिति अभी भी दयनीय है। इस बार भी यात्रियों को हिचकोले खाकर ही चारधम यात्रा पर जाना पडे़गा। वहीं अन्य व्यवस्थाओं के नाम पर भी अभी तक सिपर्फ घोषणाएं ही हो रही हैं। जमीन पर तो आज भी वही हाल है जो पिछले दो साल पहले आपदा के बाद थे। सिपर्फ कागजों में सब काम हो रहे हैं।
 केदारनाथ में एक बार में 5000 यात्राी ही जा सकेंगे, इस बार आनलाइन रजिस्ट्रेशन भी सरकार एक ओर कह रही है केदारनाथ में सारी व्यवस्थाएं चुस्त दुरूस्त है। लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिख रहा है। प्रदेश में सड़कों कि स्थिति देहरादून में अच्छी नहीं है, तो पहाड में कैसी होगी इस सवाल पर लोकनिर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ए.के. उप्रेती अपना सवाल का जवाब नहीं दे पाई, जबकि केदारनाथ में भी स्थिति अच्छी नहीं है। देखना यह है कि इन 20-25 दिनों में सरकार क्या कुछ करती है यह देखना बाकी है। केदारधम में जून 2013 में आई आपदा से सरकार ने अब सबक लिया है। उत्तराखंड शासन ने ऐसी व्यवस्था की है कि अब धम में जनसैलाब नहीं उमड़ेगा। इसी माह अप्रैल शुरू हो रही यात्रा में अब एक बार में केदारधम में 5000 यात्रियों से ज्यादा लोगों को जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा चार धम के सभी यात्रियों का पंजीकरण भी आवश्यक रूप से किया जाएगा। इसके लिए 18 केंद्र बनाए गए हैं। लेकिन यात्रियों को बायोमेट्रिक्स रजिस्ट्रेशन ;मशीन से पंजीकरणद्ध से छूट दी गई है। उनके लिए सिपर्फ पफोटो पहचानपत्रा जारी होंगे। केदारनाथ यात्रा के लिए राज्यों की ओर से जारी स्वास्थ्य प्रमाणपत्रा भी                     मान्य होंगे। केदारनाथ में तीन हजार लोगों के रहने की व्यवस्था कर ली गई है। दो हजार लोग सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ के बीच के पड़ावों में भी ठहर सकते हैं।
केदारनाथ मंदिर में संरक्षण कार्य में सौ दिक्कतें सामने आ रही हैं। आलम यह है कि केदारनाथ मंदिर में इस्तेमाल को मंगाई गई तकरीबन 30 लाख की लकड़ी डंप है। वजह, मंदिर समिति फर्श में इसके इस्तेमाल को तैयार नहीं थी, जबकि एएसआई ;भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षणद्ध पहले ही इसे मंगा चुका था। कुछ लकड़ियां धाम तो कुछ दून डिपो में रखवा दी गई हैं। इनकी अब अन्य मंदिरों में इस्तेमाल की तैयारी है। मसलन अब जागेश्वर धाम स्थित मंदिर की कैनोपी तैयार करने समेत कई कार्यों में इसका प्रयोग होगा। कार्य में देरी का जिम्मेदार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ;आईआईटीद्ध चेन्नई भी है। केदारनाथ में संरक्षण के कार्य के लिए की सर्वे रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है। एएसआई ने रिपोर्ट मंगाने के लिए आईआईटी चेन्नई को पत्र लिखा है, लेकिन पखवाड़ा भर बीतने के बावजूद वहां से कोई जवाब नहीं आया है। ऐसे में वहां काम तो जरूर होगा, लेकिन तकनीकी सुझावों के बगैर कार्य की प्राथमिकता तय करना एएसआई के लिए मुश्किल होगा। तीसरी दिक्कत जरूरी समय सीमा की है। एएसआई को अपने काम को अंजाम देने के लिए 100 कार्य दिवस की जरूरत होगी ही। आने वाली 24 अप्रैल को मंदिर के कपाट खुलेंगे। 15 जून से अमूमन मानसून की आमद मानी जाती है। ऐसे में आवश्यक समय संस्थान के विशेषज्ञों को मिल सकेगा या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। लकड़ी अब अन्य कार्यों में प्रयोग होगी। कपाट खुलने के साथ वहां एएसआई की टीम जाएगी। आईआईटी चेन्नई की टीम की सर्वे रिपोर्ट मिल जाती तो अच्छा होता। तकनीकी तरीके से हुए सर्वे के आधार पर कार्य की प्राथमिकता तय हो सकती थी। वहीं श्री बदरीनाथ-केदानाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना है कि लकड़ी किसने, कहां भेजी, हमें नहीं पता। हमने फर्श में लकड़ी लगाने को मना नहीं किया, बल्कि लिखित में यह सुझाव दिया था कि लकड़ी का फर्श लगाने से पहले यह सुनिश्चित किया जाए कि वह आग न पकड़े।